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शिमला, 17 मार्च [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दिनांक 17-18 मार्च, 2025 को "विभाजन की अनुभूति: भारतीय फिल्मों में विभाजन का चित्रण" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन विभाजन के सिनेमाई निरूपण के ऐतिहासिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक आयामों की गहन अकादमिक समीक्षा के लिए प्रतिष्ठित इतिहासकारों, फिल्म विशेषज्ञों और विषय-विशेषज्ञों को एक मंच पर एकत्रित कर रहा है। *उद्घाटन सत्र की प्रमुख विशेषताएं* सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन की पारंपरिक रस्म के साथ हुआ। आयोजन के संयोजक एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. निर्मल कुमार ने उद्घाटन भाषण देते हुए सम्मेलन की विषयवस्तु की सैद्धांतिक पृष्ठभूमि स्पष्ट की। उन्होंने विभाजन की कथाओं के ऐतिहासिक स्मृति निर्माण एवं वर्तमान सांस्कृतिक विमर्श में इनके निरंतर प्रभाव पर चर्चा की। मुख्य अतिथि प्रो. राकेश सिन्हा का उद्घाटन व्याख्यान सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का विशेष आकर्षण राज्यसभा के पूर्व सदस्य एवं प्रतिष्ठित विद्वान प्रो. राकेश सिन्हा का मुख्य व्याख्यान रहा। प्रो. सिन्हा ने विभाजन की घटना को ऐतिहासिक आयाम से आगे बढ़कर सांस्कृतिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक विच्छेद के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने 'गदर', 'पिंजर', और अन्य समकालीन फिल्मों के माध्यम से विभाजन की स्मृति एवं सामाजिक चेतना पर इनके प्रभाव की व्याख्या की। प्रो. सिन्हा ने इस बात पर बल दिया कि ये फिल्में पीढ़ियों के मध्य विभाजन की स्मृति का संचार करने में सफल रही हैं। सत्र का समापन संस्थान के सचिव श्री मेहर चंद नेगी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिसमें उन्होंने संस्थान के निदेशक तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, बठिंडा के कुलपति प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी की ओर से सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएँ व्यक्त कीं। उद्घाटन सत्र का आयोजन राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुआ। सम्मेलन का मूल उद्देश्य भारतीय फिल्मों में विभाजन के विभिन्न पहलुओं—जैसे विस्थापन, सांप्रदायिक तनाव एवं राष्ट्रीय पहचान—की सिनेमाई प्रस्तुतियों का विश्लेषणात्मक परीक्षण करना है। आयोजन के दौरान इस पर विशेष चर्चा होगी कि सिनेमा विभाजन की स्मृतियों को किस प्रकार समकालीन परिप्रेक्ष्य में निरंतर पुनर्परिभाषित एवं संवाद की विषय-वस्तु बनाता रहा है। थीम नोट के अनुसार, विभाजन की घटनाएं सिनेमा के माध्यम से दशकों बाद भी जीवंत बनी हुई हैं। 'गदर', 'पिंजर' तथा 'गदर 2' जैसी फिल्में इस विषय के निरंतर सामाजिक व सांस्कृतिक महत्व को प्रमाणित करती हैं। सम्मेलन में भारत-पाकिस्तान संबंधों के बदलते सिनेमाई चित्रण की गहन समीक्षा की जाएगी, जो विरोध से लेकर समझौते तक के बदलते आयामों को दर्शाते हैं। इस सम्मेलन के अंतर्गत आयोजित प्रमुख व्याख्यानों, पैनल चर्चाओं एवं शोध-पत्र प्रस्तुतियों में प्रो. वीरेन्द्र सिंह नेगी, प्रो. मनोज सिन्हा, प्रो. अयूब खान, डॉ. इती बहादुर, डॉ. ऋचा शर्मा एवं डॉ. शीला रेड्डी सहित अनेक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। ऑनलाइन एवं ऑफलाइन भागीदारी से सम्मेलन एक व्यापक अकादमिक विमर्श का मंच बन रहा है। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान निरंतर इतिहास, संस्कृति एवं मीडिया से संबंधित समकालीन विषयों पर गहन वैचारिक विमर्श का केंद्र रहा है। सम्मेलन का समापन 18 मार्च, 2025 को साहित्य और सिनेमा में विभाजन की अभिव्यक्ति पर व्यापक चर्चा एवं समापन वक्तव्य के साथ होगा।
शिमला, 17 मार्च [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दिनांक 17-18 मार्च, 2025 को "विभाजन की अनुभूति: भारतीय फिल्मों में विभाजन का चित्रण" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन विभाजन के सिनेमाई निरूपण के ऐतिहासिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक आयामों की गहन अकादमिक समीक्षा के लिए प्रतिष्ठित इतिहासकारों, फिल्म विशेषज्ञों और विषय-विशेषज्ञों को एक मंच पर एकत्रित कर रहा है।
*उद्घाटन सत्र की प्रमुख विशेषताएं*
सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन की पारंपरिक रस्म के साथ हुआ। आयोजन के संयोजक एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. निर्मल कुमार ने उद्घाटन भाषण देते हुए सम्मेलन की विषयवस्तु की सैद्धांतिक पृष्ठभूमि स्पष्ट की। उन्होंने विभाजन की कथाओं के ऐतिहासिक स्मृति निर्माण एवं वर्तमान सांस्कृतिक विमर्श में इनके निरंतर प्रभाव पर चर्चा की।
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मुख्य अतिथि प्रो. राकेश सिन्हा का उद्घाटन व्याख्यान सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का विशेष आकर्षण राज्यसभा के पूर्व सदस्य एवं प्रतिष्ठित विद्वान प्रो. राकेश सिन्हा का मुख्य व्याख्यान रहा। प्रो. सिन्हा ने विभाजन की घटना को ऐतिहासिक आयाम से आगे बढ़कर सांस्कृतिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक विच्छेद के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने 'गदर', 'पिंजर', और अन्य समकालीन फिल्मों के माध्यम से विभाजन की स्मृति एवं सामाजिक चेतना पर इनके प्रभाव की व्याख्या की। प्रो. सिन्हा ने इस बात पर बल दिया कि ये फिल्में पीढ़ियों के मध्य विभाजन की स्मृति का संचार करने में सफल रही हैं।
सत्र का समापन संस्थान के सचिव श्री मेहर चंद नेगी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिसमें उन्होंने संस्थान के निदेशक तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, बठिंडा के कुलपति प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी की ओर से सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएँ व्यक्त कीं। उद्घाटन सत्र का आयोजन राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुआ।
सम्मेलन का मूल उद्देश्य भारतीय फिल्मों में विभाजन के विभिन्न पहलुओं—जैसे विस्थापन, सांप्रदायिक तनाव एवं राष्ट्रीय पहचान—की सिनेमाई प्रस्तुतियों का विश्लेषणात्मक परीक्षण करना है। आयोजन के दौरान इस पर विशेष चर्चा होगी कि सिनेमा विभाजन की स्मृतियों को किस प्रकार समकालीन परिप्रेक्ष्य में निरंतर पुनर्परिभाषित एवं संवाद की विषय-वस्तु बनाता रहा है।
थीम नोट के अनुसार, विभाजन की घटनाएं सिनेमा के माध्यम से दशकों बाद भी जीवंत बनी हुई हैं। 'गदर', 'पिंजर' तथा 'गदर 2' जैसी फिल्में इस विषय के निरंतर सामाजिक व सांस्कृतिक महत्व को प्रमाणित करती हैं। सम्मेलन में भारत-पाकिस्तान संबंधों के बदलते सिनेमाई चित्रण की गहन समीक्षा की जाएगी, जो विरोध से लेकर समझौते तक के बदलते आयामों को दर्शाते हैं।
इस सम्मेलन के अंतर्गत आयोजित प्रमुख व्याख्यानों, पैनल चर्चाओं एवं शोध-पत्र प्रस्तुतियों में प्रो. वीरेन्द्र सिंह नेगी, प्रो. मनोज सिन्हा, प्रो. अयूब खान, डॉ. इती बहादुर, डॉ. ऋचा शर्मा एवं डॉ. शीला रेड्डी सहित अनेक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। ऑनलाइन एवं ऑफलाइन भागीदारी से सम्मेलन एक व्यापक अकादमिक विमर्श का मंच बन रहा है।
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान निरंतर इतिहास, संस्कृति एवं मीडिया से संबंधित समकालीन विषयों पर गहन वैचारिक विमर्श का केंद्र रहा है। सम्मेलन का समापन 18 मार्च, 2025 को साहित्य और सिनेमा में विभाजन की अभिव्यक्ति पर व्यापक चर्चा एवं समापन वक्तव्य के साथ होगा।
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