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शिमला, 20 फरवरी [ विशाल सूद ] ! भाजपा के पूर्व मंत्री एवं नेता सुरेश भारद्वाज ने पंजाब विश्वविद्यालय में एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर आयोजित संगोष्ठी में भाग लिया। इस कार्यक्रम की जानकारी भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने दी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर सुरेश भारद्वाज को प्रदेश संयोजक एवं विधायक जीत राम कटवाल को सह संयोजक नियुक्त किया गया है, इस कार्यक्रम को लेकर एक प्रदेश समिति का गठन भी किए गया है जिसमें सदस्य के रूम में प्रदेश उपाध्यक्ष पायल वैद्य, सचिव डेजी ठाकुर, कार्यालय सचिव प्रमोद ठाकुर, प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष वंदना योगी, सोशल मीडिया प्रभारी सुशील राठौर, व्यापार प्रकोष्ठ से रमेश छौजड़, पूर्व आई ए एस जी सी शर्मा, शहरी निकाय प्रकोष्ठ के चमन कपूर, युवा मोर्चा से सुशील कडशोली, अधिवक्ता उच्चनायलय विकास राठौर, अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नितेन कुमार, विश्वविद्यालय से प्रो डॉ नितिन व्यास, पूर्व पार्षद विवेक शर्मा, पूर्व प्रदेश मीडिया प्रभारी अजय शर्मा और पूर्व प्रदेश सचिव सुनील मिनोचा शामिल किए गए। सुरेश भारद्वाज ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल को मंजूरी दी है। इस बिल के जरिए चुनाव प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से इस प्रक्रिया के समर्थक रहे हैं। अभी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग होते हैं, ये चुनाव पांच साल की अवधि पूरी होने पर या सरकार गिरने पर होते हैं। एक राष्ट्र एक चुनाव के तहत सभी चुनाव एक साथ होंगे। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी। लेकिन, इसके लिए कई चुनौतियों का सामना भी करना होगा। वन नेशन वन इलेक्शन पर कितना आएगा खर्च? चुनाव आयोग ने 2029 तक एक साथ चुनाव कराने का अनुमानित खर्च 7,951 करोड़ रुपये बताया है। आयोग ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसके लिए बहुत सी तैयारियों की जरूरत होगी। वोटर लिस्ट अपडेट करना, वोटिंग मशीनें खरीदना और सुरक्षा बलों का इंतजाम करना, ये कुछ जरूरी काम हैं। अभी कितना आता है खर्च? लोकसभा चुनाव कराने का खर्च साल-दर-साल बढ़ता गया है। 1951-52 में हुए भारत के पहले चुनाव में 68 चरणों में कुल 10.5 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में यह खर्च बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये (7 अरब डॉलर) हो गया। इस चुनावी प्रक्रिया से देश की आर्थिकी में बड़ा सुधार आएगा।
शिमला, 20 फरवरी [ विशाल सूद ] ! भाजपा के पूर्व मंत्री एवं नेता सुरेश भारद्वाज ने पंजाब विश्वविद्यालय में एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर आयोजित संगोष्ठी में भाग लिया। इस कार्यक्रम की जानकारी भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने दी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर सुरेश भारद्वाज को प्रदेश संयोजक एवं विधायक जीत राम कटवाल को सह संयोजक नियुक्त किया गया है, इस कार्यक्रम को लेकर एक प्रदेश समिति का गठन भी किए गया है जिसमें सदस्य के रूम में प्रदेश उपाध्यक्ष पायल वैद्य, सचिव डेजी ठाकुर, कार्यालय सचिव प्रमोद ठाकुर, प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष वंदना योगी, सोशल मीडिया प्रभारी सुशील राठौर, व्यापार प्रकोष्ठ से रमेश छौजड़, पूर्व आई ए एस जी सी शर्मा, शहरी निकाय प्रकोष्ठ के चमन कपूर, युवा मोर्चा से सुशील कडशोली, अधिवक्ता उच्चनायलय विकास राठौर, अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नितेन कुमार, विश्वविद्यालय से प्रो डॉ नितिन व्यास, पूर्व पार्षद विवेक शर्मा, पूर्व प्रदेश मीडिया प्रभारी अजय शर्मा और पूर्व प्रदेश सचिव सुनील मिनोचा शामिल किए गए।
सुरेश भारद्वाज ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल को मंजूरी दी है। इस बिल के जरिए चुनाव प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से इस प्रक्रिया के समर्थक रहे हैं। अभी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग होते हैं, ये चुनाव पांच साल की अवधि पूरी होने पर या सरकार गिरने पर होते हैं। एक राष्ट्र एक चुनाव के तहत सभी चुनाव एक साथ होंगे। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी। लेकिन, इसके लिए कई चुनौतियों का सामना भी करना होगा। वन नेशन वन इलेक्शन पर कितना आएगा खर्च? चुनाव आयोग ने 2029 तक एक साथ चुनाव कराने का अनुमानित खर्च 7,951 करोड़ रुपये बताया है। आयोग ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसके लिए बहुत सी तैयारियों की जरूरत होगी। वोटर लिस्ट अपडेट करना, वोटिंग मशीनें खरीदना और सुरक्षा बलों का इंतजाम करना, ये कुछ जरूरी काम हैं।
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अभी कितना आता है खर्च? लोकसभा चुनाव कराने का खर्च साल-दर-साल बढ़ता गया है। 1951-52 में हुए भारत के पहले चुनाव में 68 चरणों में कुल 10.5 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में यह खर्च बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये (7 अरब डॉलर) हो गया। इस चुनावी प्रक्रिया से देश की आर्थिकी में बड़ा सुधार आएगा।
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