- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला , 21 फरवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में एसएमसी अध्यापक आर-पार की लड़ाई के मूड में एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं. यह सभी अध्यापक नियमितीकरण की मांग उठा रहे हैं. इससे पहले भी एसएमसी अध्यापक शिमला के चौड़ा मैदान में ही दिन-रात हड़ताल पर बैठे रहे. तब शिक्षा मंत्री ने ख़ुद धरना स्थल पर आकर मांगों पर विचार कर सुने जाना का आश्वासन दिया था. अब इतना लंबा वक़्त बीत जाने के बाद एसएमसी अध्यापकों की मांग लंबित है. ऐसे में अब यह अध्यापक आर पार की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरे हैं. एसएमसी अध्यापक संघ के राज्य प्रवक्ता निर्मल ठाकुर ने कहा कि एसएमसी अध्यापक बीते करीब सालों से प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इनके लिए सरकार स्थाई पॉलिसी नहीं ला रही है. एसएमसी अध्यापक दूरदराज के इलाकों में अपनी सेवाएं तो देते हैं, लेकिन उन्हें स्कूल में छुट्टियों के वक्त का वेतन तक नहीं दिया जाता. इन अध्यापकों को केवल 14 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है. इन पैसों में घर-परिवार का गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द उनके लिए एक स्थाई पॉलिसी लाई जाए और 2 हजार 555 शिक्षकों को स्थाई तौर पर नियुक्ति दी जाए. इन अध्यापकों का दावा है कि राज्य में सबसे ज़्यादा ऐसे स्कूल हैं, जहां सारा ज़िम्मा एसएमसी अध्यापकों के कंधे पर ही है. एसएमसी अध्यापक संघ के राज्य प्रवक्ता निर्मल ठाकुर ने कहा कि इस बारे वे किसी तरह का आश्वासन नहीं, बल्कि नियमितीकरण का ऑर्डर लेकर ही जाएंगे. अब यह आरपार की लड़ाई का वक़्त है।
शिमला , 21 फरवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में एसएमसी अध्यापक आर-पार की लड़ाई के मूड में एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं. यह सभी अध्यापक नियमितीकरण की मांग उठा रहे हैं. इससे पहले भी एसएमसी अध्यापक शिमला के चौड़ा मैदान में ही दिन-रात हड़ताल पर बैठे रहे. तब शिक्षा मंत्री ने ख़ुद धरना स्थल पर आकर मांगों पर विचार कर सुने जाना का आश्वासन दिया था. अब इतना लंबा वक़्त बीत जाने के बाद एसएमसी अध्यापकों की मांग लंबित है. ऐसे में अब यह अध्यापक आर पार की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरे हैं.
एसएमसी अध्यापक संघ के राज्य प्रवक्ता निर्मल ठाकुर ने कहा कि एसएमसी अध्यापक बीते करीब सालों से प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इनके लिए सरकार स्थाई पॉलिसी नहीं ला रही है. एसएमसी अध्यापक दूरदराज के इलाकों में अपनी सेवाएं तो देते हैं, लेकिन उन्हें स्कूल में छुट्टियों के वक्त का वेतन तक नहीं दिया जाता. इन अध्यापकों को केवल 14 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है.
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
इन पैसों में घर-परिवार का गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द उनके लिए एक स्थाई पॉलिसी लाई जाए और 2 हजार 555 शिक्षकों को स्थाई तौर पर नियुक्ति दी जाए. इन अध्यापकों का दावा है कि राज्य में सबसे ज़्यादा ऐसे स्कूल हैं, जहां सारा ज़िम्मा एसएमसी अध्यापकों के कंधे पर ही है. एसएमसी अध्यापक संघ के राज्य प्रवक्ता निर्मल ठाकुर ने कहा कि इस बारे वे किसी तरह का आश्वासन नहीं, बल्कि नियमितीकरण का ऑर्डर लेकर ही जाएंगे. अब यह आरपार की लड़ाई का वक़्त है।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -