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शिमला , 17 जुलाई [ विशाल सूद ] ! राजधानी शिमला में बुधवार को मुस्लिम समुदाय मोहर्रम के मौके पर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए जुलूस निकाला। मुहर्रम के मौके पर कृष्णानगर के इमामबाड़े से ताजिये के साथ बालूगंज बैरियर तक जुलूस निकाला।कंधों पर ताजिया उठा हाथों में अलम थामे जुलूस सर्कुलर रोड गुरुद्वारा और पुराने बस अड्डे होते हुए बालूगंज बैरियर तक निकला। सिरों पर पट्टियां बांधे शिया समुदाय के लोगों ने ए हुसेना मेरे दिल मे रहना के गीत गाये और पूरा शहर इन गीतों से गूंज उठा।मोहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय ने मोहम्मद हुसैन की कर्बला के मैदान में उनकी शहादत का मातम मनाया।जुलूस में बुजुर्ग महिलाओं बच्चे और भारी युवा भारी संख्या युवा जुलूस में शामिल हुए। इस्लामिक कैलेंडर में यह दिन बेहद अहम माना गया है क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी और उनकी शहादत को शिया समुदाय याद करता है। मौलाना काजमी रजा नकवी ने कहा कि आज से 1400 वर्ष पूर्व कर्बला के मैदान में मोहम्मद हुसैन ने इंसानियत की खातिर शहादत दी थी।उनकी शहादत को याद करते हुए आज के दिन शिया समुदाय द्वारा जुलूस निकाला जाता है।उन्होंने एक समुदाय नही अपितु पूरी इंसानियत के लिए अपना सर कलम करवा दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी जुल्म और अत्याचार के आगे कभी सिर नही झुकाया और यही संदेश सभी लोगों को दिया।उन्होंने कहा कि आज के दिन उनकी याद में मातम मनाया जाता है और दुआ की जाती है कि देश मे अमन और चेन कायम रहे।
शिमला , 17 जुलाई [ विशाल सूद ] ! राजधानी शिमला में बुधवार को मुस्लिम समुदाय मोहर्रम के मौके पर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए जुलूस निकाला। मुहर्रम के मौके पर कृष्णानगर के इमामबाड़े से ताजिये के साथ बालूगंज बैरियर तक जुलूस निकाला।कंधों पर ताजिया उठा हाथों में अलम थामे जुलूस सर्कुलर रोड गुरुद्वारा और पुराने बस अड्डे होते हुए बालूगंज बैरियर तक निकला।
सिरों पर पट्टियां बांधे शिया समुदाय के लोगों ने ए हुसेना मेरे दिल मे रहना के गीत गाये और पूरा शहर इन गीतों से गूंज उठा।मोहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय ने मोहम्मद हुसैन की कर्बला के मैदान में उनकी शहादत का मातम मनाया।जुलूस में बुजुर्ग महिलाओं बच्चे और भारी युवा भारी संख्या युवा जुलूस में शामिल हुए।
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इस्लामिक कैलेंडर में यह दिन बेहद अहम माना गया है क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी और उनकी शहादत को शिया समुदाय याद करता है।
मौलाना काजमी रजा नकवी ने कहा कि आज से 1400 वर्ष पूर्व कर्बला के मैदान में मोहम्मद हुसैन ने इंसानियत की खातिर शहादत दी थी।उनकी शहादत को याद करते हुए आज के दिन शिया समुदाय द्वारा जुलूस निकाला जाता है।उन्होंने एक समुदाय नही अपितु पूरी इंसानियत के लिए अपना सर कलम करवा दिया था।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी जुल्म और अत्याचार के आगे कभी सिर नही झुकाया और यही संदेश सभी लोगों को दिया।उन्होंने कहा कि आज के दिन उनकी याद में मातम मनाया जाता है और दुआ की जाती है कि देश मे अमन और चेन कायम रहे।
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