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शिमला , 12 अप्रैल [ विशाल सूद ] - मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त भगवान हनुमान का जन्मोत्सव देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. सुबह चार बजे से ही शिमला के जाखू मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी हुई है. अब भी भक्तों के मंदिर आने का सिलसिला लगातार जारी है. शिमला नगर निगम के मेयर सुरेन्द्र चौहान भी सुबह के वक़्त ही भगवान हनुमान के दर्शन करने के लिए पहुंच गए. इस दौरान वे व्यवस्था दुरुस्त करते हुए नज़र आईं और साथ ही श्रद्धालुओं में भक्तिरस भी भरते हुए दिखाई दिए. शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान ने सभी भक्तों को श्री हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएं दी. मेयर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि भगवान हनुमान का दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले. हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.
शिमला , 12 अप्रैल [ विशाल सूद ] - मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त भगवान हनुमान का जन्मोत्सव देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. सुबह चार बजे से ही शिमला के जाखू मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी हुई है. अब भी भक्तों के मंदिर आने का सिलसिला लगातार जारी है. शिमला नगर निगम के मेयर सुरेन्द्र चौहान भी सुबह के वक़्त ही भगवान हनुमान के दर्शन करने के लिए पहुंच गए.
इस दौरान वे व्यवस्था दुरुस्त करते हुए नज़र आईं और साथ ही श्रद्धालुओं में भक्तिरस भी भरते हुए दिखाई दिए. शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान ने सभी भक्तों को श्री हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएं दी.
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मेयर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि भगवान हनुमान का दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा.
इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले. हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया.
भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.
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