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शिमला ! 23 मई [ विशाल सूद ] ! भगवान बुद्ध त्रिदेव में से एक विष्णु का अवतार थे और यहीं वजह है कि भीम राव अम्बेडकर भी उनकी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए थे।यह बात राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने शिमला स्थित दोर्जे डक बौद्ध बिहार, पंथाघाटी में आयोजित भगवान बुद्ध की 2568वीं जयंती के मौक़े पर कही।किन्नौर, लाहौल-स्पीति बौद्ध सेवा संघ, शिमला तथा भारत-तिब्बत मैत्री संघ शिमला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहें। इस अवसर पर, राज्यपाल ने समस्त प्रदेशवासियों को बुद्ध जयंती की शुभकामनाएं दीं और कहा कि भगवान बुद्ध की करूणा, शांति और आत्मज्ञान की शिक्षाएं सदियों, संस्कृतियों और सीमाओं को पार कर लाखों लोगों को आंतरिक शांति और सार्वभौमिक भाईचारे के मार्ग पर प्रशस्त करती हैं। बुद्ध का संदेश आज अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हम आधुनिक दुनिया की जटिलताओं से जूझ रहे हैं, जो अक्सर संघर्ष, गलतफहमी, अहिंसा और भौतिकवाद से भरा है। राज्यपाल ने कहा कि मौजूदा परिप्रेक्ष्य में भगवान बुद्ध की ये शिक्षाएँ हमें सहिष्णुता, सहानुभूति और पारस्परिक सम्मान की भावना को बढ़ावा देने और विश्व में शांति के लिए प्रेरित करती हैं। राज्यपाल ने किन्नौर, लाहौल-स्पीति के बौद्ध समुदायों और भारत-तिब्बत मैत्री संघ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों ने बौद्ध धर्म की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्यपाल ने इस अवसर पर यंगसी रिनपोचे को सम्मानित किया। इससे पूर्व, राज्यपाल ने भारतीय समुदाय से सहायक प्राचार्य डॉ श्रवण कुमार तथा तिब्बती समुदाय से भिक्षु शेडूप वांग्यल को भारत तिब्बत मैत्री सम्मान-2024 प्रदान किया। इस अवसर पर, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में शिक्षारत लाहुल-स्पीति के विद्यार्थियों तथा तिब्बतियन स्कूल शिमला के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
शिमला ! 23 मई [ विशाल सूद ] ! भगवान बुद्ध त्रिदेव में से एक विष्णु का अवतार थे और यहीं वजह है कि भीम राव अम्बेडकर भी उनकी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए थे।यह बात राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने शिमला स्थित दोर्जे डक बौद्ध बिहार, पंथाघाटी में आयोजित भगवान बुद्ध की 2568वीं जयंती के मौक़े पर कही।किन्नौर, लाहौल-स्पीति बौद्ध सेवा संघ, शिमला तथा भारत-तिब्बत मैत्री संघ शिमला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहें।
इस अवसर पर, राज्यपाल ने समस्त प्रदेशवासियों को बुद्ध जयंती की शुभकामनाएं दीं और कहा कि भगवान बुद्ध की करूणा, शांति और आत्मज्ञान की शिक्षाएं सदियों, संस्कृतियों और सीमाओं को पार कर लाखों लोगों को आंतरिक शांति और सार्वभौमिक भाईचारे के मार्ग पर प्रशस्त करती हैं। बुद्ध का संदेश आज अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हम आधुनिक दुनिया की जटिलताओं से जूझ रहे हैं, जो अक्सर संघर्ष, गलतफहमी, अहिंसा और भौतिकवाद से भरा है।
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राज्यपाल ने कहा कि मौजूदा परिप्रेक्ष्य में भगवान बुद्ध की ये शिक्षाएँ हमें सहिष्णुता, सहानुभूति और पारस्परिक सम्मान की भावना को बढ़ावा देने और विश्व में शांति के लिए प्रेरित करती हैं।
राज्यपाल ने किन्नौर, लाहौल-स्पीति के बौद्ध समुदायों और भारत-तिब्बत मैत्री संघ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों ने बौद्ध धर्म की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर यंगसी रिनपोचे को सम्मानित किया। इससे पूर्व, राज्यपाल ने भारतीय समुदाय से सहायक प्राचार्य डॉ श्रवण कुमार तथा तिब्बती समुदाय से भिक्षु शेडूप वांग्यल को भारत तिब्बत मैत्री सम्मान-2024 प्रदान किया। इस अवसर पर, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में शिक्षारत लाहुल-स्पीति के विद्यार्थियों तथा तिब्बतियन स्कूल शिमला के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
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