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शिमला, 14 सितम्बर,[ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री को दिए जाने वाले बेल पर अपना वक्तव्य रखा और बताया कि अरविंद केजरीवाल को पूर्ण रूप से राहत नहीं मिली बल्कि सशर्त जमानत दी गई है। महाजन ने कहा कि जो सीएम किसी फाइल को साइन नहीं कर सकते, दफ्तर नहीं जा सकते, तो उनके लिए बचा ही क्या है? अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद की गरिमा रखते हुए और दिल्ली की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए अपना इस्तीफा देना चाहिए। महाजन ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कट्टर बेईमान पापी आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को फिर से आईना दिखाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचारी अरविंद केजरीवाल को सशर्त जमानत का आदेश दिया है, इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘जेल वाला सीएम, अब बेल वाला सीएम हो गया है।’ इस आदेश के बाद अरविंद केजरीवाल को तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। लेकिन अरविंद केजरीवाल ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उनमें नैतिकता की एक बूंद भी नहीं बची है। जो अरविंद केजरीवाल पहले कहा करते थे कि अगर किसी पर आरोप लग जाए, तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए, आज उन्हीं केजरीवाल को सशर्त जमानत मिली है। अगर कोई व्यक्ति किसी संवैधानिक पद पर बैठा हो और उसे जेल हो जाए, तो उस व्यक्ति को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। मगर अरविंद केजरीवाल 6 महीने तक जेल में रहे और आज सशर्त बेल मिलने पर भी इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘भ्रष्टाचार युक्त, सीएम अभियुक्त।’ महाजन ने कहा कि जो अरविंद केजरीवाल पहले कहते थे कि उनकी गिरफ़्तारी गैर कानूनी है, मगर उनके इस वक्तव्य को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 2 न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज किया है और कहा है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी किसी भी रूप से गैर कानूनी नहीं है, बल्कि कानून के अनुरूप है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले से कट्टर बेईमान अरविंद केजरीवाल और उनकी पूरी भ्रष्टाचार में लिप्त पार्टी के द्वारा चलाएं जाने वाले प्रोपेगेंडा को खारिज किया है। अरविंद केजरीवाल एक अभियुक्त है और उनके पास ये अधिकार है की न्यायलय के समक्ष जाकर खुद के लिए कानूनी लड़ाई लड़े जिसको कानून की परिभाषा में “लगाए गए आरोपों को खारिज करना” कहते है जिसका अधिकार केवल माननीय हाईकोर्ट या फिर सर्वोच्च न्यायालय के पास है। ये बात उल्लेखनीय है की अरविंद केजरीवाल जो राहत चाह रहे थे वो उन्हें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राप्त भी नहीं हुई और उनके खिलाफ आरोपों को भी खारिज भी नहीं किया गया है।
शिमला, 14 सितम्बर,[ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री को दिए जाने वाले बेल पर अपना वक्तव्य रखा और बताया कि अरविंद केजरीवाल को पूर्ण रूप से राहत नहीं मिली बल्कि सशर्त जमानत दी गई है। महाजन ने कहा कि जो सीएम किसी फाइल को साइन नहीं कर सकते, दफ्तर नहीं जा सकते, तो उनके लिए बचा ही क्या है? अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद की गरिमा रखते हुए और दिल्ली की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए अपना इस्तीफा देना चाहिए।
महाजन ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कट्टर बेईमान पापी आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को फिर से आईना दिखाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचारी अरविंद केजरीवाल को सशर्त जमानत का आदेश दिया है, इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘जेल वाला सीएम, अब बेल वाला सीएम हो गया है।’ इस आदेश के बाद अरविंद केजरीवाल को तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। लेकिन अरविंद केजरीवाल ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उनमें नैतिकता की एक बूंद भी नहीं बची है। जो अरविंद केजरीवाल पहले कहा करते थे कि अगर किसी पर आरोप लग जाए, तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए, आज उन्हीं केजरीवाल को सशर्त जमानत मिली है। अगर कोई व्यक्ति किसी संवैधानिक पद पर बैठा हो और उसे जेल हो जाए, तो उस व्यक्ति को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
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मगर अरविंद केजरीवाल 6 महीने तक जेल में रहे और आज सशर्त बेल मिलने पर भी इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘भ्रष्टाचार युक्त, सीएम अभियुक्त।’ महाजन ने कहा कि जो अरविंद केजरीवाल पहले कहते थे कि उनकी गिरफ़्तारी गैर कानूनी है, मगर उनके इस वक्तव्य को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 2 न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज किया है और कहा है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी किसी भी रूप से गैर कानूनी नहीं है, बल्कि कानून के अनुरूप है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले से कट्टर बेईमान अरविंद केजरीवाल और उनकी पूरी भ्रष्टाचार में लिप्त पार्टी के द्वारा चलाएं जाने वाले प्रोपेगेंडा को खारिज किया है।
अरविंद केजरीवाल एक अभियुक्त है और उनके पास ये अधिकार है की न्यायलय के समक्ष जाकर खुद के लिए कानूनी लड़ाई लड़े जिसको कानून की परिभाषा में “लगाए गए आरोपों को खारिज करना” कहते है जिसका अधिकार केवल माननीय हाईकोर्ट या फिर सर्वोच्च न्यायालय के पास है। ये बात उल्लेखनीय है की अरविंद केजरीवाल जो राहत चाह रहे थे वो उन्हें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राप्त भी नहीं हुई और उनके खिलाफ आरोपों को भी खारिज भी नहीं किया गया है।
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