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शिमला , 05 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डॉ. प्रवीण कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि जनवरी 2024 से अब तक जिला बिलासपुर मे 141 रोगी स्क्रब टायफस के पाए गये हैं। इसलिय लोगों को स्क्रब टायफस से बचने के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है उन्होंने बताया कि स्क्रब टायफस आमतौर पर झाड़ियों व घास वाले क्षेत्र या खेतों में रहने वाले चूहों के शरीर में पाए जाने वाले पिस्सू से फैलने वाली बीमारी है जो पिस्सू के खून चूसने से होती है जो काटने पर लार छोड़ देते हैं इससे रिकेट्सिया नाम का जीवाणु इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है और रोगी की हालत बिगड़ जाती है। उन्होंने बताया कि इस रोग से त्वचा पर काले रंग की पपड़ी उतरने लग जाती है। जिसकी मदद से डॉक्टर इसका पता लगा पाते हैं। इसके कारण फेफड़ों और दिमाग में संक्रमण हो जाता है। इसके लक्षणः - स्क्रब टायफस से पीड़ित रोगी को तेज बुखार जो 104 से 105 डिग्री तक जा सकता है इस बुखार को लोग जोड़ - तोड़ बुखार भी कहते हैं जोड़ों में दर्द, कम कंपनी के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन, अकड़न, शरीर दर्द, पेट दर्द, कंमजोरी, और शरीर टूटा हुआ लगना तथा पिस्सू के काटने के स्थान पर त्वचा काली होने पर घाव बन जाता है अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू के नीचे, कूल्लों के ऊपर, गिल्टी होना आदि कैसे करें बचाव :- हमें अपने शरीर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए। घर के आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिए। घर के चारों ओर खरपतवार नहीं उगने देनी चाहिए। घर के अंदर व आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। खेतों या झाड़ियों में काम करते समय शरीर को पूरा ढक कर रखें व पांव में भी जूते पहनें ताकि पांव भी नंगे ना रहे। खेतों से आने पर गर्म पानी से नहाए और तौलिया से शरीर को रगड़ कर अच्छी तरह साफ करें स्क्रब टायफस का इलाज बहुत आसान है तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए बुखार कैसा भी हो नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर डॉक्टर का परामर्श अति आवश्यक है। बचाव में ही सुरक्षा है। लापरवाही बरतने पर घातक हो सकता है।
शिमला , 05 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डॉ. प्रवीण कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि जनवरी 2024 से अब तक जिला बिलासपुर मे 141 रोगी स्क्रब टायफस के पाए गये हैं।
इसलिय लोगों को स्क्रब टायफस से बचने के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है उन्होंने बताया कि स्क्रब टायफस आमतौर पर झाड़ियों व घास वाले क्षेत्र या खेतों में रहने वाले चूहों के शरीर में पाए जाने वाले पिस्सू से फैलने वाली बीमारी है जो पिस्सू के खून चूसने से होती है जो काटने पर लार छोड़ देते हैं इससे रिकेट्सिया नाम का जीवाणु इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है और रोगी की हालत बिगड़ जाती है। उन्होंने बताया कि इस रोग से त्वचा पर काले रंग की पपड़ी उतरने लग जाती है। जिसकी मदद से डॉक्टर इसका पता लगा पाते हैं। इसके कारण फेफड़ों और दिमाग में संक्रमण हो जाता है। इसके लक्षणः -
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स्क्रब टायफस से पीड़ित रोगी को तेज बुखार जो 104 से 105 डिग्री तक जा सकता है इस बुखार को लोग जोड़ - तोड़ बुखार भी कहते हैं जोड़ों में दर्द, कम कंपनी के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन, अकड़न, शरीर दर्द, पेट दर्द, कंमजोरी, और शरीर टूटा हुआ लगना तथा पिस्सू के काटने के स्थान पर त्वचा काली होने पर घाव बन जाता है अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू के नीचे, कूल्लों के ऊपर, गिल्टी होना आदि
कैसे करें बचाव :-
हमें अपने शरीर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए। घर के आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिए। घर के चारों ओर खरपतवार नहीं उगने देनी चाहिए। घर के अंदर व आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। खेतों या झाड़ियों में काम करते समय शरीर को पूरा ढक कर रखें व पांव में भी जूते पहनें ताकि पांव भी नंगे ना रहे। खेतों से आने पर गर्म पानी से नहाए और तौलिया से शरीर को रगड़ कर अच्छी तरह साफ करें स्क्रब टायफस का इलाज बहुत आसान है तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए बुखार कैसा भी हो नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर डॉक्टर का परामर्श अति आवश्यक है। बचाव में ही सुरक्षा है। लापरवाही बरतने पर घातक हो सकता है।
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