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मंदिरों से पैसा वसूलने पर उप मुख्यमंत्री के बयान पर अजय राणा की प्रतिक्रिया
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शिमला , 02 मार्च [ विशाल सूद ] : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने अजय राणा ने कहा कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री झूठ बोलने में भी मुख्यमंत्री की बराबरी करना चाहते हैं। उन्हीं के मंत्रालय से जुड़ा पत्र उन्हीं के मंत्रालय के सचिव द्वारा प्रदेश के उपायुक्त को 29 जनवरी को भेजा गया है लेकिन उपमुख्यमंत्री भी उस पत्र से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मीडिया में प्रकाशित होने के बाद भी क्या उपमुख्यमंत्री को उस पत्र की जानकारी नहीं है या वह जानबूझकर पूरे मामले को झुठला रहे हैं। अगर उन्होंने पैसा मांगा है तो उन्हें यह बात स्वीकारने में समस्या क्यों हो रही है? सरकार की इस हरकत से सरकार की मंशा पर ही सवाल उठ रहे हैं कि जो काम सरकार अपने अधिकारियों के माध्यम से करवा सकती है उसे पब्लिकली स्वीकार क्यों नहीं कर रही है? मंदिरों से पैसा वसूलने के मामले में पहले मुख्यमंत्री झूठ बोला और अब उपमुख्यमंत्री भी उन्हीं की भाषा बोल रहे हैं। यह बात हास्यास्पद और शर्मनाक है। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बजटेड स्कीम के लिए मंदिरों से जबरदस्ती पैसा लेने वाले और कागजों को झुठलाने में लगे हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस की मुखिया और मंत्री पैसा लेने की बात स्वीकार कर रहे हैं। पूरे प्रदेश में कांग्रेस नीत सुक्खू सरकार की इस पर थू-थू भी हो चुकी है। जिस योजना के लिए मंदिर से धन मंगा जा रहा है उसी योजना के प्रचार प्रसार में ही सरकार ने जमकर पैसा खर्च कर दिया योजना के लाभार्थियों के लिए एक कोई खास धनराशि भी नहीं रखी। सत्ता में आने के बाद से ही मुख्यमंत्री ने अपने सनातन विरोधी होने के कई सारे प्रमाण दे चुके हैं। देश भर में घूम-घूम कर वह कह चुके हैं कि हमने 97 पर्सेंट हिंदू विचारधारा को हराकर सत्ता हासिल की है। वह भूल जाते हैं की हिमाचल प्रदेश के लोगों ने सत्ता उन्हें उनकी 10 गारंटियों की वजह से सौंपी थी। जिसमें से सरकार ने एक भी गारंटी पूरा नहीं की जिसके कारण आने वाले समय में कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी।
शिमला , 02 मार्च [ विशाल सूद ] : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने अजय राणा ने कहा कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री झूठ बोलने में भी मुख्यमंत्री की बराबरी करना चाहते हैं। उन्हीं के मंत्रालय से जुड़ा पत्र उन्हीं के मंत्रालय के सचिव द्वारा प्रदेश के उपायुक्त को 29 जनवरी को भेजा गया है लेकिन उपमुख्यमंत्री भी उस पत्र से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मीडिया में प्रकाशित होने के बाद भी क्या उपमुख्यमंत्री को उस पत्र की जानकारी नहीं है या वह जानबूझकर पूरे मामले को झुठला रहे हैं।
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अगर उन्होंने पैसा मांगा है तो उन्हें यह बात स्वीकारने में समस्या क्यों हो रही है? सरकार की इस हरकत से सरकार की मंशा पर ही सवाल उठ रहे हैं कि जो काम सरकार अपने अधिकारियों के माध्यम से करवा सकती है उसे पब्लिकली स्वीकार क्यों नहीं कर रही है?
मंदिरों से पैसा वसूलने के मामले में पहले मुख्यमंत्री झूठ बोला और अब उपमुख्यमंत्री भी उन्हीं की भाषा बोल रहे हैं। यह बात हास्यास्पद और शर्मनाक है। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बजटेड स्कीम के लिए मंदिरों से जबरदस्ती पैसा लेने वाले और कागजों को झुठलाने में लगे हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस की मुखिया और मंत्री पैसा लेने की बात स्वीकार कर रहे हैं।
पूरे प्रदेश में कांग्रेस नीत सुक्खू सरकार की इस पर थू-थू भी हो चुकी है। जिस योजना के लिए मंदिर से धन मंगा जा रहा है उसी योजना के प्रचार प्रसार में ही सरकार ने जमकर पैसा खर्च कर दिया योजना के लाभार्थियों के लिए एक कोई खास धनराशि भी नहीं रखी। सत्ता में आने के बाद से ही मुख्यमंत्री ने अपने सनातन विरोधी होने के कई सारे प्रमाण दे चुके हैं। देश भर में घूम-घूम कर वह कह चुके हैं कि हमने 97 पर्सेंट हिंदू विचारधारा को हराकर सत्ता हासिल की है।
वह भूल जाते हैं की हिमाचल प्रदेश के लोगों ने सत्ता उन्हें उनकी 10 गारंटियों की वजह से सौंपी थी। जिसमें से सरकार ने एक भी गारंटी पूरा नहीं की जिसके कारण आने वाले समय में कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी।
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