वर्ष 2016 में केंद्र सरकार द्वारा नाहन जिला अस्पताल को वाई.एस. परमार मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड करने की स्वीकृति दी गयी थी तथा केंद्र और राज्य सरकार के बीच निधि संझाकरण प्रणाली 90: 10 तय किया गया था सुरेश कश्यप ने लोक सभा में उठाया डॉक्टर यशवंत सिंह परमार मेडिकल कॉलेज निर्माण में देरी का मामला
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शिमला , 06 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप के बताया कि मैं धन्यवाद करता हूँ कि लोक सभा अध्यक्ष ने नियम 377 के अंतर्गत मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया। महोदय आपके माध्यम से माननीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहूंगा कि मेरी लोकसभा क्षेत्र शिमला के सिरमौर जिले के नाहन में स्थित डॉक्टर यशवंत सिंह परमार मेडिकल कॉलेज निर्माण में देरी और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों के बीच संघर्ष कर रहा है। पहले भी मेरी तरफ से सदन के माध्यम से इस विषय को रखा गया था। महोदय, वर्ष 2016 में केंद्र सरकार द्वारा नाहन जिला अस्पताल को वाई.एस. परमार मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड करने की स्वीकृति दी गयी थी तथा केंद्र और राज्य सरकार के बीच निधि संझाकरण प्रणाली 90: 10 तय किया गया था। योजना के प्रथम चरण के तहत 189 करोड़ रू स्वीकृत किये गए थे। केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार को 170 करोड़ रू का सम्पूर्ण हिस्सा जारी कर दिया है, परन्तु वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा योजना का क्रियान्वन और कमीशनिंग का कार्य करने में असमर्थ साबित हो रही है। प्रदेश सरकार इस योजना को गंभीरता पूर्वक नहीं ले रही है। आज सुविधाओं के विस्तार में प्रगति की कमी के कारण क्षेत्र की स्वास्थय समबन्धित माँगों को प्रभावी ढंग से पूरा करने में असमर्थता पैदा हो गई है। 8 वर्ष बीतने के बाद भी आज पूर्णतः कार्यात्मक संस्थान नहीं हो पाया है। लगभग 1000 रोगियों की औसत दैनिक उपस्थिति वाले बाह्य रोगी विभाग में अत्यधिक भीड़ होने के कारण चार डॉक्टरों को एक ही छोटा कमरा साझा करना पड़ता है। निर्माण में देरी दो साल से अधिक समय से ठप्प रहने से राज्य में स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा प्रभावित हो रही है। जगह की कमी, अत्यधिक भीड़, सीमित सुविधाएं और अपर्याप्त पार्किंग आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी, कोई एमआरआई मशीन नहीं होने के कारण मरीज को निजी सेवाएं लेने के लिए राज्य से बाहर जाने पर मजबूर किया जा रहा है। विशेष रूप से रेडियोग्राफरों और नर्सों की गंभीर, सीमित कक्षाएँ और प्रशिक्षण सुविधाएँ और संसाधनों तक छात्रों की पहुँच कम होना सुविधाओं के विस्तार में प्रगति की कमी के परिणामस्वरूप संस्थान क्षेत्र की मांगों को प्रभावी ढंग से पूरा नहीं हो पा रहा है। अतः मेरा आपसे निवेदन है कि केंद्र सरकार इस योजना की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक कदम उठायें ताकि यह योजना जल्द से जल्द कर आम जन को समर्पित की जा सके।
शिमला , 06 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप के बताया कि मैं धन्यवाद करता हूँ कि लोक सभा अध्यक्ष ने नियम 377 के अंतर्गत मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया। महोदय आपके माध्यम से माननीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहूंगा कि मेरी लोकसभा क्षेत्र शिमला के सिरमौर जिले के नाहन में स्थित डॉक्टर यशवंत सिंह परमार मेडिकल कॉलेज निर्माण में देरी और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों के बीच संघर्ष कर रहा है।
पहले भी मेरी तरफ से सदन के माध्यम से इस विषय को रखा गया था। महोदय, वर्ष 2016 में केंद्र सरकार द्वारा नाहन जिला अस्पताल को वाई.एस. परमार मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड करने की स्वीकृति दी गयी थी तथा केंद्र और राज्य सरकार के बीच निधि संझाकरण प्रणाली 90: 10 तय किया गया था। योजना के प्रथम चरण के तहत 189 करोड़ रू स्वीकृत किये गए थे।
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केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार को 170 करोड़ रू का सम्पूर्ण हिस्सा जारी कर दिया है, परन्तु वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा योजना का क्रियान्वन और कमीशनिंग का कार्य करने में असमर्थ साबित हो रही है। प्रदेश सरकार इस योजना को गंभीरता पूर्वक नहीं ले रही है। आज सुविधाओं के विस्तार में प्रगति की कमी के कारण क्षेत्र की स्वास्थय समबन्धित माँगों को प्रभावी ढंग से पूरा करने में असमर्थता पैदा हो गई है।
8 वर्ष बीतने के बाद भी आज पूर्णतः कार्यात्मक संस्थान नहीं हो पाया है। लगभग 1000 रोगियों की औसत दैनिक उपस्थिति वाले बाह्य रोगी विभाग में अत्यधिक भीड़ होने के कारण चार डॉक्टरों को एक ही छोटा कमरा साझा करना पड़ता है। निर्माण में देरी दो साल से अधिक समय से ठप्प रहने से राज्य में स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा प्रभावित हो रही है। जगह की कमी, अत्यधिक भीड़, सीमित सुविधाएं और अपर्याप्त पार्किंग आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी, कोई एमआरआई मशीन नहीं होने के कारण मरीज को निजी सेवाएं लेने के लिए राज्य से बाहर जाने पर मजबूर किया जा रहा है।
विशेष रूप से रेडियोग्राफरों और नर्सों की गंभीर, सीमित कक्षाएँ और प्रशिक्षण सुविधाएँ और संसाधनों तक छात्रों की पहुँच कम होना सुविधाओं के विस्तार में प्रगति की कमी के परिणामस्वरूप संस्थान क्षेत्र की मांगों को प्रभावी ढंग से पूरा नहीं हो पा रहा है। अतः मेरा आपसे निवेदन है कि केंद्र सरकार इस योजना की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक कदम उठायें ताकि यह योजना जल्द से जल्द कर आम जन को समर्पित की जा सके।
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