- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला , 11 नवंबर [ विशाल सूद ] ! टिप्पणी की है शर्मा ने कहा, मित्रों की सरकार के सरदार समोसों की जांच करवा रहे है। उन्हीं के वजीर हर्षवर्धन चौहान मित्रों को लेकर के 5 मुल्कों की सैर पर निकल गए हैं। शायद यही व्यवस्था परिवर्तन है। कुछ रोज पूर्व कृषि मंत्री चंद्र कुमार के विरोध के पश्चात कृषि विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर विदेश यात्रा पर चले गए थे। आज 5 मुल्कों की विदेश यात्रा पर अपने साथ 3 विधायकों व अधिकारियों का जमावड़ा लेकर हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने की यात्रा पर उद्योग मंत्री निकल गए हैं और उनका पहला पड़ाव होगा हिटलर की कर्मभूमि जर्मनी में। अपने यहां स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की प्रतिमा लगे ना लगे लेकिन हिटलर की कर्म भूमि किसी तीर्थ से कम नहीं है।उनके साथ गए तीन विधायक विनोद सुल्तानपुरी अवश्य ही नीदरलैंड की ट्यूलिप खेती का आनंद प्राप्त करेंगे।अपने प्रदेश में फूल उत्पादकों को फूल बाजार तक भेजने के लिए चाहे एचआरटीसी को डबल किराया देना पड़ रहा हो। गोमा साहब अवश्य ही बेल्जियम की चॉकलेट का आनंद लेंगे, हिमाचल प्रदेश में चाहे फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स बंद हो रहे हो या चॉकलेट बनाने वाली कंपनियां बी.बी.एन से पलायन कर रही हो क्या फर्क पड़ता है। भोरंज के विधायक सुरेश कुमार अवश्य ही जर्मन पहुंच कर इलेक्ट्रिकल वाहन बीएमडब्ल्यू का आनंद लेंगे। प्रदेश में चाहे जिला व तहसील सचिवालयों से कम इलेक्ट्रिकल चार्जिंग स्टेशंस हो औद्योगिक विभाग के सी.पी.एस रामकुमार चौधरी जिसको जाना चाहिए था वह कांग्रेस की अंन्तर कलह का शिकार होकर यही रह गए। इस 10 दिवसीय दौरे पर चेक रिपब्लिक व लक्जमबर्ग की अर्थव्यवस्था को समझते हुए स्वदेश लौटेंगे हर्षवर्धन चौहान। दुर्भाग्य है, व्यवस्था परिवर्तन का प्रदेश की अर्थव्यवस्था और कर्जे का रोना रोने वाली सरकार आर्थिक ही नहीं मानसिक रूप से भी दिवालिया हो चुकी है। विभागीय जानकारी के अनुसार यह पांच देशों का प्रवास, डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग पार्क के लिए विदेशी निवेशक तलाशना है।जो भारत वर्ष की मूल भावना और व्यवस्था के विरुद्ध है। भारत अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भारतीयों की भागेदारी चाहता है और इसी दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश को बल्क ड्रग पार्क और डिवाइस पार्क मिला है ताकि देश में औद्योगिक घराने औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो और हम आत्मनिर्भर एवं स्वाभिमान प्राप्त कर सकें और विदेशों को निर्यात कर सकें। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के तलवे चाटने वाली मानसिकता आज भी वही रुकी हुई है। ताकि विदेशी भारत आए हमें मजदूरों की तरह उपयोग करें और धन कमा कर वापस चले जाएं। प्रदेश की जनता को विचार करना होगा कि कांग्रेस की मानसिकता क्या है और आखिर क्यों भारत के औद्योगिक घरानों व उद्योगपतियों पर कांग्रेस टिप्पणियां करती हैं।
शिमला , 11 नवंबर [ विशाल सूद ] ! टिप्पणी की है शर्मा ने कहा, मित्रों की सरकार के सरदार समोसों की जांच करवा रहे है। उन्हीं के वजीर हर्षवर्धन चौहान मित्रों को लेकर के 5 मुल्कों की सैर पर निकल गए हैं।
शायद यही व्यवस्था परिवर्तन है। कुछ रोज पूर्व कृषि मंत्री चंद्र कुमार के विरोध के पश्चात कृषि विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर विदेश यात्रा पर चले गए थे। आज 5 मुल्कों की विदेश यात्रा पर अपने साथ 3 विधायकों व अधिकारियों का जमावड़ा लेकर हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने की यात्रा पर उद्योग मंत्री निकल गए हैं और उनका पहला पड़ाव होगा हिटलर की कर्मभूमि जर्मनी में।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
अपने यहां स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की प्रतिमा लगे ना लगे लेकिन हिटलर की कर्म भूमि किसी तीर्थ से कम नहीं है।
उनके साथ गए तीन विधायक विनोद सुल्तानपुरी अवश्य ही नीदरलैंड की ट्यूलिप खेती का आनंद प्राप्त करेंगे।
अपने प्रदेश में फूल उत्पादकों को फूल बाजार तक भेजने के लिए चाहे एचआरटीसी को डबल किराया देना पड़ रहा हो।
गोमा साहब अवश्य ही बेल्जियम की चॉकलेट का आनंद लेंगे, हिमाचल प्रदेश में चाहे फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स बंद हो रहे हो या चॉकलेट बनाने वाली कंपनियां बी.बी.एन से पलायन कर रही हो क्या फर्क पड़ता है। भोरंज के विधायक सुरेश कुमार अवश्य ही जर्मन पहुंच कर इलेक्ट्रिकल वाहन बीएमडब्ल्यू का आनंद लेंगे।
प्रदेश में चाहे जिला व तहसील सचिवालयों से कम इलेक्ट्रिकल चार्जिंग स्टेशंस हो औद्योगिक विभाग के सी.पी.एस रामकुमार चौधरी जिसको जाना चाहिए था वह कांग्रेस की अंन्तर कलह का शिकार होकर यही रह गए। इस 10 दिवसीय दौरे पर चेक रिपब्लिक व लक्जमबर्ग की अर्थव्यवस्था को समझते हुए स्वदेश लौटेंगे हर्षवर्धन चौहान।
दुर्भाग्य है, व्यवस्था परिवर्तन का प्रदेश की अर्थव्यवस्था और कर्जे का रोना रोने वाली सरकार आर्थिक ही नहीं मानसिक रूप से भी दिवालिया हो चुकी है। विभागीय जानकारी के अनुसार यह पांच देशों का प्रवास, डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग पार्क के लिए विदेशी निवेशक तलाशना है।जो भारत वर्ष की मूल भावना और व्यवस्था के विरुद्ध है।
भारत अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भारतीयों की भागेदारी चाहता है और इसी दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश को बल्क ड्रग पार्क और डिवाइस पार्क मिला है ताकि देश में औद्योगिक घराने औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो और हम आत्मनिर्भर एवं स्वाभिमान प्राप्त कर सकें और विदेशों को निर्यात कर सकें। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के तलवे चाटने वाली मानसिकता आज भी वही रुकी हुई है।
ताकि विदेशी भारत आए हमें मजदूरों की तरह उपयोग करें और धन कमा कर वापस चले जाएं। प्रदेश की जनता को विचार करना होगा कि कांग्रेस की मानसिकता क्या है और आखिर क्यों भारत के औद्योगिक घरानों व उद्योगपतियों पर कांग्रेस टिप्पणियां करती हैं।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -