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शिमला ! लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज यहां कहा कि राज्य सरकार के सतत प्रयासों और आग्रह के फलस्वरूप केंद्र सरकार ने प्रदेश को 15वें वित्त आयोग के तहत राष्ट्रीय डेटा केंद्र के लिए नगरपालिका साझा सेवा केंद्रों (एमएसएससी) की स्थापना के दृष्टिगत 50 करोड़ रुपये की अनुदान राशि स्वीकृत की है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के मार्गदर्शन में राज्य सरकार शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाकर नगर प्रशासन के आधुनिकीकरण के लिए निरंतर कार्यरत है। प्रदेश सरकार सीमित श्रमशक्ति, वित्तीय संसाधनों की कमी और तकनीकी सहायता के अभाव जैसी चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में कार्य कर रही है। एमएसएससी की स्थापना से नगर पालिकाओं में प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी और लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएगी। लोक निर्माण मंत्री ने बताया कि पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तर्ज पर इन केंद्रों के माध्यम से लोगों को जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, व्यापार लाइसेंस जारी करने तथा शिकायत निवारण जैसी आवश्यक जन सेवाएं को सुगमता से उपलब्ध होगी। इसके अतिरिक्त यह केंद्र लेखा कार्य, पेरोल मेनेजमेंट और वेंडर के भुगतानों के लिए एक केंद्रित प्रणाली के रूप में कार्य करेंगे। कर संग्रह, कचरा प्रबंधन और रखरखाव कार्य जैसी सुविधाएं घर-द्वार के निकट उपलब्ध होगी, जिससे छोटे नगर निकायों की कार्यप्रणाली में उल्लेखनीय सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शहरी विकास नवाचारों के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस अनुदान से राज्य में शहरी स्थानीय निकायों के तीन क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे, जिससे नगर प्रशासन तकनीकी रूप से सक्षम बनेगा और लोगों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि मंत्रालय द्वारा हिमाचल के लिए शीघ्र धनराशि जारी करने का प्रस्ताव दिया जा चुका है। हिमाचल के अलावा असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड को भी यह अनुदान मिलेगा। यह राशि दो चरणों में वितरित की जाएगी। इसके तहत 50 प्रतिशत राशि मंजूरी के समय और शेष राशि एमएसएससी मॉडल के संचालन के बाद जारी की जाएगी। इस परियोजना का प्रभावी क्रियान्वयन और मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार एक त्रि-पक्षीय संस्था की नियुक्ति करेगी।उन्होंने कहा कि एमएसएससी मॉडल से संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग और सेवा वितरण में सुधार होगा, जिससे राज्य के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग लाभान्वित होंगे।
शिमला ! लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज यहां कहा कि राज्य सरकार के सतत प्रयासों और आग्रह के फलस्वरूप केंद्र सरकार ने प्रदेश को 15वें वित्त आयोग के तहत राष्ट्रीय डेटा केंद्र के लिए नगरपालिका साझा सेवा केंद्रों (एमएसएससी) की स्थापना के दृष्टिगत 50 करोड़ रुपये की अनुदान राशि स्वीकृत की है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के मार्गदर्शन में राज्य सरकार शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाकर नगर प्रशासन के आधुनिकीकरण के लिए निरंतर कार्यरत है। प्रदेश सरकार सीमित श्रमशक्ति, वित्तीय संसाधनों की कमी और तकनीकी सहायता के अभाव जैसी चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में कार्य कर रही है। एमएसएससी की स्थापना से नगर पालिकाओं में प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी और लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएगी।
लोक निर्माण मंत्री ने बताया कि पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तर्ज पर इन केंद्रों के माध्यम से लोगों को जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, व्यापार लाइसेंस जारी करने तथा शिकायत निवारण जैसी आवश्यक जन सेवाएं को सुगमता से उपलब्ध होगी। इसके अतिरिक्त यह केंद्र लेखा कार्य, पेरोल मेनेजमेंट और वेंडर के भुगतानों के लिए एक केंद्रित प्रणाली के रूप में कार्य करेंगे। कर संग्रह, कचरा प्रबंधन और रखरखाव कार्य जैसी सुविधाएं घर-द्वार के निकट उपलब्ध होगी, जिससे छोटे नगर निकायों की कार्यप्रणाली में उल्लेखनीय सुधार आएगा।
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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शहरी विकास नवाचारों के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस अनुदान से राज्य में शहरी स्थानीय निकायों के तीन क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे, जिससे नगर प्रशासन तकनीकी रूप से सक्षम बनेगा और लोगों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि मंत्रालय द्वारा हिमाचल के लिए शीघ्र धनराशि जारी करने का प्रस्ताव दिया जा चुका है। हिमाचल के अलावा असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड को भी यह अनुदान मिलेगा। यह राशि दो चरणों में वितरित की जाएगी। इसके तहत 50 प्रतिशत राशि मंजूरी के समय और शेष राशि एमएसएससी मॉडल के संचालन के बाद जारी की जाएगी। इस परियोजना का प्रभावी क्रियान्वयन और मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार एक त्रि-पक्षीय संस्था की नियुक्ति करेगी।उन्होंने कहा कि एमएसएससी मॉडल से संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग और सेवा वितरण में सुधार होगा, जिससे राज्य के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग लाभान्वित होंगे।
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