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शिमला , 24 जून, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! हिमाचल के हिन्दी कवि मोहन साहिल के दूसरे कविता संग्रह "देवदार रहेंगे मौन" का लोकार्पण प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सोमवार को विश्व पुस्तक मेले में किया। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित कवियों और साहित्यकारों को बधाई देते हुए कहा कि आज रचा जा रहा साहित्य भावी पीढ़ियों के लिए एक पूँजी साबित होगी। लोकार्पण के बाद गेयटी के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित संग्रह पर परिचर्चा का आयोजन हुआ जिसमें पंजाबी की प्रसिद्ध कवियत्री पॉल कौर ने अध्यक्षता की और प्रसिद्ध कवि आलोचक डॉ सत्यपाल सहगल उपाध्यक्ष के रूप में रहे. सहित कई वरिष्ठ साहित्यकार जिनमें के आर भारती, डॉ करमसिंह,एस आर हरनोट, रोशन जसवाल, रत्नचंद निरझर, ओम भारद्वावाज़, वरनीश विदित, देवेंद्र धर, नरेश देवग, मुंशी शर्मा, तरुण, आधार प्रकाशन के प्रमुख देश निर्मोही सहित कई लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में कविता संग्रह पर तीन आलोचकों ने पत्र प्रस्तुत किए जिनमें सबसे पहले दीप्ती सारस्वत, उसके बाद अजेय और अंत में दिनेश शर्मा ने पत्र प्रस्तुत किए। मंच संचालन डॉ सत्य नारायण स्नेही ने किया। इन पत्रों में साहिल की कविताओं उनकी खूबियों और खामियों पर विस्तार से टिप्पणी की गई थी. अतिथि साहित्यकारों देवेंद्र धर और के आर भारती ने भी अपने विचार रखे। अंत में अध्यक्षीय टिप्पणी से पूर्व डॉ सत्यपाल सहगल ने तीनों पढ़े गए पत्रों पर अपने विचार रखे और कहा कि ये संग्रह हिन्दी कविता में गरीब और मज़लूम के लौटने की सूचना है। उन्होंने कहा कि संग्रह की कविताएं मुक्तिबोध और लालसिंह दिल की छुअन लिए हैं। उन्होंने कहा कि संग्रह पढ़ने के बाद हो सकता है पाठक कहे अरे इसी की प्रतीक्षा थी। अंत में अध्यक्षीय टिप्पणी करते हुए पॉल कौर ने कविताओं में मौजूद अध्यात्म, धर्म और ईमानदारी की ओर इशारा किया और प्रकाशक को हिन्दी साहित्य जगत को इतनी खूबसूरत कविताएं देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आज इसी प्रकार के साहित्य की जरूरत है जो धरती, उसके पर्यावरण और इंसानियत को बचाने की बात करता हो। इस अवसर पर साहित्य संस्था सर्जक के सदस्य लेखक सुनील ग्रोवर, वेद शर्मा, अरुणजीत ठाकुर, रणवीर गुलेरिया, सुनील हैटा, संदीप वर्मा, सुशील शर्मा सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित रहे।
शिमला , 24 जून, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! हिमाचल के हिन्दी कवि मोहन साहिल के दूसरे कविता संग्रह "देवदार रहेंगे मौन" का लोकार्पण प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सोमवार को विश्व पुस्तक मेले में किया। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित कवियों और साहित्यकारों को बधाई देते हुए कहा कि आज रचा जा रहा साहित्य भावी पीढ़ियों के लिए एक पूँजी साबित होगी।
लोकार्पण के बाद गेयटी के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित संग्रह पर परिचर्चा का आयोजन हुआ जिसमें पंजाबी की प्रसिद्ध कवियत्री पॉल कौर ने अध्यक्षता की और प्रसिद्ध कवि आलोचक डॉ सत्यपाल सहगल उपाध्यक्ष के रूप में रहे. सहित कई वरिष्ठ साहित्यकार जिनमें के आर भारती, डॉ करमसिंह,एस आर हरनोट, रोशन जसवाल, रत्नचंद निरझर, ओम भारद्वावाज़, वरनीश विदित, देवेंद्र धर, नरेश देवग, मुंशी शर्मा, तरुण, आधार प्रकाशन के प्रमुख देश निर्मोही सहित कई लोग उपस्थित रहे।
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कार्यक्रम में कविता संग्रह पर तीन आलोचकों ने पत्र प्रस्तुत किए जिनमें सबसे पहले दीप्ती सारस्वत, उसके बाद अजेय और अंत में दिनेश शर्मा ने पत्र प्रस्तुत किए। मंच संचालन डॉ सत्य नारायण स्नेही ने किया। इन पत्रों में साहिल की कविताओं उनकी खूबियों और खामियों पर विस्तार से टिप्पणी की गई थी. अतिथि साहित्यकारों देवेंद्र धर और के आर भारती ने भी अपने विचार रखे। अंत में अध्यक्षीय टिप्पणी से पूर्व डॉ सत्यपाल सहगल ने तीनों पढ़े गए पत्रों पर अपने विचार रखे और कहा कि ये संग्रह हिन्दी कविता में गरीब और मज़लूम के लौटने की सूचना है।
उन्होंने कहा कि संग्रह की कविताएं मुक्तिबोध और लालसिंह दिल की छुअन लिए हैं। उन्होंने कहा कि संग्रह पढ़ने के बाद हो सकता है पाठक कहे अरे इसी की प्रतीक्षा थी। अंत में अध्यक्षीय टिप्पणी करते हुए पॉल कौर ने कविताओं में मौजूद अध्यात्म, धर्म और ईमानदारी की ओर इशारा किया और प्रकाशक को हिन्दी साहित्य जगत को इतनी खूबसूरत कविताएं देने के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा कि आज इसी प्रकार के साहित्य की जरूरत है जो धरती, उसके पर्यावरण और इंसानियत को बचाने की बात करता हो। इस अवसर पर साहित्य संस्था सर्जक के सदस्य लेखक सुनील ग्रोवर, वेद शर्मा, अरुणजीत ठाकुर, रणवीर गुलेरिया, सुनील हैटा, संदीप वर्मा, सुशील शर्मा सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित रहे।
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