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शिमला, 20 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत किसानों को आय के अतिरिक्त साधन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए। उन्होंने राज्य में आलू आधारित उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। राज्यपाल आज यहां केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला के 76वें स्थापना दिवस पर मुख्यातिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने संस्थान को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि लोगों को पोषणयुक्त खाद्य सामग्री सुनिश्चित करने के लिए फसलों का विविधिकरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा क आलू देश की प्रमुख फसल है, जिसका कुल सब्जी उत्पादन में 28 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा कि विश्व में चीन के बाद भारत का आलू उत्पादन में दूसरा स्थान है। वैश्विक आलू उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत उत्पादन भारत में किया जाता है। वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने आलू के निर्यात मूल्य में 20 अरब रुपये से अधिक की रिकॉड बढ़़ोतरी दर्ज की थी। राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लगभग 14000 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती की जाती है, जिसमें लगभग दो लाख टन आलू का उत्पादन किया जाता है। हिमाचल में उच्च गुणवत्ता वाले आलू उगाए जाते हैं, जिससे किसानों को अच्छी आय होती है। उन्होंने संस्थान को कुफरी हिमालिनी, कुफरी गिरधारी और कुफरी करण जैसी तुषार (ब्लाइट) प्रतिरोधी आलू की किस्में विकसित करने के लिए बधाई दी। शुक्ल ने कहा कि संस्थान द्वारा किए गए शोध कार्य और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के कारण भारत विश्व में आलू के प्रमुख उत्पादक के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों में आलू उत्पादन तथा आलू उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि हुई है। उन्होंने संस्थान को आलू की 70 से अधिक किस्में विकसित करने और वायरसमुक्त बीज आलू के उत्पादन के लिए एरोपोनिक तकनीक विकसित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने प्रजातियों और तकनीकों के भौतिक संरक्षण के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने संस्थान को 25 से अधिक पेटेंट करने के लिए भी बधाई दी। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में राज्य में आलू की खेती के प्रति किसानों की घटती रूचि पर चिंता व्यक्त की और वैज्ञानिकों से अनुसंधान के माध्यम से इससे संबंधित विभिन्न समस्याआंे का पता लगाने का आग्रह किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने आईसीएआर-सीपीआरआई शिमला के कर्मियों को इस क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए पुरस्कृत किया। उन्होंने संस्थान के कर्मचारियों को उत्तर भारत खेलकूद प्रतियोगिता पुरस्कार और किसानों को कृषि उपकरण भी वितरित किए।नगर निगम शिमला के महापौर सुरेन्द्र चौहान ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आलू उत्पादन में वृद्धि के लिए तकनीक के उपयोग पर बल दिया। कृषि वैज्ञाानिक भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया। इससे पूर्व, आईसीएआर- केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक डॉ. ब्रजेश सिंह ने राज्यपाल का स्वागत किया और संस्थान की उपलब्धियों के बारे में अवगत करवाया।सामाजिक विज्ञान प्रभाग के प्रमुख डॉ. आलोक कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। सीपीआरआई शिमला के वैज्ञानिक प्रगतिशील किसान और ऑकलैंड हाउस स्कूल के विद्यार्थी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
शिमला, 20 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] !
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत किसानों को आय के अतिरिक्त साधन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए। उन्होंने राज्य में आलू आधारित उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
राज्यपाल आज यहां केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला के 76वें स्थापना दिवस पर मुख्यातिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
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राज्यपाल ने संस्थान को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि लोगों को पोषणयुक्त खाद्य सामग्री सुनिश्चित करने के लिए फसलों का विविधिकरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा क आलू देश की प्रमुख फसल है, जिसका कुल सब्जी उत्पादन में 28 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा कि विश्व में चीन के बाद भारत का आलू उत्पादन में दूसरा स्थान है। वैश्विक आलू उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत उत्पादन भारत में किया जाता है। वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने आलू के निर्यात मूल्य में 20 अरब रुपये से अधिक की रिकॉड बढ़़ोतरी दर्ज की थी।
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लगभग 14000 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती की जाती है, जिसमें लगभग दो लाख टन आलू का उत्पादन किया जाता है। हिमाचल में उच्च गुणवत्ता वाले आलू उगाए जाते हैं, जिससे किसानों को अच्छी आय होती है। उन्होंने संस्थान को कुफरी हिमालिनी, कुफरी गिरधारी और कुफरी करण जैसी तुषार (ब्लाइट) प्रतिरोधी आलू की किस्में विकसित करने के लिए बधाई दी।
शुक्ल ने कहा कि संस्थान द्वारा किए गए शोध कार्य और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के कारण भारत विश्व में आलू के प्रमुख उत्पादक के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों में आलू उत्पादन तथा आलू उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
उन्होंने संस्थान को आलू की 70 से अधिक किस्में विकसित करने और वायरसमुक्त बीज आलू के उत्पादन के लिए एरोपोनिक तकनीक विकसित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने प्रजातियों और तकनीकों के भौतिक संरक्षण के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने संस्थान को 25 से अधिक पेटेंट करने के लिए भी बधाई दी। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में राज्य में आलू की खेती के प्रति किसानों की घटती रूचि पर चिंता व्यक्त की और वैज्ञानिकों से अनुसंधान के माध्यम से इससे संबंधित विभिन्न समस्याआंे का पता लगाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने आईसीएआर-सीपीआरआई शिमला के कर्मियों को इस क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए पुरस्कृत किया। उन्होंने संस्थान के कर्मचारियों को उत्तर भारत खेलकूद प्रतियोगिता पुरस्कार और किसानों को कृषि उपकरण भी वितरित किए।
नगर निगम शिमला के महापौर सुरेन्द्र चौहान ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आलू उत्पादन में वृद्धि के लिए तकनीक के उपयोग पर बल दिया।
कृषि वैज्ञाानिक भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया।
इससे पूर्व, आईसीएआर- केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक डॉ. ब्रजेश सिंह ने राज्यपाल का स्वागत किया और संस्थान की उपलब्धियों के बारे में अवगत करवाया।
सामाजिक विज्ञान प्रभाग के प्रमुख डॉ. आलोक कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
सीपीआरआई शिमला के वैज्ञानिक प्रगतिशील किसान और ऑकलैंड हाउस स्कूल के विद्यार्थी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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