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शिमला , 06 नवंबर ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सहभागिता से देवभूमि से नशे की बुराई का समूल नाश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि की सार्थकता को बनाए रखने के लिए सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित कर प्रदेश के भविष्य युवाओं को नशे की प्रवृति से बचाया जाएगा। राज्यपाल ने आज राजभवन में पंचायती राज विभाग द्वारा नशीले पदार्थों और मादक पदार्थों के सेवन से निपटने में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की राज्य के स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिरता और आर्थिक प्रगति को प्रभावित करने वाले विषय के सार्थक समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि युवा समाज की अमूल्य निधि है और युवाओं से जुड़े मामलों को प्रभावी ढंग से सुलझाने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि नशे की बुराई से निपटने में पंचायती राज संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और जनप्रतिनिधि के तौर पर वे लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों से जागरूक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समुदाय के साथ घनिष्ठ संबंध बनाकर पंचायतें संवेदनशील लोगों की पहचान कर उन्हें नशे की आदत लगने से पहले उन्हें सहायता प्रदान कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थानों की नशे की आदत से मजबूर लोगों और उनके परिवारों को सहायता प्रदान करने में स्थानीय सहायता समूहों, पुनर्वास कार्यक्रमों और परामर्श केंद्रों के विकास को प्रोत्साहित करने में अहम भूमिका रहती है। राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में नशे के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसके कारण सामाजिक मूल्य नष्ट हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस नशे पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी तरीके से कार्य कर रही है, साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों को भी लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका निभानी चाहिए और प्रदेश सरकार को नशा निवारण केंद्र संचालित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचायतें स्थानीय कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर काम कर लोगों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक निगरानी और सतर्कता समितियों की स्थापना से मादक पदार्थों की अवैध तस्करी पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों को निर्णायक और प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने सदस्यों को जिम्मेदारी से कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम सहभागिता के साथ इस नशे की बुराई पर अंकुश लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला मादक पदार्थों के दुरुपयोग के विरूद्ध हमारी सामूहिक लड़ाई को मजबूत करने में एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने प्रत्येक प्रतिभागी से इस कार्यशाला से मिलने वाले ज्ञान और रणनीतियों को धरातल में उतारने के लिए कहा। इस अवसर पर राज्यपाल ने राज्य में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को सम्मानित भी किया। उन्होंने मादक पदार्थों के सेवन से निपटने में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया। इसके उपरांत राज्यपाल ने राज्य स्तरीय मास्टर प्रशिक्षकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि नशा युवाओं से उनके सपनों और लक्ष्यों को छीन रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि ग्रामीण भारत के संरक्षक हैं और लोग उनसे गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि जन सहभागिता के साथ जागरूकता अभियान, नुक्कड़ नाटक जैसे प्रयास किए जाने चाहिए। युवा क्लब, मनोरंजन क्लब तथा खेलकूद जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए। प्रदेश में नशे पर रोक लगाने के लिए पुलिस बेहतर कार्य कर रही है, लेकिन इस बुराई के विरूद्ध सभी को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त पंचायतों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस अवसर पर पंचायती राज विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने राज्यपाल तथा ग्रामीण एवं पंचायती राज मंत्री का स्वागत किया। उन्होंने विभाग द्वारा नशे तथा मादक पदार्थोंे के सेवन से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों तथा कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान करने में पंचायत प्रतिनिधि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस तथा प्रशासन अपने स्तर पर अवैध मादक पदार्थों के कारोबार में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन इस दिशा में सार्थक परिणाम हासिल करने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण होती है, इस कार्यशाला में 150 पंचायत प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं तथा 40 मास्टर ट्रेनर हैं। पंचायती राज विभाग के निदेशक राघव शर्मा ने नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन पर प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य में पंचायती राज संस्थाओं में 15982 महिला प्रतिनिधि हैं। अतिरिक्त निदेशक पंचायती राज नीरज चांदला ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। राज्यपाल के सचिव सी. पी. वर्मा, उपायुक्त अनुपम कश्यप, पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी और अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित
शिमला , 06 नवंबर ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सहभागिता से देवभूमि से नशे की बुराई का समूल नाश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि की सार्थकता को बनाए रखने के लिए सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित कर प्रदेश के भविष्य युवाओं को नशे की प्रवृति से बचाया जाएगा।
राज्यपाल ने आज राजभवन में पंचायती राज विभाग द्वारा नशीले पदार्थों और मादक पदार्थों के सेवन से निपटने में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ किया।
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इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की राज्य के स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिरता और आर्थिक प्रगति को प्रभावित करने वाले विषय के सार्थक समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि युवा समाज की अमूल्य निधि है और युवाओं से जुड़े मामलों को प्रभावी ढंग से सुलझाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि नशे की बुराई से निपटने में पंचायती राज संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और जनप्रतिनिधि के तौर पर वे लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों से जागरूक कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि समुदाय के साथ घनिष्ठ संबंध बनाकर पंचायतें संवेदनशील लोगों की पहचान कर उन्हें नशे की आदत लगने से पहले उन्हें सहायता प्रदान कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थानों की नशे की आदत से मजबूर लोगों और उनके परिवारों को सहायता प्रदान करने में स्थानीय सहायता समूहों, पुनर्वास कार्यक्रमों और परामर्श केंद्रों के विकास को प्रोत्साहित करने में अहम भूमिका रहती है।
राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में नशे के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसके कारण सामाजिक मूल्य नष्ट हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस नशे पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी तरीके से कार्य कर रही है, साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों को भी लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका निभानी चाहिए और प्रदेश सरकार को नशा निवारण केंद्र संचालित करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि पंचायतें स्थानीय कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर काम कर लोगों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक निगरानी और सतर्कता समितियों की स्थापना से मादक पदार्थों की अवैध तस्करी पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों को निर्णायक और प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने सदस्यों को जिम्मेदारी से कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम सहभागिता के साथ इस नशे की बुराई पर अंकुश लगा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला मादक पदार्थों के दुरुपयोग के विरूद्ध हमारी सामूहिक लड़ाई को मजबूत करने में एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने प्रत्येक प्रतिभागी से इस कार्यशाला से मिलने वाले ज्ञान और रणनीतियों को धरातल में उतारने के लिए कहा।
इस अवसर पर राज्यपाल ने राज्य में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को सम्मानित भी किया। उन्होंने मादक पदार्थों के सेवन से निपटने में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया।
इसके उपरांत राज्यपाल ने राज्य स्तरीय मास्टर प्रशिक्षकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि नशा युवाओं से उनके सपनों और लक्ष्यों को छीन रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि ग्रामीण भारत के संरक्षक हैं और लोग उनसे गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि जन सहभागिता के साथ जागरूकता अभियान, नुक्कड़ नाटक जैसे प्रयास किए जाने चाहिए। युवा क्लब, मनोरंजन क्लब तथा खेलकूद जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए। प्रदेश में नशे पर रोक लगाने के लिए पुलिस बेहतर कार्य कर रही है, लेकिन इस बुराई के विरूद्ध सभी को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त पंचायतों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इस अवसर पर पंचायती राज विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने राज्यपाल तथा ग्रामीण एवं पंचायती राज मंत्री का स्वागत किया। उन्होंने विभाग द्वारा नशे तथा मादक पदार्थोंे के सेवन से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों तथा कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान करने में पंचायत प्रतिनिधि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस तथा प्रशासन अपने स्तर पर अवैध मादक पदार्थों के कारोबार में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन इस दिशा में सार्थक परिणाम हासिल करने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण होती है, इस कार्यशाला में 150 पंचायत प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं तथा 40 मास्टर ट्रेनर हैं।
पंचायती राज विभाग के निदेशक राघव शर्मा ने नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन पर प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य में पंचायती राज संस्थाओं में 15982 महिला प्रतिनिधि हैं। अतिरिक्त निदेशक पंचायती राज नीरज चांदला ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
राज्यपाल के सचिव सी. पी. वर्मा, उपायुक्त अनुपम कश्यप, पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी और अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित
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