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शिमला ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि एक तरफ़ सरकार प्रदेश के लोगों को रोज़गार नहीं दे रही है, स्वरोजगार के लिए उत्साहित नहीं कर रही है। दूसरी तरफ़ प्रदेश के लोग जो ख़ुद से कुछ करना चाह रहे हैं उन्हें भी नहीं करने दे रही है। होम स्टे की जो नई पॉलिसी सरकार द्वारा लाई जा रही है वह पूर्णतया तुगलकी और तानाशाही है। सरकार ऐसी नीति लाने के पहले एक बार भी उसकी व्यवहारिकता के बारे में नहीं सोच रही है। क्या सरकार की प्रदेश के लोगों के लिए भी कोई जिम्मेदारी है या सिर्फ प्रदेश के लोग अपनी गाढ़ी कमाई से इस व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार के मित्रों को पालने के लिए अभिशप्त हैं। प्रदेश के दूर दराज के इलाकों में जो होम स्टे प्रदेश की माताओं बहनों के आजीविका और आत्मसम्मान का आधार है, नई होम स्टे पॉलिसी लाकर सरकार उन्हें कुचलना चाहती है। प्रदेश में मुखिया और सुख की सरकार के कर्ता धर्ता से मेरा आग्रह है कि अगर आप प्रदेशवासियों के लिए कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम जो लोग ख़ुद से कुछ कर रहे हैं उन्हें करने दे और उन्हें स्वाभिमान से जीने दे। एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर की महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं तो दूसरी तरह हमारे मुख्यमंत्री प्रदेश की दीदियों से ही लखपति बनने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। सरकार पहले ही स्वावलंबन योजना को बंद कर चुकी है और कौशल विकास के तहत दिए जाने वाले व्यवसायिक प्रशिक्षण को भी छह महीनें से बंद कर रखा है। सरकार प्रदेश की ग्रामीण आजीविका का आधार बन रहे होम स्टे से जो फ़ीस रजिस्ट्रेशन के नाम पर लेना चाहती है कई बार होम स्टे साल भर में उतना कमा भी नहीं पाते। पहले जो फ़ीस पाँच साल के लिए सौ रुपए थी अब वह एक साल के लिए तीन हज़ार कर दी। यानी की रजिस्ट्रेशन की फ़ीस में 150 गुना की वृद्धि होने वाली है। मुख्यमंत्री एक बार सोचें कि क्या यह तर्क संगत है। क्या यह हिमाचल की मातृशक्ति के साथ धोखा नहीं हैं। वह क्यों भूल रहे हैं कि प्रदेश की महिलाओं को 1500 रुपए महीना देने की गारंटी देकर वह सत्ता में आए थे लेकिन अब आत्म निर्भर महिलाओं से सरकार तीन हज़ार रुपए प्रति वर्ष वसूलने जा रही है। सरकार की नई होम स्टे पॉलिसी प्रदेश की महिलाओं के साथ अन्याय हैं। कोई भी होम स्टे बिना मातृ शक्ति के चल ही नहीं सकता है। होम स्टे से कमाए पैसे से वह परिवार पालती हैं, बच्चों को पढ़ातीं हैं, उनके भविष्य के लिए बचत करती हैं। लेकिन सरकार की नई पॉलिसी से तो कई होम स्टे सरकार को उतना पैसा देने को बाध्य होंगे जितना वह साल भर में कमाएंगे भी नहीं। सरकार नई पॉलिसी के तहत अब होम स्टे के तहत 12 हज़ार से लेकर 3 हज़ार रुपए की रजिस्ट्रेशन फीस निर्धारित कर रही है। जयराम ठाकुर ने कहा कि नई होम स्टे पॉलिसी में रजिस्ट्रेशन के लिए जीएसटी नंबर की शर्त सभी के लिए अनिवार्य की है। जबकि जीएसटी कौंसिल द्वारा 20 लाख के वार्षिक टर्न ओवर की सीमा वाले व्यवसायी के लिए जीएसटी में छूट है। अब गांव में एक दो कमरे में होम स्टे चलाने वाली महिला कहाँ से जीएसटी नम्बर वाले डॉक्यूमेंट्स लाएगी, जीएसटी नंबर लाएगी, हर महीनें कैसे जीएसटी रिटर्न भरेगी? कैसे रजिस्टर मेंटेन करेगी? ऐसी स्थिति में तो वह जितना कमाएगी उससे ज़्यादा अकाउंटेंट को देने पड़ जाएँगे। सुक्खू सरकार द्वारा लाई जा रही यह नई होम स्टे पॉलिसी हिमाचल प्रदेश के आम जनता की विरोधी है। हिमाचल प्रदेश के विकास की विरोधी है। होम स्टे हिमाचली संस्कृति के अग्रदूत के रूप में काम कर रहे हैं, जब लोग हिमाचल के दूर दराज के गांवों में जाकर रुकते हैं तो वह हिमाचल की संस्कृति से रूबरू होते हैं। हिमाचल के ख़ान पान से रूबरू होते हैं, हिमाचली स्वयं सहायता समूहों के द्वारा बनाए गए उत्पादों को देखते हैं, कुटीर उद्योगों के उत्पादों से रूबरू होते हैं, ख़रीदते हैं, जहाँ से आए है, वहाँ तक ले जाते हैं। बिना किसी खर्च के ही उन उत्पादों का प्रचार प्रसार होता है। देश की विविधता से लोग परिचित होंगे। लेकिन सुक्खू सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार की इस सम्भावना को समाप्त कर रही है। इसके साथ ही उन्हें बिजली पानी भी कमर्शियल रेट पर देने की योजना बना रही है। जिससे आम आदमी का जीना मुश्किल हो जाएगा, मुमकिन है कि कल को सरकार यह भी कह दे कि होम स्टे में भी कमर्शियल गैस सिलेंडर का ही इस्तेमाल हो। सरकार जो नियम ला रही है उससे ग्रामीण क्षेत्रों में बने होम स्टे पर कम से कम तीस हज़ार और शहरी क्षेत्रों पर 60 हज़ार का अतिरिक्त बोझ आएगा। सरकार यह नहीं बता रही है कि इन होम स्टे का प्रचार-प्रसार करने के लिए क्या काम करेगी? सुक्खू सरकार की यह पॉलिसी स्वरोजगार विरोधी है, ग्रामीण क्षेत्रों के आत्मनिर्भरता का विरोधी है। इसलिए व्यापक जनहित को देखते हुए सरकार इस तुगलकी पॉलिसी को वापस ले।
शिमला ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि एक तरफ़ सरकार प्रदेश के लोगों को रोज़गार नहीं दे रही है, स्वरोजगार के लिए उत्साहित नहीं कर रही है। दूसरी तरफ़ प्रदेश के लोग जो ख़ुद से कुछ करना चाह रहे हैं उन्हें भी नहीं करने दे रही है। होम स्टे की जो नई पॉलिसी सरकार द्वारा लाई जा रही है वह पूर्णतया तुगलकी और तानाशाही है। सरकार ऐसी नीति लाने के पहले एक बार भी उसकी व्यवहारिकता के बारे में नहीं सोच रही है। क्या सरकार की प्रदेश के लोगों के लिए भी कोई जिम्मेदारी है या सिर्फ प्रदेश के लोग अपनी गाढ़ी कमाई से इस व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार के मित्रों को पालने के लिए अभिशप्त हैं। प्रदेश के दूर दराज के इलाकों में जो होम स्टे प्रदेश की माताओं बहनों के आजीविका और आत्मसम्मान का आधार है, नई होम स्टे पॉलिसी लाकर सरकार उन्हें कुचलना चाहती है। प्रदेश में मुखिया और सुख की सरकार के कर्ता धर्ता से मेरा आग्रह है कि अगर आप प्रदेशवासियों के लिए कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम जो लोग ख़ुद से कुछ कर रहे हैं उन्हें करने दे और उन्हें स्वाभिमान से जीने दे। एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर की महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं तो दूसरी तरह हमारे मुख्यमंत्री प्रदेश की दीदियों से ही लखपति बनने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। सरकार पहले ही स्वावलंबन योजना को बंद कर चुकी है और कौशल विकास के तहत दिए जाने वाले व्यवसायिक प्रशिक्षण को भी छह महीनें से बंद कर रखा है।
सरकार प्रदेश की ग्रामीण आजीविका का आधार बन रहे होम स्टे से जो फ़ीस रजिस्ट्रेशन के नाम पर लेना चाहती है कई बार होम स्टे साल भर में उतना कमा भी नहीं पाते। पहले जो फ़ीस पाँच साल के लिए सौ रुपए थी अब वह एक साल के लिए तीन हज़ार कर दी। यानी की रजिस्ट्रेशन की फ़ीस में 150 गुना की वृद्धि होने वाली है। मुख्यमंत्री एक बार सोचें कि क्या यह तर्क संगत है। क्या यह हिमाचल की मातृशक्ति के साथ धोखा नहीं हैं। वह क्यों भूल रहे हैं कि प्रदेश की महिलाओं को 1500 रुपए महीना देने की गारंटी देकर वह सत्ता में आए थे लेकिन अब आत्म निर्भर महिलाओं से सरकार तीन हज़ार रुपए प्रति वर्ष वसूलने जा रही है। सरकार की नई होम स्टे पॉलिसी प्रदेश की महिलाओं के साथ अन्याय हैं। कोई भी होम स्टे बिना मातृ शक्ति के चल ही नहीं सकता है। होम स्टे से कमाए पैसे से वह परिवार पालती हैं, बच्चों को पढ़ातीं हैं, उनके भविष्य के लिए बचत करती हैं। लेकिन सरकार की नई पॉलिसी से तो कई होम स्टे सरकार को उतना पैसा देने को बाध्य होंगे जितना वह साल भर में कमाएंगे भी नहीं। सरकार नई पॉलिसी के तहत अब होम स्टे के तहत 12 हज़ार से लेकर 3 हज़ार रुपए की रजिस्ट्रेशन फीस निर्धारित कर रही है।
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जयराम ठाकुर ने कहा कि नई होम स्टे पॉलिसी में रजिस्ट्रेशन के लिए जीएसटी नंबर की शर्त सभी के लिए अनिवार्य की है। जबकि जीएसटी कौंसिल द्वारा 20 लाख के वार्षिक टर्न ओवर की सीमा वाले व्यवसायी के लिए जीएसटी में छूट है। अब गांव में एक दो कमरे में होम स्टे चलाने वाली महिला कहाँ से जीएसटी नम्बर वाले डॉक्यूमेंट्स लाएगी, जीएसटी नंबर लाएगी, हर महीनें कैसे जीएसटी रिटर्न भरेगी? कैसे रजिस्टर मेंटेन करेगी? ऐसी स्थिति में तो वह जितना कमाएगी उससे ज़्यादा अकाउंटेंट को देने पड़ जाएँगे। सुक्खू सरकार द्वारा लाई जा रही यह नई होम स्टे पॉलिसी हिमाचल प्रदेश के आम जनता की विरोधी है। हिमाचल प्रदेश के विकास की विरोधी है। होम स्टे हिमाचली संस्कृति के अग्रदूत के रूप में काम कर रहे हैं, जब लोग हिमाचल के दूर दराज के गांवों में जाकर रुकते हैं तो वह हिमाचल की संस्कृति से रूबरू होते हैं। हिमाचल के ख़ान पान से रूबरू होते हैं, हिमाचली स्वयं सहायता समूहों के द्वारा बनाए गए उत्पादों को देखते हैं, कुटीर उद्योगों के उत्पादों से रूबरू होते हैं, ख़रीदते हैं, जहाँ से आए है, वहाँ तक ले जाते हैं। बिना किसी खर्च के ही उन उत्पादों का प्रचार प्रसार होता है। देश की विविधता से लोग परिचित होंगे। लेकिन सुक्खू सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार की इस सम्भावना को समाप्त कर रही है। इसके साथ ही उन्हें बिजली पानी भी कमर्शियल रेट पर देने की योजना बना रही है। जिससे आम आदमी का जीना मुश्किल हो जाएगा, मुमकिन है कि कल को सरकार यह भी कह दे कि होम स्टे में भी कमर्शियल गैस सिलेंडर का ही इस्तेमाल हो। सरकार जो नियम ला रही है उससे ग्रामीण क्षेत्रों में बने होम स्टे पर कम से कम तीस हज़ार और शहरी क्षेत्रों पर 60 हज़ार का अतिरिक्त बोझ आएगा। सरकार यह नहीं बता रही है कि इन होम स्टे का प्रचार-प्रसार करने के लिए क्या काम करेगी? सुक्खू सरकार की यह पॉलिसी स्वरोजगार विरोधी है, ग्रामीण क्षेत्रों के आत्मनिर्भरता का विरोधी है। इसलिए व्यापक जनहित को देखते हुए सरकार इस तुगलकी पॉलिसी को वापस ले।
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