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शिमला, 30 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! प्रो. एलिसन मैरी लोकोंटो के नेतृत्व में आईएनआरएई के चार फ्रांसीसी वैज्ञानिकों के एक दल ने आज यहां राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से भेंट कर एक्रोपिक्स परियोजना पर चर्चा की, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती जैसी पारिस्थितिक कृषि पद्धति को बढ़ावा देना है। यह दल सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में अभिनव कार्यों की संभावनाएं तलाशने के लिए तीन सप्ताह के दौरे पर है।राज्यपाल ने प्राकृतिक खेती के प्रति हिमाचल प्रदेश के किसानों में उत्साह पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रदेश के 1.5 लाख से अधिक किसान इस पद्धति को अपना चुके हैं। उन्होंने प्रमाणन और स्थिरता पहलों तथा कृषि पारिस्थितिकी में विश्वविद्यालय के अग्रणी प्रयासों की प्रशंसा की।यूरोपीय आयोग द्वारा वित्त पोषित एक्रोपिक्स परियोजना में 13 देशों के 15 सदस्य शामिल हैं। फ्रांसीसी वैज्ञानिक अपने इस दौरे के दौरान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ बातचीत तथा खेतों का निरीक्षण करेंगे। वे वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक खेती पद्धति को लागू करने के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए प्रगतिशील किसानों और प्राकृतिक खेती कंपनियों के साथ भी बातचीत करेंगे।
शिमला, 30 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] !
प्रो. एलिसन मैरी लोकोंटो के नेतृत्व में आईएनआरएई के चार फ्रांसीसी वैज्ञानिकों के एक दल ने आज यहां राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से भेंट कर एक्रोपिक्स परियोजना पर चर्चा की, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती जैसी पारिस्थितिक कृषि पद्धति को बढ़ावा देना है। यह दल सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में अभिनव कार्यों की संभावनाएं तलाशने के लिए तीन सप्ताह के दौरे पर है।
राज्यपाल ने प्राकृतिक खेती के प्रति हिमाचल प्रदेश के किसानों में उत्साह पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रदेश के 1.5 लाख से अधिक किसान इस पद्धति को अपना चुके हैं। उन्होंने प्रमाणन और स्थिरता पहलों तथा कृषि पारिस्थितिकी में विश्वविद्यालय के अग्रणी प्रयासों की प्रशंसा की।
यूरोपीय आयोग द्वारा वित्त पोषित एक्रोपिक्स परियोजना में 13 देशों के 15 सदस्य शामिल हैं। फ्रांसीसी वैज्ञानिक अपने इस दौरे के दौरान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ बातचीत तथा खेतों का निरीक्षण करेंगे। वे वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक खेती पद्धति को लागू करने के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए प्रगतिशील किसानों और प्राकृतिक खेती कंपनियों के साथ भी बातचीत करेंगे।
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