- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला , 28 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! फ्रांसीसी राष्ट्रीय कृषि, खाद्य और पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (INRAE) के चार वैज्ञानिकों के एक दल ने डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी और हिमाचल का तीन सप्ताह का दौरा आज शुरू किया। इस दल का उद्देश्य प्राकृतिक कृषि प्रथाओं के साथ साथ कृषि पारिस्थितिकी के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानना है। फ़्रांस के एल आई एस आई एस संस्थान की उप निदेशक प्रो. एलिसन मैरी लोकोन्टो के नेतृत्व वाली टीम में शोधकर्ता प्रो. मिरीले मैट, डॉ. एवलिन लोस्ट और डॉ. रेनी वैन डिस शामिल हैं। यह यात्रा यूरोपीय आयोग द्वारा वित्त पोषित एग्रोइकोलॉजिकल क्रॉप प्रोटेक्शन टुवर्ड्स इंटरनेशनल को-इनोवेशन डायनेमिक्स एंड एविडेंस ऑफ सस्टेनेबिलिटी (एक्रोपिक्स) परियोजना का हिस्सा है। आई एन आर ए ई द्वारा समन्वित, एक्रोपिक्स परियोजना कृषि पारिस्थितिकी फसल संरक्षण में सह-नवाचार को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। एक्रोपिक्स कंसोर्टियम में 13 देशों के 15 सदस्य शामिल हैं, जिनमें 12 शैक्षणिक संस्थान और तीन कंपनियां शामिल हैं। डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती जैसी कृषि पारिस्थितिकी प्रथाओं में अपने अग्रणी प्रयासों के लिए पहचाना जाता है और इस परियोजना में एकमात्र भारतीय संस्थान है। परियोजना का उद्देश्य कृषि पारिस्थितिकी फसल संरक्षण में प्रणालीगत नवाचारों के माध्यम से रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करना और इन प्रणालियों की स्थिरता का समर्थन करने वाले मजबूत वैज्ञानिक डेटा प्रदान करना है। इस दल का बुधवार को विश्वविद्यालय में स्वागत किया गया। विश्वविद्यालय की प्राकृतिक खेती टीम के साथ बातचीत के दौरान कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने फ्रांसीसी वैज्ञानिकों का स्वागत किया और प्राकृतिक खेती के माध्यम से टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता के बारे में बात की। उन्होंने प्राकृतिक कृषि प्रणालियों के तहत विभिन्न फसलों में विश्वविद्यालय द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डाला और बताया की कैसे यह किसानों द्वारा व्यापक रूप से अपने खेतों पर अपनाई जा सकती है। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंद्र देव ने विश्वविद्यालय की प्राकृतिक खेती पहल का अवलोकन प्रदान किया, जबकि अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने अनुसंधान गतिविधियों पर प्रस्तुति दी। प्रोफेसर एलिसन मैरी लोकोन्टो ने INRAE और एक्रोपिक्स परियोजना पर गहन प्रस्तुति दी। इस टीम ने विश्वविद्यालय के औषधीय पौधों के फार्म, प्राकृतिक खेती ब्लॉक और नव स्थापित 'यूएचएफ नेचुरल स्टोर' का भी दौरा किया, जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा समर्थित विभिन्न प्राकृतिक खेती-आधारित किसान उत्पादक कंपनियों के 100 से अधिक उत्पाद उपभोक्ताओं को खरीद के लिए उपलब्ध है। अगले तीन हफ्तों में, फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्राकृतिक खेती में शामिल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करेंगे, विश्वविद्यालय के खेतों का दौरा करेंगे, प्राकृतिक कृषि के प्रगतिशील किसानों और करसोग और चौपाल में प्राकृतिक खेती उत्पादक कंपनियों के साथ बैठक करेगें। वे राज्य में प्राकृतिक कृषि किसानों के प्रमाणीकरण समेत इस क्षेत्र में लागू किए गए संबंधित नवाचारों पर चर्चा करने के लिए विश्वविद्यालय और राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई के साथ भी बैठक करेंगे। इन इंटरैक्शन से प्राप्त अंतर्दृष्टि ए सी आर ओ पी आई सी एस परियोजना में योगदान देगी।
शिमला , 28 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! फ्रांसीसी राष्ट्रीय कृषि, खाद्य और पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (INRAE) के चार वैज्ञानिकों के एक दल ने डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी और हिमाचल का तीन सप्ताह का दौरा आज शुरू किया। इस दल का उद्देश्य प्राकृतिक कृषि प्रथाओं के साथ साथ कृषि पारिस्थितिकी के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानना है।
फ़्रांस के एल आई एस आई एस संस्थान की उप निदेशक प्रो. एलिसन मैरी लोकोन्टो के नेतृत्व वाली टीम में शोधकर्ता प्रो. मिरीले मैट, डॉ. एवलिन लोस्ट और डॉ. रेनी वैन डिस शामिल हैं। यह यात्रा यूरोपीय आयोग द्वारा वित्त पोषित एग्रोइकोलॉजिकल क्रॉप प्रोटेक्शन टुवर्ड्स इंटरनेशनल को-इनोवेशन डायनेमिक्स एंड एविडेंस ऑफ सस्टेनेबिलिटी (एक्रोपिक्स) परियोजना का हिस्सा है। आई एन आर ए ई द्वारा समन्वित, एक्रोपिक्स परियोजना कृषि पारिस्थितिकी फसल संरक्षण में सह-नवाचार को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
एक्रोपिक्स कंसोर्टियम में 13 देशों के 15 सदस्य शामिल हैं, जिनमें 12 शैक्षणिक संस्थान और तीन कंपनियां शामिल हैं। डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती जैसी कृषि पारिस्थितिकी प्रथाओं में अपने अग्रणी प्रयासों के लिए पहचाना जाता है और इस परियोजना में एकमात्र भारतीय संस्थान है। परियोजना का उद्देश्य कृषि पारिस्थितिकी फसल संरक्षण में प्रणालीगत नवाचारों के माध्यम से रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करना और इन प्रणालियों की स्थिरता का समर्थन करने वाले मजबूत वैज्ञानिक डेटा प्रदान करना है।
इस दल का बुधवार को विश्वविद्यालय में स्वागत किया गया। विश्वविद्यालय की प्राकृतिक खेती टीम के साथ बातचीत के दौरान कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने फ्रांसीसी वैज्ञानिकों का स्वागत किया और प्राकृतिक खेती के माध्यम से टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता के बारे में बात की। उन्होंने प्राकृतिक कृषि प्रणालियों के तहत विभिन्न फसलों में विश्वविद्यालय द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डाला और बताया की कैसे यह किसानों द्वारा व्यापक रूप से अपने खेतों पर अपनाई जा सकती है।
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंद्र देव ने विश्वविद्यालय की प्राकृतिक खेती पहल का अवलोकन प्रदान किया, जबकि अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने अनुसंधान गतिविधियों पर प्रस्तुति दी। प्रोफेसर एलिसन मैरी लोकोन्टो ने INRAE और एक्रोपिक्स परियोजना पर गहन प्रस्तुति दी। इस टीम ने विश्वविद्यालय के औषधीय पौधों के फार्म, प्राकृतिक खेती ब्लॉक और नव स्थापित 'यूएचएफ नेचुरल स्टोर' का भी दौरा किया, जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा समर्थित विभिन्न प्राकृतिक खेती-आधारित किसान उत्पादक कंपनियों के 100 से अधिक उत्पाद उपभोक्ताओं को खरीद के लिए उपलब्ध है।
अगले तीन हफ्तों में, फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्राकृतिक खेती में शामिल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करेंगे, विश्वविद्यालय के खेतों का दौरा करेंगे, प्राकृतिक कृषि के प्रगतिशील किसानों और करसोग और चौपाल में प्राकृतिक खेती उत्पादक कंपनियों के साथ बैठक करेगें। वे राज्य में प्राकृतिक कृषि किसानों के प्रमाणीकरण समेत इस क्षेत्र में लागू किए गए संबंधित नवाचारों पर चर्चा करने के लिए विश्वविद्यालय और राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई के साथ भी बैठक करेंगे। इन इंटरैक्शन से प्राप्त अंतर्दृष्टि ए सी आर ओ पी आई सी एस परियोजना में योगदान देगी।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -