लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र शर्मा ने देश की सेवा करने के लिए किया सम्मानित।
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शिमला , 13 जनवरी [ विशाल सूद ] ! भारतीय सशस्त्र सेनाओं के प्रथम कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा के भारतीय सेना में उल्लेखनीय योगदान को याद करने के लिए हर वर्ष 14 जनवरी को सशस्त्र सेना का भूतपूर्व सैनिक दिवस मनाया जाता है। इसी कड़ी में आज शिमला आर्मी ट्रेनिंग कमांड एआरटीआरएसी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र शर्मा ने चार पूर्व सैनिकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया। इस मौके पर अपने संबोधन में लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि प्रथम कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा 1953 में इसी दिन सेवानिवृत्त हुए थे और उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है।यह दिवस पहली बार 2016 में मनाया गया था और तब से हर साल पूर्व सैनिकों के सम्मान में इस तरह के संवादात्मक कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें याद किया जाता है। वहीं सम्मान पाने वाले पूर्व सैनिकों ने बताया कि यह उनके लिए गौरव का विषय है कि सेवानिवृत होने के बाद भी सेना उनके योगदान को याद कर रही है। एक सैनिक वर्दी पहन कर देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने से भी पीछे नहीं हटता है ऐसे में इस तरह के सम्मान समारोह से नए सैनिकों व सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं का हौंसला भी बढ़ता है।
शिमला , 13 जनवरी [ विशाल सूद ] ! भारतीय सशस्त्र सेनाओं के प्रथम कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा के भारतीय सेना में उल्लेखनीय योगदान को याद करने के लिए हर वर्ष 14 जनवरी को सशस्त्र सेना का भूतपूर्व सैनिक दिवस मनाया जाता है। इसी कड़ी में आज शिमला आर्मी ट्रेनिंग कमांड एआरटीआरएसी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र शर्मा ने चार पूर्व सैनिकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया।
इस मौके पर अपने संबोधन में लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि प्रथम कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा 1953 में इसी दिन सेवानिवृत्त हुए थे और उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है।यह दिवस पहली बार 2016 में मनाया गया था और तब से हर साल पूर्व सैनिकों के सम्मान में इस तरह के संवादात्मक कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें याद किया जाता है।
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वहीं सम्मान पाने वाले पूर्व सैनिकों ने बताया कि यह उनके लिए गौरव का विषय है कि सेवानिवृत होने के बाद भी सेना उनके योगदान को याद कर रही है। एक सैनिक वर्दी पहन कर देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने से भी पीछे नहीं हटता है ऐसे में इस तरह के सम्मान समारोह से नए सैनिकों व सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं का हौंसला भी बढ़ता है।
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