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शिमला , 11 नवंबर [ विशाल सूद ] ! उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज यहां केवी मोहन कुमार द्वारा लिखित पुस्तक ‘जलराशि’ का विमोचन किया। वह केरल स्थित साहित्यिक संस्था भाषा समन्वय वेदी केे सदस्य हैं। इस पुस्तक में 24 कहानियों का संकलन है और केरल की इन कहानियों को मलयालम से हिन्दी में रूपान्तरित किया गया है। इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ. आरसु के नेतृत्व में भाषा समन्वय वेदी संस्था के बीस सदस्यीय दल ने उप-मुख्यमंत्री के साथ शिष्टाचार भेंट की। भाषा समन्वय वेदी एक सांस्कृतिक साहित्यिक संगठन है। यह संस्था भाषाओं के बीच सांस्कृतिक समन्वय, अनुवाद के माध्यम से भाषायी मैत्री को प्रोत्साहन, विश्व साहित्य और भारतीय साहित्य को बढ़ावा और युवा अनुवादकों को प्रोत्साहन प्रदान करती है। इस सस्था ने हिमाचल की कहानियों को पहाड़ी भाषा को हिन्दी और हिन्दी से मलयालम भाषा में भी रूपान्तरण किया है। उप-मुख्यमंत्री ने भाषा समन्वय बेदी संस्था के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रयासों से भाषायी संस्कृति का आदान-प्रदान सुनिश्चित होता है। संस्था द्वारा भाषाओं के बीच भाईचारा बढ़ाकर सांस्कृतिक स्तर पर सराहनीय प्रयास किए जा रहें हैं। हिमाचल प्रदेश की भाषा, संस्कृति और सभ्यता अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा कि यहां पर अन्तरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा, मंडी की शिवरात्री, चम्बा के मिंजर मेले जैसे सांस्कृतिक आयोजनों से देश-विदेश की संस्कृति का आदान-प्रदान होता है। देव भूमि हिमाचल प्रदेश में मंदिर और शक्ति पीठों में श्रद्धालु अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं।
शिमला , 11 नवंबर [ विशाल सूद ] ! उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज यहां केवी मोहन कुमार द्वारा लिखित पुस्तक ‘जलराशि’ का विमोचन किया। वह केरल स्थित साहित्यिक संस्था भाषा समन्वय वेदी केे सदस्य हैं। इस पुस्तक में 24 कहानियों का संकलन है और केरल की इन कहानियों को मलयालम से हिन्दी में रूपान्तरित किया गया है।
इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ. आरसु के नेतृत्व में भाषा समन्वय वेदी संस्था के बीस सदस्यीय दल ने उप-मुख्यमंत्री के साथ शिष्टाचार भेंट की। भाषा समन्वय वेदी एक सांस्कृतिक साहित्यिक संगठन है। यह संस्था भाषाओं के बीच सांस्कृतिक समन्वय, अनुवाद के माध्यम से भाषायी मैत्री को प्रोत्साहन, विश्व साहित्य और भारतीय साहित्य को बढ़ावा और युवा अनुवादकों को प्रोत्साहन प्रदान करती है। इस सस्था ने हिमाचल की कहानियों को पहाड़ी भाषा को हिन्दी और हिन्दी से मलयालम भाषा में भी रूपान्तरण किया है।
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उप-मुख्यमंत्री ने भाषा समन्वय बेदी संस्था के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रयासों से भाषायी संस्कृति का आदान-प्रदान सुनिश्चित होता है। संस्था द्वारा भाषाओं के बीच भाईचारा बढ़ाकर सांस्कृतिक स्तर पर सराहनीय प्रयास किए जा रहें हैं।
हिमाचल प्रदेश की भाषा, संस्कृति और सभ्यता अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा कि यहां पर अन्तरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा, मंडी की शिवरात्री, चम्बा के मिंजर मेले जैसे सांस्कृतिक आयोजनों से देश-विदेश की संस्कृति का आदान-प्रदान होता है। देव भूमि हिमाचल प्रदेश में मंदिर और शक्ति पीठों में श्रद्धालु अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं।
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