!!"अनुशासन और सुधारात्मक कदम के चलते दो महीने देरी से वेतन भत्ते लेने का लिया है निर्णय"!!
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शिमला, 1 सितम्बर, [ विशाल सूद ] ! तीन दिन पहले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधान सभा सत्र के दौरान प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति का हवाला देकर खुद, मंत्री और सीपीएस का वेतन भत्ते दो महीने रोकने का ऐलान किया था जिसको लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। लेकिन अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने बयान से पलटते हुए कहा है कि हिमाचल प्रदेश में कोई आर्थिक संकट नहीं है बल्कि अनुशासन और सुधारात्मक कदम के चलते उन्होने अपना, मंत्री और सीपीएस के वेतन भत्ते रोकने का फैसला लिया था जिसका राजनीतीकरण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में गेयटी थियेटर में"द मास्टर्स यूनिवर्स"प्रदर्शनी के शुभारंभ दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के लिए सरकार सुधारात्मक कदम उठा रही है।जब सुधार किए जाते हैं तो इस तरह के फैसलों से थोड़े समय के लिए रुकावट आती है इसका अर्थ ये नहीं है कि प्रदेश में आर्थिक संकट है। हम व्यवस्थित ढ़ंग से वित्तीय व्यवस्था को ठीक कर रहे हैं।हम वित्तीय अनुशासन में रहकर आगे बढ़ना चाहते हैं।सैलरी रोकने से हमारा मतलब जागरुक करने से है जो बिजली का बिल भर सकता है उसे बिजली बिल मुफ्त क्यों दिया जाए? जो पानी का बिल भर सकता है उसे क्यों मुफ्त पानी दिया जाए। भाजपा लोगों से झूठ बोल रही है और विधान सभा में भी हर रोज बेवजह हंगामा कर रही है। मुख्यमंत्री ने भाजपा को थोड़ा अध्ययन करने की भी सलाह दी। वहीं गेयटी थियेटर में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ़ द रोएरिचस् (मॉस्को) और इंटरनेशनल रोएरिच मेमोरियल ट्रस्ट (नगर कुल्लू)के सौजन्य से 25 सितंबर तक चलने वाली" द मास्टर्स यूनिवर्स"प्रदर्शनी को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि निकोलस रोरिक का भारत और हिमाचल प्रदेश से गहरा प्रेम था। रोरिक भारत आजाद होने से पहले 1928 में हिमाचल के नगर कुल्लू आए थे और उन्होने नगर कुल्लू को अपना घर माना। हिमाचल की संस्कृति से वह प्रेम करते थे। उन्होने अपनी पेंटिंग से हिमालयन का व्याख्यान किया था। भारत और रूस में मित्रता पुरानी है और विपदा में दोनों देशों हमेशा एक दूसरे का साथ दिया है। रोरिक ट्रस्ट को मजबूत करने के लिए सरकार हर संभव मदद करेगी।
शिमला, 1 सितम्बर, [ विशाल सूद ] ! तीन दिन पहले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधान सभा सत्र के दौरान प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति का हवाला देकर खुद, मंत्री और सीपीएस का वेतन भत्ते दो महीने रोकने का ऐलान किया था जिसको लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। लेकिन अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने बयान से पलटते हुए कहा है कि हिमाचल प्रदेश में कोई आर्थिक संकट नहीं है बल्कि अनुशासन और सुधारात्मक कदम के चलते उन्होने अपना, मंत्री और सीपीएस के वेतन भत्ते रोकने का फैसला लिया था जिसका राजनीतीकरण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में गेयटी थियेटर में"द मास्टर्स यूनिवर्स"प्रदर्शनी के शुभारंभ दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के लिए सरकार सुधारात्मक कदम उठा रही है।जब सुधार किए जाते हैं तो इस तरह के फैसलों से थोड़े समय के लिए रुकावट आती है इसका अर्थ ये नहीं है कि प्रदेश में आर्थिक संकट है। हम व्यवस्थित ढ़ंग से वित्तीय व्यवस्था को ठीक कर रहे हैं।हम वित्तीय अनुशासन में रहकर आगे बढ़ना चाहते हैं।सैलरी रोकने से हमारा मतलब जागरुक करने से है जो बिजली का बिल भर सकता है उसे बिजली बिल मुफ्त क्यों दिया जाए? जो पानी का बिल भर सकता है उसे क्यों मुफ्त पानी दिया जाए। भाजपा लोगों से झूठ बोल रही है और विधान सभा में भी हर रोज बेवजह हंगामा कर रही है। मुख्यमंत्री ने भाजपा को थोड़ा अध्ययन करने की भी सलाह दी।
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वहीं गेयटी थियेटर में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ़ द रोएरिचस् (मॉस्को) और इंटरनेशनल रोएरिच मेमोरियल ट्रस्ट (नगर कुल्लू)के सौजन्य से 25 सितंबर तक चलने वाली" द मास्टर्स यूनिवर्स"प्रदर्शनी को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि निकोलस रोरिक का भारत और हिमाचल प्रदेश से गहरा प्रेम था। रोरिक भारत आजाद होने से पहले 1928 में हिमाचल के नगर कुल्लू आए थे और उन्होने नगर कुल्लू को अपना घर माना। हिमाचल की संस्कृति से वह प्रेम करते थे। उन्होने अपनी पेंटिंग से हिमालयन का व्याख्यान किया था। भारत और रूस में मित्रता पुरानी है और विपदा में दोनों देशों हमेशा एक दूसरे का साथ दिया है। रोरिक ट्रस्ट को मजबूत करने के लिए सरकार हर संभव मदद करेगी।
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