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शिमला , 26 जुलाई ! हिमाचल प्रदेश भवन सड़क एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन संबंधित सीटू इकाई सुन्नी बाँध हाइड्रो परियोजना का पहला सम्मेलन चेवड़ी में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में सैंकड़ों मजदूर शामिल रहे। सम्मेलन में ओमप्रकाश को अध्यक्ष, प्रेम प्रकाश को महासचिव, हेमराज को कोषाध्यक्ष, नेकचंद, देवेंद्र, संदीप, जितेंद्र, मनीष को उपाध्यक्ष, दुष्यंत, राज शाही, टेक चंद, यशपाल, सतीश को सचिव, केशव, मीन चंद, अजय, मलूक, दुनी चंद, संजय, अरुण, सेवानंद, नमन, बच्चू राम, गुलशन, गोपाल, विनोद, रमेश, पारस, राकेश, कैलाश, घनश्याम, भूपेंद्र, किट्टू व तोता राम सहित पैंतीस सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। सम्मेलन में मजदूरों को संबोधित करते हुए सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, शिमला ज़िला कोषाध्यक्ष बालक राम, ज़िला उपाध्यक्ष सुनील मेहता, यूनियन अध्यक्ष ओमप्रकाश, महासचिव प्रेम प्रकाश, हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष कुंदन शर्मा, भीमी राम शर्मा, मनु पाल व मोहन शर्मा ने कहा कि मजदूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, किसान मजदूर एकता को मजबूत करने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, ईपीएफ, ईपीएस, ईडीएलआई सुविधा की अवहेलना करने पर सज़ा शर्तों में कटौती करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्याण बोर्ड से आर्थिक लाभ बहाल करने, काम के घण्टे 8 से बढ़ाकर 12 घण्टे करने के खिलाफ मजदूरों को लामबंद होने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने, मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने आदि मांगों को पूर्ण करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना, महंगाई और डिपुओं में गिरती राशन प्रणाली आदि मुद्दों से मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश हुआ है।
शिमला , 26 जुलाई ! हिमाचल प्रदेश भवन सड़क एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन संबंधित सीटू इकाई सुन्नी बाँध हाइड्रो परियोजना का पहला सम्मेलन चेवड़ी में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में सैंकड़ों मजदूर शामिल रहे। सम्मेलन में ओमप्रकाश को अध्यक्ष, प्रेम प्रकाश को महासचिव, हेमराज को कोषाध्यक्ष, नेकचंद, देवेंद्र, संदीप, जितेंद्र, मनीष को उपाध्यक्ष, दुष्यंत, राज शाही, टेक चंद, यशपाल, सतीश को सचिव, केशव, मीन चंद, अजय, मलूक, दुनी चंद, संजय, अरुण, सेवानंद, नमन, बच्चू राम, गुलशन, गोपाल, विनोद, रमेश, पारस, राकेश, कैलाश, घनश्याम, भूपेंद्र, किट्टू व तोता राम सहित पैंतीस सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया।
सम्मेलन में मजदूरों को संबोधित करते हुए सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, शिमला ज़िला कोषाध्यक्ष बालक राम, ज़िला उपाध्यक्ष सुनील मेहता, यूनियन अध्यक्ष ओमप्रकाश, महासचिव प्रेम प्रकाश, हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष कुंदन शर्मा, भीमी राम शर्मा, मनु पाल व मोहन शर्मा ने कहा कि मजदूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, किसान मजदूर एकता को मजबूत करने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, ईपीएफ, ईपीएस, ईडीएलआई सुविधा की अवहेलना करने पर सज़ा शर्तों में कटौती करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्याण बोर्ड से आर्थिक लाभ बहाल करने, काम के घण्टे 8 से बढ़ाकर 12 घण्टे करने के खिलाफ मजदूरों को लामबंद होने की ज़रूरत है।
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उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने, मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने आदि मांगों को पूर्ण करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना, महंगाई और डिपुओं में गिरती राशन प्रणाली आदि मुद्दों से मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश हुआ है।
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