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शिमला, 18 जुलाई [ विशाल सूद ] ! केंद्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वाहन पर सीटू ने आज बीजेपी की केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदेशव्यापी धरना प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में शिमला में उपायुक्त कार्यालय के बाहर सीटू के बैनर तले आंगनबाड़ी, मिड डे मील और अन्य कई संगठनों ने मांगों को लेकर हल्ला बोला और किसान मजदूर विरोधी निर्णयों के खिलाफ आंदोलन की चेतवानी दी। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने कहा कि जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है तभी से अमीरों के हित और गरीब मजदूरों के विरोध में फैसले लिए गए हैं। कोरोना काल में किसानों के खिलाफ कानून लाए लेकिन मुंह की खानी पड़ी। चार लेबर कोड लाकर बंधुआ मजदूरी की तरफ बढ़ा जा रहा है। मजदूरों के खिलाफ ये काला कानून है। आंगनबाड़ी कर्मी सरकार के कई तरह के काम करवाए जा रहे हैं लेकिन 2013 में आंगनबाड़ी आशावर्कर को नियमित कर्मचारी बनाने का निर्णय हुआ था लेकिन इस सरकार ने इसे लागू नहीं किया गया। यहां तक कि मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पिछले छह महीने से वेतन नहीं दिया गया है। निजीकरण की तरफ ये सरकार आगे बढ़ रही हैं जो सही नही हैं। कहा कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को लागू किया जाता है तो सरकार को किसान आंदोलन की तरह बड़े आंदोलन का सामना करना पड़े।
शिमला, 18 जुलाई [ विशाल सूद ] ! केंद्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वाहन पर सीटू ने आज बीजेपी की केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदेशव्यापी धरना प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में शिमला में उपायुक्त कार्यालय के बाहर सीटू के बैनर तले आंगनबाड़ी, मिड डे मील और अन्य कई संगठनों ने मांगों को लेकर हल्ला बोला और किसान मजदूर विरोधी निर्णयों के खिलाफ आंदोलन की चेतवानी दी।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने कहा कि जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है तभी से अमीरों के हित और गरीब मजदूरों के विरोध में फैसले लिए गए हैं। कोरोना काल में किसानों के खिलाफ कानून लाए लेकिन मुंह की खानी पड़ी। चार लेबर कोड लाकर बंधुआ मजदूरी की तरफ बढ़ा जा रहा है। मजदूरों के खिलाफ ये काला कानून है।
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आंगनबाड़ी कर्मी सरकार के कई तरह के काम करवाए जा रहे हैं लेकिन 2013 में आंगनबाड़ी आशावर्कर को नियमित कर्मचारी बनाने का निर्णय हुआ था लेकिन इस सरकार ने इसे लागू नहीं किया गया। यहां तक कि मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पिछले छह महीने से वेतन नहीं दिया गया है।
निजीकरण की तरफ ये सरकार आगे बढ़ रही हैं जो सही नही हैं। कहा कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को लागू किया जाता है तो सरकार को किसान आंदोलन की तरह बड़े आंदोलन का सामना करना पड़े।
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