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शिमला , 21 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! पिछले 551 दिन से शिमला में दृष्टिहीन जन संगठन अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। आज सचिवालय के बाहर फिर से आज इन्होंने चक्का जाम कर दिया है। करीब एक माह से संगठन के लोग सचिवालय के थोड़ी दूरी पर धरने पर बैठे हुए हैं। इससे पहले शिमला के कालीबाड़ी मंदिर के नीचे अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे। दृष्टिहीन जन संगठन के युवा सचिव राजेश ठाकुर ने बताया कि वह विभिन्न विभागों में खाली पड़े दृष्टिहीनों कोटे के बैकलॉग पदों को एकमुश्त भरने की मांग कर रहे हैं। सरकार से कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं, जिसके चलते दृष्टिहीन संघ धरने के साथ कई बार चक्का जाम कर चुका है। जब वह चक्का जाम करते हैं तो उन्हें वार्ता के लिए बुलाया जाता है। लेकिन बाद में कुछ नहीं होता। पुलिस उनके साथ दुर्व्यवहार कर रही है। जब तक चक्का जाम चलता रहेगा जब तक कि मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव उनसे मिलने नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि वह पिछले लंबे समय से अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे है लेकिन बजट में दृष्टिहीनों का ख्याल नहीं रखा गया न ही उनको नौकरी दी जा रही है। लंबे अरसे से दृष्टिहीन कोटे के विभिन्न विभागों में पद खाली चल रहे हैं लेकिन सरकार इसमें भर्तियां नहीं कर रही है।
शिमला , 21 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! पिछले 551 दिन से शिमला में दृष्टिहीन जन संगठन अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। आज सचिवालय के बाहर फिर से आज इन्होंने चक्का जाम कर दिया है। करीब एक माह से संगठन के लोग सचिवालय के थोड़ी दूरी पर धरने पर बैठे हुए हैं। इससे पहले शिमला के कालीबाड़ी मंदिर के नीचे अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे।
दृष्टिहीन जन संगठन के युवा सचिव राजेश ठाकुर ने बताया कि वह विभिन्न विभागों में खाली पड़े दृष्टिहीनों कोटे के बैकलॉग पदों को एकमुश्त भरने की मांग कर रहे हैं। सरकार से कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं, जिसके चलते दृष्टिहीन संघ धरने के साथ कई बार चक्का जाम कर चुका है।
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जब वह चक्का जाम करते हैं तो उन्हें वार्ता के लिए बुलाया जाता है। लेकिन बाद में कुछ नहीं होता। पुलिस उनके साथ दुर्व्यवहार कर रही है। जब तक चक्का जाम चलता रहेगा जब तक कि मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव उनसे मिलने नहीं आते हैं।
उन्होंने कहा कि वह पिछले लंबे समय से अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे है लेकिन बजट में दृष्टिहीनों का ख्याल नहीं रखा गया न ही उनको नौकरी दी जा रही है। लंबे अरसे से दृष्टिहीन कोटे के विभिन्न विभागों में पद खाली चल रहे हैं लेकिन सरकार इसमें भर्तियां नहीं कर रही है।
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