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शिमला ,22 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है ।इस वर्ष भी भगवान परशुराम का जन्म दिवस देश सहित हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। परशु राम जयंती की जयंती पर शिमला के मिडल बाजार में ब्राह्मण सभा द्वारा कीर्तन भजन और भंडारे का अयोजन किया गया। इस मौके पर पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज भी विशेष रुप से मौजूद रहे। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि आज अक्षय तृतीया ,भगवान परशुराम जयंती और ईद जैसे त्यौहार पूरे राष्ट्र में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाये जा रहे है। हालांकि यह त्यौहार देशभर में अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोगों के द्वारा मनाए जा रहे हैं लेकिन सभी का मकसद एवं संदेश आपसी भाईचारे को बढ़ाना और प्रेम का प्रचार-प्रसार करना है। सुरेश भारद्वाज पूर्व मंत्री हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम विष्णु भगवान के छठवें अवतार माने जाते हैं। उनका प्राक्टय प्रदोष काल में हुआ था और वह 8 चिरंजीवी पुरुषों में एक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी धरती पर मौजूद है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला ,22 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है ।इस वर्ष भी भगवान परशुराम का जन्म दिवस देश सहित हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।
परशु राम जयंती की जयंती पर शिमला के मिडल बाजार में ब्राह्मण सभा द्वारा कीर्तन भजन और भंडारे का अयोजन किया गया।
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इस मौके पर पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज भी विशेष रुप से मौजूद रहे। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि आज अक्षय तृतीया ,भगवान परशुराम जयंती और ईद जैसे त्यौहार पूरे राष्ट्र में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाये जा रहे है। हालांकि यह त्यौहार देशभर में अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोगों के द्वारा मनाए जा रहे हैं लेकिन सभी का मकसद एवं संदेश आपसी भाईचारे को बढ़ाना और प्रेम का प्रचार-प्रसार करना है।
सुरेश भारद्वाज पूर्व मंत्री हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम विष्णु भगवान के छठवें अवतार माने जाते हैं। उनका प्राक्टय प्रदोष काल में हुआ था और वह 8 चिरंजीवी पुरुषों में एक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी धरती पर मौजूद है।
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