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शिमला, 08 मई [ विशाल सूद ] ! भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं बिलासपुर के विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चीफ पार्लिमेंट सेक्रेटरी की नियुक्तियों के विरोध में भाजपा ने प्रदेश उच्च न्यायालय में एक पिटीशन लगाई है और इन नियुक्तियों को चैलेंज किया है। उन्होंने कहा कि सीपीएस ऑफिस ऑफ प्रॉफिट है और यह नियुक्तियां संविधान के खिलाफ है पूर्व कांग्रेस सरकार ने एक बार पहले भी सीपीएस की नियुक्तियां की थी जो कि रद्द कर दी गई थी और इसके बाद वर्तमान सरकार ने फिर वही गलती दोहराई है इस पिटीशन को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता सतपाल जैन हमारे वकील है। उन्होंने कहा की हमें 100% विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा, हमें लोकतंत्र और न्यायपालिका में पूरा विश्वास है। जल्द ही सभी सीपीएस को अपने पद छोड़ने पड़ेंगे , छोटे राज्यों के लिए मंत्री परिषद को लेकर संविधान में रिस्ट्रिक्शन लगाई गई है । प्रदेश सरकार को संविधान को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान को उठाकर देख लीजिए संविधान में मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद का जिक्र है पर उप मुख्यमंत्री पद का जिक्र नहीं है। प्रदेश सरकार ने केवल अपने नेताओं को एडजस्ट करने के लिए कई नियुक्तियां की है पर यह सभी नियुक्तियां संविधान के खिलाफ है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला, 08 मई [ विशाल सूद ] ! भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं बिलासपुर के विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चीफ पार्लिमेंट सेक्रेटरी की नियुक्तियों के विरोध में भाजपा ने प्रदेश उच्च न्यायालय में एक पिटीशन लगाई है और इन नियुक्तियों को चैलेंज किया है।
उन्होंने कहा कि सीपीएस ऑफिस ऑफ प्रॉफिट है और यह नियुक्तियां संविधान के खिलाफ है पूर्व कांग्रेस सरकार ने एक बार पहले भी सीपीएस की नियुक्तियां की थी जो कि रद्द कर दी गई थी और इसके बाद वर्तमान सरकार ने फिर वही गलती दोहराई है इस पिटीशन को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता सतपाल जैन हमारे वकील है।
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उन्होंने कहा की हमें 100% विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा, हमें लोकतंत्र और न्यायपालिका में पूरा विश्वास है। जल्द ही सभी सीपीएस को अपने पद छोड़ने पड़ेंगे , छोटे राज्यों के लिए मंत्री परिषद को लेकर संविधान में रिस्ट्रिक्शन लगाई गई है । प्रदेश सरकार को संविधान को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संविधान को उठाकर देख लीजिए संविधान में मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद का जिक्र है पर उप मुख्यमंत्री पद का जिक्र नहीं है।
प्रदेश सरकार ने केवल अपने नेताओं को एडजस्ट करने के लिए कई नियुक्तियां की है पर यह सभी नियुक्तियां संविधान के खिलाफ है।
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