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शिमला , 07 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल किसान सभा व सेब उत्पादक संघ ने आज राजस्व मंत्री व भूमि पर कब्जे नियमित करने के लिए गठित उप समिति के अध्यक्ष जगत सिंह नेगी से सचिवालय में मुलाकात कर उनको एक ज्ञापन दिया। सेब उत्पादक संघ के नेता और पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बाबू राम बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और एएनआर में 28 नवंबर को भूमि से बेदखली को अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन माना है। उन्होंने कहा कि मंत्री से आग्रह किया गया कि हिमाचल प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम 1954 में धारा 163 ए के अधिनियमन द्वारा संशोधन के पश्चात किए गए बेदखली के सभी मामलों की समीक्षा की जाए तथा बेदखल किए गए किसानों को उनकी भूमि वापस लौटाई जाए। उन्होंने कहा कि मंत्री से आग्रह किया गया कि जो जुल्म गरीब आदमी और बागवान पर हो रहा है, उसके मकान सीज किए जा रहे हैं व उसकी खेती को नष्ट किया जा रहा है, उसके लिए कोई बीच का रास्ता निकाला जाए। सिंघा ने कहा कि सेटलमेंट में जिस भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में गैर वन भूमि दर्ज कर लिया गया है, उसे कानूनी तौर पर नियमित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले 2-3 वर्षों में हिमाचल में आपदा और त्रासदी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। बहुत से किसानों की पूरी की पूरी भूमि नष्ट हो गयी है। 1980 से पहले हिमाचल में तबादला की नीति हुआ करती थी। जब भी प्राकृतिक आपदा की वजह से भूमि खत्म हो जाया करती थी तो उसकी निजी भूमि के बदले उसको सरकारी जमीन दे दी जाती थी और जमीन का तबादला उस व्यक्ति के नाम कर दिया जाता था। वहीं हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि हिमाचल में लैंड रेवेन्यु एक्ट में 163 ए संशोधन किया गया था, जिसमें लघु और सीमांत किसानों की जमीनों को नियमित किया जाना था, उसमें तकरीबन पौने दो लाख के करीब केस थे। इस मामले में किसानों ने जमीनों को नियमित करने के लिए एफिडेविट दिए थे पर इसमें रेगुलराइज करने की बजाय बेदखली कर दी गयी। उन्होंने कहा कि इन सभी मामलों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के संदर्भ में रिव्यु किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा 40000 से ज्यादा मामले कांगड़ा जिला में और 28000 के करीब मंडी जिला में हैं। पूरे प्रदेश में छोटे किसानों को राहत दी जानी चाहिए।
शिमला , 07 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल किसान सभा व सेब उत्पादक संघ ने आज राजस्व मंत्री व भूमि पर कब्जे नियमित करने के लिए गठित उप समिति के अध्यक्ष जगत सिंह नेगी से सचिवालय में मुलाकात कर उनको एक ज्ञापन दिया।
सेब उत्पादक संघ के नेता और पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बाबू राम बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और एएनआर में 28 नवंबर को भूमि से बेदखली को अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन माना है।
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उन्होंने कहा कि मंत्री से आग्रह किया गया कि हिमाचल प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम 1954 में धारा 163 ए के अधिनियमन द्वारा संशोधन के पश्चात किए गए बेदखली के सभी मामलों की समीक्षा की जाए तथा बेदखल किए गए किसानों को उनकी भूमि वापस लौटाई जाए।
उन्होंने कहा कि मंत्री से आग्रह किया गया कि जो जुल्म गरीब आदमी और बागवान पर हो रहा है, उसके मकान सीज किए जा रहे हैं व उसकी खेती को नष्ट किया जा रहा है, उसके लिए कोई बीच का रास्ता निकाला जाए।
सिंघा ने कहा कि सेटलमेंट में जिस भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में गैर वन भूमि दर्ज कर लिया गया है, उसे कानूनी तौर पर नियमित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले 2-3 वर्षों में हिमाचल में आपदा और त्रासदी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। बहुत से किसानों की पूरी की पूरी भूमि नष्ट हो गयी है। 1980 से पहले हिमाचल में तबादला की नीति हुआ करती थी।
जब भी प्राकृतिक आपदा की वजह से भूमि खत्म हो जाया करती थी तो उसकी निजी भूमि के बदले उसको सरकारी जमीन दे दी जाती थी और जमीन का तबादला उस व्यक्ति के नाम कर दिया जाता था।
वहीं हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि हिमाचल में लैंड रेवेन्यु एक्ट में 163 ए संशोधन किया गया था, जिसमें लघु और सीमांत किसानों की जमीनों को नियमित किया जाना था, उसमें तकरीबन पौने दो लाख के करीब केस थे।
इस मामले में किसानों ने जमीनों को नियमित करने के लिए एफिडेविट दिए थे पर इसमें रेगुलराइज करने की बजाय बेदखली कर दी गयी। उन्होंने कहा कि इन सभी मामलों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के संदर्भ में रिव्यु किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा 40000 से ज्यादा मामले कांगड़ा जिला में और 28000 के करीब मंडी जिला में हैं। पूरे प्रदेश में छोटे किसानों को राहत दी जानी चाहिए।
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