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शिमला ! शिमला , 17 नवंबर [ शिवानी ] ! शहर के दर्जनों जनवादी व प्रगतिशील संगठनों ने हिमाचल फॉर पीस एंड हार्मनी फोरम के बैनर तले प्रदेश में शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने के लिए बिंदुराज धर्मशाला शिमला में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी को सीपीआईएम की पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली, फोरम संयोजक डॉ कुलदीप सिंह तंवर, मुफ्ती मोहम्मद शफी कासमी, राकेश सिंघा व विजेंद्र मेहरा ने संबोधित किया। संगोष्ठी में महफूज मलिक, प्रोफेसर विजय वीर सिंह डोगरा, इंजीनियर मनमोहन सिंह वर्मा, रामेश्वर शर्मा, जगत राम, सत्यवान पुंडीर, बालक राम, अनिल ठाकुर, विरेंद्र ठाकुर, सुमित्रा चंदेल, प्रीतम नेगी, बिमला ठाकुर, आनंद शर्मा, मोहम्मद अनवर, सोनिया, किशोरी, कलावती, मीना, गज़ाला अनवर, रमा, सीमा, कपिल शर्मा, संतोष, विवेक कश्यप, रॉकी जगवाल सहित अन्य लोग शामिल हुए। संगोष्ठी में प्रतिनिधियों ने देश के सांप्रदायिक सौहार्द, धर्मनिरपेक्षता व संविधान की रक्षा का संकल्प लिया। उन्होंने शिमला शहर के नागरिकों व प्रदेश की जनता से शिमला व हिमाचल प्रदेश में शांति, भाईचारे, अमन, चैन, सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत करने की अपील की। उन्होंने धर्म, जाति, क्षेत्र, लिंग, नस्ल से ऊपर उठकर देश की एकता व अखंडता के लिए कार्य करने, आपसी भाईचारे, अमन चैन व शांति को कायम रखने, लोकतान्त्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कायम रखने की शपथ ली। उन्होंने देश के संविधान को चुनौती देने वाली सांप्रदायिक शक्तियों का डटकर मुकाबला करने का आह्वान किया।संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हमेशा से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे अपने सामाजिक मानकों के लिए देश में जाना जाता रहा है। हमारा प्रदेश भाईचारे, अमन चैन, सांप्रदायिक सद्भाव, एकता की देश में एक मिसाल रहा है। प्रदेश की जनता ने हमेशा संवैधानिक व लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की है। देश के संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता अंकित है जहां सब धर्मों को समानता का अधिकार है। संविधान किसी भी नागरिक में धर्म जाति क्षेत्र नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। परंतु हालिया सांप्रदायिक हिंसा ने देश व विदेश में हिमाचल प्रदेश की छवि को धूमिल किया है। कुछ सांप्रदायिक संगठनों द्वारा प्रायोजित सांप्रदायिक तनाव से प्रदेश के सबसे बड़े आर्थिक संसाधनों में से एक पर्यटन उद्योग पर भारी खतरा मंडरा रहा है। इन घटनाक्रमों से प्रदेश की जनता की एकता में बिखराव आया है। इस से प्रदेश में शांति व्यवस्था कमजोर हुई है। इस से प्रदेश का नाम बदनाम हुआ है। उन्होंने प्रदेश की जनता से अपील की है कि वह मानव मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आए व प्रदेश में भाईचारा स्थापित करे। उन्होंने जनता से एकता बनाने का आह्वान किया है ताकि भविष्य में हिमाचल प्रदेश में शांति व सांप्रदायिक सौहार्द कायम रहे। उन्होंने कहा कि जनता में भाईचारे को बढ़ाने के लिए इस तरह की संगोष्ठियों अगले दो महीने के भीतर प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण केंद्रों में आयोजित की जाएंगी।
शिमला !
शिमला , 17 नवंबर [ शिवानी ] ! शहर के दर्जनों जनवादी व प्रगतिशील संगठनों ने हिमाचल फॉर पीस एंड हार्मनी फोरम के बैनर तले प्रदेश में शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने के लिए बिंदुराज धर्मशाला शिमला में एक संगोष्ठी का आयोजन किया।
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संगोष्ठी को सीपीआईएम की पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली, फोरम संयोजक डॉ कुलदीप सिंह तंवर, मुफ्ती मोहम्मद शफी कासमी, राकेश सिंघा व विजेंद्र मेहरा ने संबोधित किया।
संगोष्ठी में महफूज मलिक, प्रोफेसर विजय वीर सिंह डोगरा, इंजीनियर मनमोहन सिंह वर्मा, रामेश्वर शर्मा, जगत राम, सत्यवान पुंडीर, बालक राम, अनिल ठाकुर, विरेंद्र ठाकुर, सुमित्रा चंदेल, प्रीतम नेगी, बिमला ठाकुर, आनंद शर्मा, मोहम्मद अनवर, सोनिया, किशोरी, कलावती, मीना, गज़ाला अनवर, रमा, सीमा, कपिल शर्मा, संतोष, विवेक कश्यप, रॉकी जगवाल सहित अन्य लोग शामिल हुए।
संगोष्ठी में प्रतिनिधियों ने देश के सांप्रदायिक सौहार्द, धर्मनिरपेक्षता व संविधान की रक्षा का संकल्प लिया। उन्होंने शिमला शहर के नागरिकों व प्रदेश की जनता से शिमला व हिमाचल प्रदेश में शांति, भाईचारे, अमन, चैन, सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत करने की अपील की। उन्होंने धर्म, जाति, क्षेत्र, लिंग, नस्ल से ऊपर उठकर देश की एकता व अखंडता के लिए कार्य करने, आपसी भाईचारे, अमन चैन व शांति को कायम रखने, लोकतान्त्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कायम रखने की शपथ ली।
उन्होंने देश के संविधान को चुनौती देने वाली सांप्रदायिक शक्तियों का डटकर मुकाबला करने का आह्वान किया।संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हमेशा से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे अपने सामाजिक मानकों के लिए देश में जाना जाता रहा है। हमारा प्रदेश भाईचारे, अमन चैन, सांप्रदायिक सद्भाव, एकता की देश में एक मिसाल रहा है।
प्रदेश की जनता ने हमेशा संवैधानिक व लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की है। देश के संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता अंकित है जहां सब धर्मों को समानता का अधिकार है। संविधान किसी भी नागरिक में धर्म जाति क्षेत्र नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। परंतु हालिया सांप्रदायिक हिंसा ने देश व विदेश में हिमाचल प्रदेश की छवि को धूमिल किया है। कुछ सांप्रदायिक संगठनों द्वारा प्रायोजित सांप्रदायिक तनाव से प्रदेश के सबसे बड़े आर्थिक संसाधनों में से एक पर्यटन उद्योग पर भारी खतरा मंडरा रहा है।
इन घटनाक्रमों से प्रदेश की जनता की एकता में बिखराव आया है। इस से प्रदेश में शांति व्यवस्था कमजोर हुई है। इस से प्रदेश का नाम बदनाम हुआ है। उन्होंने प्रदेश की जनता से अपील की है कि वह मानव मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आए व प्रदेश में भाईचारा स्थापित करे।
उन्होंने जनता से एकता बनाने का आह्वान किया है ताकि भविष्य में हिमाचल प्रदेश में शांति व सांप्रदायिक सौहार्द कायम रहे। उन्होंने कहा कि जनता में भाईचारे को बढ़ाने के लिए इस तरह की संगोष्ठियों अगले दो महीने के भीतर प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण केंद्रों में आयोजित की जाएंगी।
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