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शिमला,30 अगस्त,[ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! राज्यसभा चुनाव के दौरान उठा सियासी तूफान अभी शांत नहीं हुआ है। मॉनसून सत्र के चौथे दिन आज सदन में विधान सभा अध्यक्ष के छ विधायकों के "सिर कलम करने और तीन का सिर आरे के नीचे होने" के बयान पर आज भाजपा विधायक इंद्र दत्त लखनपाल ने सदन में पॉइंट ऑफ के ऑर्डर तहत उठाया और अध्यक्ष से इस बयान पर खेद प्रकट करने की मांग की जिसे अध्यक्ष ने खारिज करते हुए कहा कि मैंने सदन में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है जिसके लिए खेद प्रकट करे जिस पर सदन में विपक्ष ने नारेबाजी की और सदन से वॉकआउट कर दिया। ,विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि विधान सभा अध्यक्ष ने संवैधानिक पद पर बैठ कर गैर जिम्मेदाराना बयान दिया था जिस पर विधायकों ने सदन में मामला उठाया लेकिन विपक्ष की बात सुनने के बजाय कहा कि उनकी सीखने की उम्र नहीं है और जो कहा है वह ठीक है। विधान सभा अध्यक्ष अंहकारी हो गए हैं और खुद को सर्वज्ञाता बता रहे हैं जैसे उन्हें ही नियमों का ज्ञान है और बाकी विधायक पहली बार सदन की कार्यवाही में भाग ले रहे हैं। विपक्ष के कई विधायक चार से पांच बार जीत कर सदन में पहुंचे हैं और 28 साल मुझे भी विधान सभा में हिस्सा लेते हुए हो गए है। वहीं सत्तापक्ष की ओर से संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने विपक्ष द्वारा उठाए के मुद्दे पर सदन में निंदा प्रस्ताव लाया और विपक्ष के आरोपों की निन्दा की और कहा कि राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने हिमाचल में मिशन लोटस चलाया जिसे प्रदेश की जनता ने जवाब दे दिया है ऐसे में अब विपक्ष को अपनी भूमिका को निभाने का कार्य करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने विधान सभा अध्यक्ष के बयान को जायज ठहराते हुए कहा कि विधान सभा अध्यक्ष ने जो कहा है उसमें कुछ गलत नहीं है। वहीं विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि सदन की कार्यवाही नियमों से चलती है और सदन के भीतर मैंने कभी इस तरह की बात नहीं कही। सदन के बाहर मेरा अलग दायित्व है और नेता विपक्ष जयराम ठाकुर मुझे नहीं सिखाएंगे की मुझे क्या करना है और क्या नहीं। जयराम ठाकुर को जवाब देने के लिए मैं बाध्य नहीं हूं बल्कि उनकी जबावदेही सदन कर प्रति है।जयराम ठाकुर मुझसे काफी जूनियर है और उन्हें मुझे जवाब देने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह क्या कहते हैं उसका कोई औचित्य भी नही है। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि मेरे निर्णयों को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई है उन्होने भी मुझसे प्रश्न नहीं किया तो नेता विपक्ष जयराम ठाकुर प्रश्न उठाने वाले कौन होते हैं।
शिमला,30 अगस्त,[ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! राज्यसभा चुनाव के दौरान उठा सियासी तूफान अभी शांत नहीं हुआ है। मॉनसून सत्र के चौथे दिन आज सदन में विधान सभा अध्यक्ष के छ विधायकों के "सिर कलम करने और तीन का सिर आरे के नीचे होने" के बयान पर आज भाजपा विधायक इंद्र दत्त लखनपाल ने सदन में पॉइंट ऑफ के ऑर्डर तहत उठाया और अध्यक्ष से इस बयान पर खेद प्रकट करने की मांग की जिसे अध्यक्ष ने खारिज करते हुए कहा कि मैंने सदन में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है जिसके लिए खेद प्रकट करे जिस पर सदन में विपक्ष ने नारेबाजी की और सदन से वॉकआउट कर दिया।
,विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि विधान सभा अध्यक्ष ने संवैधानिक पद पर बैठ कर गैर जिम्मेदाराना बयान दिया था जिस पर विधायकों ने सदन में मामला उठाया लेकिन विपक्ष की बात सुनने के बजाय कहा कि उनकी सीखने की उम्र नहीं है और जो कहा है वह ठीक है। विधान सभा अध्यक्ष अंहकारी हो गए हैं और खुद को सर्वज्ञाता बता रहे हैं जैसे उन्हें ही नियमों का ज्ञान है और बाकी विधायक पहली बार सदन की कार्यवाही में भाग ले रहे हैं। विपक्ष के कई विधायक चार से पांच बार जीत कर सदन में पहुंचे हैं और 28 साल मुझे भी विधान सभा में हिस्सा लेते हुए हो गए है।
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वहीं सत्तापक्ष की ओर से संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने विपक्ष द्वारा उठाए के मुद्दे पर सदन में निंदा प्रस्ताव लाया और विपक्ष के आरोपों की निन्दा की और कहा कि राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने हिमाचल में मिशन लोटस चलाया जिसे प्रदेश की जनता ने जवाब दे दिया है ऐसे में अब विपक्ष को अपनी भूमिका को निभाने का कार्य करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने विधान सभा अध्यक्ष के बयान को जायज ठहराते हुए कहा कि विधान सभा अध्यक्ष ने जो कहा है उसमें कुछ गलत नहीं है।
वहीं विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि सदन की कार्यवाही नियमों से चलती है और सदन के भीतर मैंने कभी इस तरह की बात नहीं कही। सदन के बाहर मेरा अलग दायित्व है और नेता विपक्ष जयराम ठाकुर मुझे नहीं सिखाएंगे की मुझे क्या करना है और क्या नहीं। जयराम ठाकुर को जवाब देने के लिए मैं बाध्य नहीं हूं बल्कि उनकी जबावदेही सदन कर प्रति है।जयराम ठाकुर मुझसे काफी जूनियर है और उन्हें मुझे जवाब देने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह क्या कहते हैं उसका कोई औचित्य भी नही है। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि मेरे निर्णयों को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई है उन्होने भी मुझसे प्रश्न नहीं किया तो नेता विपक्ष जयराम ठाकुर प्रश्न उठाने वाले कौन होते हैं।
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