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चम्बा ! शहीद दिवस के अवसर पर आज भाषा एवं संस्कृति विभाग , नेता जी सुभाष चंद्र बोस- जयन्ती आयोजन समिति के संयुक्त तत्वावधान में ढुंडयारा बंगला में कवि गोष्ठी और परिचर्चा का आयोजन किया गया। ज़िला भाषा अधिकारी तुकेश शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि देश के महान शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। हिमाचल प्रदेश की समृद्ध-सांस्कृतिक धरोहर तथा साहित्यिक परंपराएं परिचर्चा का हिस्सा रहीं। वरिष्ठ, नवोदित, बाल-कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ कर गोष्ठी को सफल बनाया । बाल कवि आदिल, तन्वी यशबनी, यसमाश्री ने काव्य पाठ कर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। कवि करुण कुमार, "थे वीर अनोखे अल्हड़ से वो" अनूप आर्या,"समर्पण प्रेम की आशा है""चलो चम्बा चलते" एम.आर. भाटिया, "लहू से अपने रंग दिया आजादी की तस्वीरों को" रामानंद ठाकुर,"आज का कवि सम्मेलन समर्पित देश भक्त लालों को" केवल सिंह भारती "आरक्षण मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है" भूपेंद्र सिंह जसरोटिया,- "खण्डा साही घुलदी चम्ब्याली 'मुकी गेया पाणी सुनो चम्बे दी कहाणी" सुभाष साहिल, "बचपन यौवन खुशियाँ मिस्रा श्वाश लिखे" रणजीत ठाकुर "आग लगी वृक्ष को उड़ जा पंछिया" अशोक दर्द, "सब कुछ भूल कर जो फंदे पर झूल गए-पिघलते नहीं पथर आंसू बहाने से- मैं कविए दी लाडी अडियो" मोनिका उपासना पुष्प,"कई साल हो गए आजादी को" तुमसे गुजर कर जो हवा आ रही" अमित भारद्वाज "धुंधले से किस्से वक़्त की दीवारों से हो गए"अभिषेक आदि रचनाओं का पाठ किया। कवियों ने मानवीय संबंधों, समाज के ताने-बाने, उलझते रिश्तों और प्रकृति के विविध पहलुओं पर आधारित रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया ।कवि सम्मेलन के दौरान हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और समाज के विकास में साहित्य के योगदान पर विशेष चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिमाचल के सांस्कृतिक तथा प्राकृतिक सौंदर्य तथा साहित्य के सामाजिक महत्व पर अपने विचार साझा किए। मंच का संचालन जगजीत आजाद ने किया। इस अवसर पर केप्टन जैसी राम शर्मा, तरुण नश्कर, ऋतु कोशिक विशेष तौर पर उपस्थित रहे।
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