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शिमला ! उमंग फाउंडेशन के प्रयास रंग लाए और सुन्नी बाजार से बीमार बेसहारा बुजुर्ग बलवंत को एससी ओबीसी और माइनॉरिटी विभाग की निदेशक किरण भड़ाना के आदेश पर बसंतपुर स्थित राज्य सरकार के वृद्धाश्रम में 24 घंटे के भीतर ही भरती करा दिया गया। अब वहां उनका इलाज और देखरेख बेहतर तरीके से हो सकेगी। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने निदेशक किरण भड़ाना को सोमवार को पत्र भेजा था और फोन करके बुजुर्ग को तुरंत रेस्क्यू करने का अनुरोध किया था। निदेशक ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई का भरोसा दिलाया था।मंगलवार को निदेशक के आदेश मिलते ही सुन्नी के तहसील वेलफेयर ऑफिसर राकेश शांडिल ने उन्हें वहां शिफ्ट कर दिया। उमंग फाउंडेशन ने उन सभी लोगों का आभार जताया है जिन्होंने सुन्नी बाजार में असहाय हालत में पड़े बुजुर्ग बलवंत की कई महीने तक सहायता की। इसके अलावा निदेशक एवं सुन्नी के तहसील कल्याण अधिकारी की त्वरित कार्रवाई के लिए उनका धन्यवाद किया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में बसंतपुर के वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन देखकर अजय श्रीवास्तव ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने 4 जून 2015 के अपने फैसले में सरकार को एक वर्ष के भीतर ऐसा नया वृद्ध आश्रम बनाने के आदेश दिए थे जिसमें बुजुर्गों के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं हों और वह मानवीय गरिमा के अनुरूप हो। मई 2016 में वृद्ध आश्रम का नया भवन बनकर तैयार हो गया और अब उसमें 50 बुजुर्ग हैं।प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि दयनीय और बेसहारा हालत में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों तथा मनोरोगियों को देखकर समाज को चाहिए कि वह प्रशासन के माध्यम से उनके स्थानीय पुनर्वास का प्रयास करे।
शिमला ! उमंग फाउंडेशन के प्रयास रंग लाए और सुन्नी बाजार से बीमार बेसहारा बुजुर्ग बलवंत को एससी ओबीसी और माइनॉरिटी विभाग की निदेशक किरण भड़ाना के आदेश पर बसंतपुर स्थित राज्य सरकार के वृद्धाश्रम में 24 घंटे के भीतर ही भरती करा दिया गया। अब वहां उनका इलाज और देखरेख बेहतर तरीके से हो सकेगी।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने निदेशक किरण भड़ाना को सोमवार को पत्र भेजा था और फोन करके बुजुर्ग को तुरंत रेस्क्यू करने का अनुरोध किया था। निदेशक ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई का भरोसा दिलाया था।मंगलवार को निदेशक के आदेश मिलते ही सुन्नी के तहसील वेलफेयर ऑफिसर राकेश शांडिल ने उन्हें वहां शिफ्ट कर दिया। उमंग फाउंडेशन ने उन सभी लोगों का आभार जताया है जिन्होंने सुन्नी बाजार में असहाय हालत में पड़े बुजुर्ग बलवंत की कई महीने तक सहायता की। इसके अलावा निदेशक एवं सुन्नी के तहसील कल्याण अधिकारी की त्वरित कार्रवाई के लिए उनका धन्यवाद किया।
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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में बसंतपुर के वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन देखकर अजय श्रीवास्तव ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने 4 जून 2015 के अपने फैसले में सरकार को एक वर्ष के भीतर ऐसा नया वृद्ध आश्रम बनाने के आदेश दिए थे जिसमें बुजुर्गों के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं हों और वह मानवीय गरिमा के अनुरूप हो। मई 2016 में वृद्ध आश्रम का नया भवन बनकर तैयार हो गया और अब उसमें 50 बुजुर्ग हैं।प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि दयनीय और बेसहारा हालत में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों तथा मनोरोगियों को देखकर समाज को चाहिए कि वह प्रशासन के माध्यम से उनके स्थानीय पुनर्वास का प्रयास करे।
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