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सोलन, 17 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! विवेक शर्मा भाजपा प्रवक्ता ने प्रशासन पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा गत 1984 में एक पिक्चर आई थी शराबी।सुप्रसिद्ध कलाकार अमिताभ बच्चन की इस फिल्म का एक डायलॉग था "मूंछें हो तो नथूलाल जैसी वरना ना हो तो अच्छा"।आज वह हिमाचल के अधिकारियों पर पूर्णता फिट बैठती है। अधिकारी हो तो हिमाचल जैसे वरना ना हो तो अच्छा ।बीवी, बच्चा समेत 75 प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा होली की पार्टी होटल होलीडे होम शिमला में मनाई गई । होस्ट थे माननीय चीफ सेक्रेटरी साहब।बिल आया 122020 का और पे करेगी हिमाचल सरकार का सामान्य प्रशासनिक विभाग G.A.D कमाल है मेरे प्रशासन और मेरी सरकार। प्रदेश में जहां कर्मचारियों को एरियर और डी.ऐ के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ट्रेजरी में ठेकेदारों का करोड़ों का भुगतान खड़ा है। कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी सड़क पर भजन कीर्तन कर रहे हैं। अस्पतालों में पर्चियां के पैसे लगने लगे हैं। मुख्यमंत्री का समोसा छोटे कर्मचारी द्वारा गलती से खाए जाने पर इंक्वारी हो जाती है। शौचालय पर टैक्स लग जाता है। वहीं पर "रंग बरसे भीगे चुनरवाली" की मौज-मस्ती और लंच का खर्चा हिमाचल सरकार को देना पढ़ रहा है। यह भी व्यवस्था परिवर्तन है।हिमाचल प्रदेश की राजनीति में आज की स्थिति में अगर सबसे बड़ी चुनौती है तो वह है इस बेलगाम प्रशासन को नियंत्रण करने की । सरकार किसी की भी हो इन्हें नियंत्रण करने के लिए संवैधानिक प्रावधानों की आवश्यकता है क्योंकि बेलगाम घोड़ा सिर्फ फसले ही खराब नहीं करता नस्लें भी खराब करता है। राजनीतिक कार्यकर्ता इनका मुंह देखते हैं और चुने हुए प्रतिनिधि इनकी निर्भरता पर निर्भर होकर रह गए हैं।सत्ता परिवर्तन और व्यवस्था परिवर्तन में उलझी कांग्रेस को घोड़े को नकेल डालनी सीखनी चाहिए। अन्यथा यह अधिकारी एक दिन हिमाचल को बेचकर व्यवस्था परिवर्तन बता देंगे।
सोलन, 17 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! विवेक शर्मा भाजपा प्रवक्ता ने प्रशासन पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा गत 1984 में एक पिक्चर आई थी शराबी।सुप्रसिद्ध कलाकार अमिताभ बच्चन की इस फिल्म का एक डायलॉग था "मूंछें हो तो नथूलाल जैसी वरना ना हो तो अच्छा"।आज वह हिमाचल के अधिकारियों पर पूर्णता फिट बैठती है। अधिकारी हो तो हिमाचल जैसे वरना ना हो तो अच्छा ।बीवी, बच्चा समेत 75 प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा होली की पार्टी होटल होलीडे होम शिमला में मनाई गई । होस्ट थे माननीय चीफ सेक्रेटरी साहब।बिल आया 122020 का और पे करेगी हिमाचल सरकार का सामान्य प्रशासनिक विभाग G.A.D कमाल है मेरे प्रशासन और मेरी सरकार। प्रदेश में जहां कर्मचारियों को एरियर और डी.ऐ के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ट्रेजरी में ठेकेदारों का करोड़ों का भुगतान खड़ा है। कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी सड़क पर भजन कीर्तन कर रहे हैं। अस्पतालों में पर्चियां के पैसे लगने लगे हैं।
मुख्यमंत्री का समोसा छोटे कर्मचारी द्वारा गलती से खाए जाने पर इंक्वारी हो जाती है। शौचालय पर टैक्स लग जाता है। वहीं पर "रंग बरसे भीगे चुनरवाली" की मौज-मस्ती और लंच का खर्चा हिमाचल सरकार को देना पढ़ रहा है। यह भी व्यवस्था परिवर्तन है।हिमाचल प्रदेश की राजनीति में आज की स्थिति में अगर सबसे बड़ी चुनौती है तो वह है इस बेलगाम प्रशासन को नियंत्रण करने की । सरकार किसी की भी हो इन्हें नियंत्रण करने के लिए संवैधानिक प्रावधानों की आवश्यकता है क्योंकि बेलगाम घोड़ा सिर्फ फसले ही खराब नहीं करता नस्लें भी खराब करता है।
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राजनीतिक कार्यकर्ता इनका मुंह देखते हैं और चुने हुए प्रतिनिधि इनकी निर्भरता पर निर्भर होकर रह गए हैं।सत्ता परिवर्तन और व्यवस्था परिवर्तन में उलझी कांग्रेस को घोड़े को नकेल डालनी सीखनी चाहिए। अन्यथा यह अधिकारी एक दिन हिमाचल को बेचकर व्यवस्था परिवर्तन बता देंगे।
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