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चम्बा, 30 जुलाई, [ रीना सहोत्रा ] ! चलो चम्बा अभियान के तहत चमीनू गांव स्थित एचटूओ आनंदम में समझाया पारंपरिक व्यंजनों का महत्व एचटूओ आनंदम का संचालन करने वाले स्वयं सहायता समूहों ने आयोजित की कार्यशाला चलो चम्बा अभियान के तहत अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला उपलक्ष्य पर एचटूओ आनंदम चमीनू में चंबा के पारंपरिक व्यंजनों को तैयार किया गया। एचटूओ आनंदम में स्थित सामुदायिक महिला रसोईघर में पारंरिक व्यंजनों को तैयार करने इनका महत्व समझाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। रसोईघर में बुजुर्ग महिला शांति देवी, उषा, नीना, रेणू शर्मा, विशाली तथा कांता ने युवा पीढ़ी को पारंपरिक चंबयाली धाम, घेयोर, बेआब, कचौरी, सकोत, बड़े, बबरू, दही वाले आलू, घुघी तथा मिठडू आदि व्यंजन बनाना सिखाए। युवक-युवतियों में मीना, लक्ष्मी, देवी, तरिपता, रेणु, ज्योति, बेबी, नीतिज्ञ, राजेश, विकास, तनविंदर, सुरेंद्र, बुद्धी प्रकाश, नवींदर, अनूप, विजय, तुषार तथा हेम सिंह आदि एनएफसीआई इंस्टीट्यूट उदयपुर के शैफ प्रशिक्षु ने पारंपरिक व्यंजनों को तैयार करने की विधि को बारीकी से सीखा। एनएफसीआई के प्रशिक्षु फैकल्टी पवन पठानिया के साथ यहां पहुंचे थे। इन व्यंजनों को तैयार करने के बाद यहां स्थित सभागार में इन्हें प्रदर्शित किया गया। जहां पर युवा पीढ़ी सहित आम लोगों को इनका पारंपरिक महत्व समझाया गया। कार्यशाला में पद्मश्री विजय शर्मा व पंकज चौफला ने बतौर विशेष अतिथि शिरकत की। कार्यशाला में इन गतिविधियों को बेहतर ढंग से पूरा करने में स्वयं सहायता समूहों चंबा रिडिसकवर, एचटूओ आनंदम, हालिस्टिक हिमालया, नोट ओन मैप, पहचान स्वयं सहायता समूह तथा चंबा रिडिस्कवर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की भी अहम भूमिका रही। आगामी दिनों में यह कार्यशाला एचटूओ आनंदम के साथ-साथ एनएफसीआई उदयपुर में भी चलेगी। पहले त्योहार के यही व्यंजन एक दूसरे को भेंट किए जाते थे। एचटूओ आनंदम में विशेष अवसरों पर तैयार किए जाने वाले पारंपरिक व्यंजनों को महिलाओं की ओर से तैयार किया गया। चम्बा का खान-पान अलग है। यहां तैयार व्यंजनों के महत्व के बारे में भी बताया गया। इस तरह की कार्यशालाएं भविष्य में भी आयोजित होनी चाहिए, ताकि इन पारंपरिक व्यंजनों को तैयार करने में युवा पीढ़ी में रूचि पैदा हो। तभी यह परंपरा निरंतर चलती रहेगी। कार्यशाला के लिए एचटूओ आनंदम के हम आभारी हैं, जिन्होंने इस कार्यशाला का आयोजन किया। चम्बा के पारंपरिक व्यंजनों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए सबके साथ मिलकर यह एक प्रयास किया गया है। इसमें युवा पीढ़ी ने भी काफी रूचि ली है, जो कि अच्छा संकेत है। यह कार्यशाला आगामी दिनों में एनएफसीई उदयपुर में चलेगी।
चम्बा, 30 जुलाई, [ रीना सहोत्रा ] ! चलो चम्बा अभियान के तहत चमीनू गांव स्थित एचटूओ आनंदम में समझाया पारंपरिक व्यंजनों का महत्व एचटूओ आनंदम का संचालन करने वाले स्वयं सहायता समूहों ने आयोजित की कार्यशाला चलो चम्बा अभियान के तहत अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला उपलक्ष्य पर एचटूओ आनंदम चमीनू में चंबा के पारंपरिक व्यंजनों को तैयार किया गया। एचटूओ आनंदम में स्थित सामुदायिक महिला रसोईघर में पारंरिक व्यंजनों को तैयार करने इनका महत्व समझाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।
रसोईघर में बुजुर्ग महिला शांति देवी, उषा, नीना, रेणू शर्मा, विशाली तथा कांता ने युवा पीढ़ी को पारंपरिक चंबयाली धाम, घेयोर, बेआब, कचौरी, सकोत, बड़े, बबरू, दही वाले आलू, घुघी तथा मिठडू आदि व्यंजन बनाना सिखाए। युवक-युवतियों में मीना, लक्ष्मी, देवी, तरिपता, रेणु, ज्योति, बेबी, नीतिज्ञ, राजेश, विकास, तनविंदर, सुरेंद्र, बुद्धी प्रकाश, नवींदर, अनूप, विजय, तुषार तथा हेम सिंह आदि एनएफसीआई इंस्टीट्यूट उदयपुर के शैफ प्रशिक्षु ने पारंपरिक व्यंजनों को तैयार करने की विधि को बारीकी से सीखा।
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एनएफसीआई के प्रशिक्षु फैकल्टी पवन पठानिया के साथ यहां पहुंचे थे। इन व्यंजनों को तैयार करने के बाद यहां स्थित सभागार में इन्हें प्रदर्शित किया गया। जहां पर युवा पीढ़ी सहित आम लोगों को इनका पारंपरिक महत्व समझाया गया। कार्यशाला में पद्मश्री विजय शर्मा व पंकज चौफला ने बतौर विशेष अतिथि शिरकत की। कार्यशाला में इन गतिविधियों को बेहतर ढंग से पूरा करने में स्वयं सहायता समूहों चंबा रिडिसकवर, एचटूओ आनंदम, हालिस्टिक हिमालया, नोट ओन मैप, पहचान स्वयं सहायता समूह तथा चंबा रिडिस्कवर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की भी अहम भूमिका रही। आगामी दिनों में यह कार्यशाला एचटूओ आनंदम के साथ-साथ एनएफसीआई उदयपुर में भी चलेगी। पहले त्योहार के यही व्यंजन एक दूसरे को भेंट किए जाते थे।
एचटूओ आनंदम में विशेष अवसरों पर तैयार किए जाने वाले पारंपरिक व्यंजनों को महिलाओं की ओर से तैयार किया गया। चम्बा का खान-पान अलग है। यहां तैयार व्यंजनों के महत्व के बारे में भी बताया गया। इस तरह की कार्यशालाएं भविष्य में भी आयोजित होनी चाहिए, ताकि इन पारंपरिक व्यंजनों को तैयार करने में युवा पीढ़ी में रूचि पैदा हो। तभी यह परंपरा निरंतर चलती रहेगी। कार्यशाला के लिए एचटूओ आनंदम के हम आभारी हैं, जिन्होंने इस कार्यशाला का आयोजन किया।
चम्बा के पारंपरिक व्यंजनों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए सबके साथ मिलकर यह एक प्रयास किया गया है। इसमें युवा पीढ़ी ने भी काफी रूचि ली है, जो कि अच्छा संकेत है। यह कार्यशाला आगामी दिनों में एनएफसीई उदयपुर में चलेगी।
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