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शिमला ! अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उमंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित वेबीनार की मुख्य अतिथि और राष्ट्रपति से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त दिल्ली की दृष्टिबाधित सामाजिक कार्यकर्ता वीना मेहता वर्मा ने कहा कि समाज को दिव्यांग महिलाओं के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है। इसके बिना संसद द्वारा पारित कानून भी उन्हें न्याय दिलाने में नाकाम हो रहे हैं। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव के अनुसार वेबीनार का विषय था, "दिव्यांग महिलाओं के समक्ष चुनौतियां और भविष्य की राह"। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय चुनाव आयोग की यूथ आईकॉन और दृष्टिबाधित असिस्टेंट प्रोफेसर मुस्कान नेगी ने की। गूगल मीट पर हुए कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की दिव्यांग छात्राओं समेत विभिन्न जिलों की दिव्यांग महिलाओं एवं अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। दिल्ली में एनटीपीसी में वरिष्ठ प्रबंधक (एचआर) और दृष्टिबाधित लोगों ओल्ड एज होम की निदेशक वीना मेहता वर्मा ने कहा कि संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए हैं। लेकिन सड़ी-गली मानसिकता के कारण दिव्यांगों के साथ लगातार भेदभाव और अत्याचार होता रहता है। इनमें भी दिव्यांग महिलाओं की स्थिति ज्यादा खराब है क्योंकि उन्हें परिवार, समाज और सरकार बराबरी का अधिकार देने की बजाय दया की दृष्टि से देखती है। व्हीलचेयर यूजर एमबीबीएस विद्यार्थी निकिता चौधरी ने दिव्यांग महिलाओं के आंकड़े बताते हुए कहा कि आम महिलाओं की तुलना में दिव्यांग महिलाएं 5% अधिक यौन एवं शोषण का शिकार होती हैं। दृष्टिबाधित असिस्टेंट प्रोफेसर और उमंग फाउंडेशन की ब्रांड एंबेसडर मुस्कान नेगी का कहना था कि दिव्यांग महिलाओं की चुनौतियां पुरुषों की तुलना में ज्यादा गंभीर होती हैं। बेटी की दिव्यांगता के अक्सर कारण परिवार उसकी शिक्षा, समाज में भागीदारी और विवाह का अवसर ही नहीं देता। पूर्णतः दृष्टिबाधित और घुमारवीं में एक सरकारी विभाग में कार्यरत अंजना कुमारी ने कहा कि दिव्यांग महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदलने में उमंग फाउंडेशन की बहुत बड़ी भूमिका है। कांगड़ा जिला की व्हीलचेयर यूजर शिक्षिका निखिल चौधरी का कहना था कि दिव्यांग महिलाओं को खुद पर विश्वास कर संघर्ष से पीछे नहीं हटना चाहिए। ज्वाला जी की उच्च शिक्षित शिक्षिका दृष्टिबाधित बनिता राणा के अनुसार यदि उपयुक्त सुविधा और शिक्षा का अवसर मिले तो दिव्यांग महिलाएं मुख्य धारा का हिस्सा बन सकती हैं। बीएड की दृष्टिबाधित विद्यार्थी शिवानी अत्री ने दिव्यांग महिलाओं से आत्मविश्वास बढ़ाने की अपील की। शारीरिक दिव्यांग एवं कुल्लू में सरकारी कर्मचारी बबीता ठाकुर ने कहा कि दिव्यांग महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में उचित टॉयलेट जैसी सुविधा भी उपलब्ध नहीं होती है। कार्यक्रम में शिक्षिका कविता चंदेल एवं कई अन्य प्रतिभागियों ने भी विचार व्यक्त किए।
शिमला ! अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उमंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित वेबीनार की मुख्य अतिथि और राष्ट्रपति से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त दिल्ली की दृष्टिबाधित सामाजिक कार्यकर्ता वीना मेहता वर्मा ने कहा कि समाज को दिव्यांग महिलाओं के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है। इसके बिना संसद द्वारा पारित कानून भी उन्हें न्याय दिलाने में नाकाम हो रहे हैं।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव के अनुसार वेबीनार का विषय था, "दिव्यांग महिलाओं के समक्ष चुनौतियां और भविष्य की राह"। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय चुनाव आयोग की यूथ आईकॉन और दृष्टिबाधित असिस्टेंट प्रोफेसर मुस्कान नेगी ने की। गूगल मीट पर हुए कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की दिव्यांग छात्राओं समेत विभिन्न जिलों की दिव्यांग महिलाओं एवं अन्य लोगों ने हिस्सा लिया।
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दिल्ली में एनटीपीसी में वरिष्ठ प्रबंधक (एचआर) और दृष्टिबाधित लोगों ओल्ड एज होम की निदेशक वीना मेहता वर्मा ने कहा कि संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए हैं। लेकिन सड़ी-गली मानसिकता के कारण दिव्यांगों के साथ लगातार भेदभाव और अत्याचार होता रहता है। इनमें भी दिव्यांग महिलाओं की स्थिति ज्यादा खराब है क्योंकि उन्हें परिवार, समाज और सरकार बराबरी का अधिकार देने की बजाय दया की दृष्टि से देखती है।
व्हीलचेयर यूजर एमबीबीएस विद्यार्थी निकिता चौधरी ने दिव्यांग महिलाओं के आंकड़े बताते हुए कहा कि आम महिलाओं की तुलना में दिव्यांग महिलाएं 5% अधिक यौन एवं शोषण का शिकार होती हैं। दृष्टिबाधित असिस्टेंट प्रोफेसर और उमंग फाउंडेशन की ब्रांड एंबेसडर मुस्कान नेगी का कहना था कि दिव्यांग महिलाओं की चुनौतियां पुरुषों की तुलना में ज्यादा गंभीर होती हैं। बेटी की दिव्यांगता के अक्सर कारण परिवार उसकी शिक्षा, समाज में भागीदारी और विवाह का अवसर ही नहीं देता।
पूर्णतः दृष्टिबाधित और घुमारवीं में एक सरकारी विभाग में कार्यरत अंजना कुमारी ने कहा कि दिव्यांग महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदलने में उमंग फाउंडेशन की बहुत बड़ी भूमिका है। कांगड़ा जिला की व्हीलचेयर यूजर शिक्षिका निखिल चौधरी का कहना था कि दिव्यांग महिलाओं को खुद पर विश्वास कर संघर्ष से पीछे नहीं हटना चाहिए।
ज्वाला जी की उच्च शिक्षित शिक्षिका दृष्टिबाधित बनिता राणा के अनुसार यदि उपयुक्त सुविधा और शिक्षा का अवसर मिले तो दिव्यांग महिलाएं मुख्य धारा का हिस्सा बन सकती हैं। बीएड की दृष्टिबाधित विद्यार्थी शिवानी अत्री ने दिव्यांग महिलाओं से आत्मविश्वास बढ़ाने की अपील की। शारीरिक दिव्यांग एवं कुल्लू में सरकारी कर्मचारी बबीता ठाकुर ने कहा कि दिव्यांग महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में उचित टॉयलेट जैसी सुविधा भी उपलब्ध नहीं होती है। कार्यक्रम में शिक्षिका कविता चंदेल एवं कई अन्य प्रतिभागियों ने भी विचार व्यक्त किए।
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