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शिमला , 21 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के कांग्रेस सरकार पर लगाए गए आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने प्रेसवार्ता कर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि जेपी नड्डा ने हिमाचल से जुड़े जिन प्रोजेक्ट्स को लेकर सवाल उठाए हैं, वे पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यहीन हैं. यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि प्रदेश की जनता के सामने सच रखें. नरेश चौहान ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति को प्रदेश के हित में बात करनी चाहिए, न कि राजनीति से प्रेरित बयानबाजी करनी चाहिए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू में प्रधान मीडिया सलाहकार मेडिकल डिवाइस पार्क को लेकर जो सवाल उठाए गए हैं, वे सरासर गलत हैं. यह प्रोजेक्ट प्रदेश सरकार खुद बना रही है. भारत सरकार से मिले 25 करोड़ रुपये ब्याज सहित वापस किए जा चुके हैं. पहले जो एग्रीमेंट हुआ था, वह प्रदेश के हित में नहीं था. नरेश चौहान ने कहा कि पार्क के लिए 1500 बीघा जमीन मात्र 12 लाख 63 हजार में देने का समझौता किया गया था, जो जमीन की बाजार कीमत के मुकाबले बेहद कम था. प्रदेश सरकार ने जब इसकी समीक्षा की तो पाया कि इसमें राज्य को भारी नुकसान हो रहा था. जमीन की वैल्यू करीब 500 करोड़ है. उन्होंने कहा कि न सिर्फ जमीन, बल्कि बिजली और पानी की दरें भी प्रदेश सरकार के लिए घाटे का सौदा थीं. इस प्रोजेक्ट में 10 साल तक बिना किसी शुल्क के पानी की आपूर्ति, मेंटेनेंस का जिम्मा राज्य सरकार पर और 70% जीएसटी की छूट जैसी शर्तें थीं, जिससे प्रदेश को राजस्व भी नहीं मिलता.
शिमला , 21 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के कांग्रेस सरकार पर लगाए गए आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने प्रेसवार्ता कर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि जेपी नड्डा ने हिमाचल से जुड़े जिन प्रोजेक्ट्स को लेकर सवाल उठाए हैं, वे पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यहीन हैं. यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि प्रदेश की जनता के सामने सच रखें. नरेश चौहान ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति को प्रदेश के हित में बात करनी चाहिए, न कि राजनीति से प्रेरित बयानबाजी करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू में प्रधान मीडिया सलाहकार मेडिकल डिवाइस पार्क को लेकर जो सवाल उठाए गए हैं, वे सरासर गलत हैं. यह प्रोजेक्ट प्रदेश सरकार खुद बना रही है. भारत सरकार से मिले 25 करोड़ रुपये ब्याज सहित वापस किए जा चुके हैं. पहले जो एग्रीमेंट हुआ था, वह प्रदेश के हित में नहीं था. नरेश चौहान ने कहा कि पार्क के लिए 1500 बीघा जमीन मात्र 12 लाख 63 हजार में देने का समझौता किया गया था, जो जमीन की बाजार कीमत के मुकाबले बेहद कम था.
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प्रदेश सरकार ने जब इसकी समीक्षा की तो पाया कि इसमें राज्य को भारी नुकसान हो रहा था. जमीन की वैल्यू करीब 500 करोड़ है. उन्होंने कहा कि न सिर्फ जमीन, बल्कि बिजली और पानी की दरें भी प्रदेश सरकार के लिए घाटे का सौदा थीं. इस प्रोजेक्ट में 10 साल तक बिना किसी शुल्क के पानी की आपूर्ति, मेंटेनेंस का जिम्मा राज्य सरकार पर और 70% जीएसटी की छूट जैसी शर्तें थीं, जिससे प्रदेश को राजस्व भी नहीं मिलता.
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