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मंडी , 11 नवंबर ! जम्मू-कश्मीर के कितश्वाड़ में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए मंडी जिला के बल्ह उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत छम्यार के बरनोग गांव के 42 वर्षीय राकेश कुमार की शहादत के बाद पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मिली जानकारी के अनुसार शहीद राकेश कुमार और उसके भाई का 10 कमरों का मकान वर्ष 2023 की प्राकृतिक आपदा में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। मौजूदा समय में शहीद राकेश कुमार का भाई अपने पुराने मकान में तो राकेश कुमार का परिवार बैहना में किराए के मकान में रह रहा है। राकेश कुमार के भाई कर्म सिंह ठाकुर ने बताया कि उनका भाई अभी डेढ़ महीना पहले ही छुट्टियां काटकर वापिस अपनी डयूटी पर गया था और दिसंबर में फिर घर आकर जनवरी में नए घर का निर्माण कार्य शुरू करने का वादा करके गया था। शहीद राकेश कुमार का नये घर को बनाने का सपना अधूरा ही रह गया और वो देश की रक्षा करते हुए शहादत का जाम पी गया। अब यह सारी जिम्मेवारियां परिवार के उपर आ गई हैं। शहीद राकेश कुमार अपने पीछे 90 वर्षीय बुजुर्ग मां भत्ती देवी, 33 वर्षीय पत्नी भानुप्रिया, 12 वर्षीय बेटी यशस्वी ठाकुर और 7 वर्षीय बेटे प्रणव ठाकुर को छोड़ गया है। ग्राम पंचायत छम्यार के उप प्रधान रेलू राम ने सरकार और प्रशासन से मांग उठाई है कि शहीद के परिजनों को जल्द से जल्द घर की सुविधा मुहैया करवाई जाए। बताया जा रहा है कि सेना की तरफ से जम्मू-कश्मीर में सभी औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है जिसके बाद ही शहीद राकेश कुमार की पार्थिव देह को मंडी भेजा जाएगा। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार शहीद की पार्थिव देह हैलिकॉप्टर के माध्यम से मंडी लाई जाएगी और उसके बाद सड़क मार्ग से पैतृक गांव तक पहुंचाई जाएगी। ऐसा बताया जा रहा है कि यदि पार्थिव देह आज देरी से मंडी पहुंची तो फिर अंतिम संस्कार कल ही किया जाएगा।
मंडी , 11 नवंबर ! जम्मू-कश्मीर के कितश्वाड़ में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए मंडी जिला के बल्ह उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत छम्यार के बरनोग गांव के 42 वर्षीय राकेश कुमार की शहादत के बाद पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मिली जानकारी के अनुसार शहीद राकेश कुमार और उसके भाई का 10 कमरों का मकान वर्ष 2023 की प्राकृतिक आपदा में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
मौजूदा समय में शहीद राकेश कुमार का भाई अपने पुराने मकान में तो राकेश कुमार का परिवार बैहना में किराए के मकान में रह रहा है। राकेश कुमार के भाई कर्म सिंह ठाकुर ने बताया कि उनका भाई अभी डेढ़ महीना पहले ही छुट्टियां काटकर वापिस अपनी डयूटी पर गया था और दिसंबर में फिर घर आकर जनवरी में नए घर का निर्माण कार्य शुरू करने का वादा करके गया था।
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शहीद राकेश कुमार का नये घर को बनाने का सपना अधूरा ही रह गया और वो देश की रक्षा करते हुए शहादत का जाम पी गया। अब यह सारी जिम्मेवारियां परिवार के उपर आ गई हैं। शहीद राकेश कुमार अपने पीछे 90 वर्षीय बुजुर्ग मां भत्ती देवी, 33 वर्षीय पत्नी भानुप्रिया, 12 वर्षीय बेटी यशस्वी ठाकुर और 7 वर्षीय बेटे प्रणव ठाकुर को छोड़ गया है। ग्राम पंचायत छम्यार के उप प्रधान रेलू राम ने सरकार और प्रशासन से मांग उठाई है कि शहीद के परिजनों को जल्द से जल्द घर की सुविधा मुहैया करवाई जाए।
बताया जा रहा है कि सेना की तरफ से जम्मू-कश्मीर में सभी औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है जिसके बाद ही शहीद राकेश कुमार की पार्थिव देह को मंडी भेजा जाएगा। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार शहीद की पार्थिव देह हैलिकॉप्टर के माध्यम से मंडी लाई जाएगी और उसके बाद सड़क मार्ग से पैतृक गांव तक पहुंचाई जाएगी। ऐसा बताया जा रहा है कि यदि पार्थिव देह आज देरी से मंडी पहुंची तो फिर अंतिम संस्कार कल ही किया जाएगा।
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