!!"फे़डरेशन की ओर से होने वाले खेलों की नही दी जा रही मान्यता"!!
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सोलन, 31 अगस्त, [ पंकज गोल्डी ] ! कराटे एसोसिएशन ऑफ हिमाचल प्रदेश के चैयरमैन जनक राज जामवाल ने कहा कि प्रदेश के युवा सेवाएं एवं खेल विभाग ने अपनी खेल पालिसी को 25 साल से अपडेट नहीं किया है। 1999 के बाद इस पालिसी में कोई बदलाव नहीं किया है। जिससे फेडरेशन की ओर से आयोजित होने वाली साउथ ऐशियन, कामनवेल्थ, एशियन व वल्रर्ड चेंपियन खेलों को मान्यता नहीं दी गई है। जिससे खिलाड़ियों को मनोबल गिर रहा है। साउथ एशियन खेल में मेडल लाना अपने आप में बहुत बड़ा योगदान है लेकिन उसे भी कोई मान्यता नहीं है। जबिक अन्य राज्यो में ऐसा नहीं है। प्रदेश में केवल ओलंपिक एसोशिएन की ओर से कराई जाने वाले इवेंट को मान्यता मिल रही है। अभी हालमें साउथ एशियन खेल में शूटिंग में चंबा का फरहान मिश्रा व एशियन खेलो में दामन जमावाल सिल्वर मेडल जीत कर आया लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। फैडरेशन की ओर से केवल सीनियर नेशनल व स्टेट नेशनल को भी मान्यता दी जा रही है। प्रेस को जारी ब्यान में जनकराज ने कहा कि उत्कृष्ट खिलाड़ियों के चयन के मानदंड के अनुसार, जिन्हें सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और विश्वविद्यालयों में रोजगार के लिए पात्र माना जाता है। ओलंपिक संघ की ओर से आयोजित और भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले खेलों को मान्यता और प्राथमिकता देते हैं। इनमें ओलंपिक खेल, शीतकालीन ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल, शीतकालीन एशियाड, दक्षिण एशियाई महासंघ खेल, राष्ट्रीय खेल और सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप शामिल हैं। भारत के फेडरेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम, जो सीधे भारत सरकार और युवा मामलों और खेल मंत्रालय से जुड़े हैं—जैसे कि विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप, एशियाई चैंपियनशिप और दक्षिण एशियाई चैंपियनशिप—को हिमाचल प्रदेश युवा मामलों और खेल परिषद की ओर से समान प्राथमिकता या मान्यता नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा कि यह बहिष्कार चिंता का विषय है। ऐसा प्रतीत होता है कि हिमाचल प्रदेश युवा सेवाएँ और खेल परिषद अपने स्वार्थ की रक्षा कर रही है और इसके परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को मानसिक रूप से परेशान कर रही है और उनकी मेहनत को तुच्छ समझा जा रहा है। युवा सेवाएँ और खेल विभाग की ओर से खिलाड़ियों की वर्षों की कड़ी मेहनत और कठोर प्रशिक्षण को इस तरह माना जा रहा है जैसे उनकी उपलब्धियों का कोई महत्व ही नहीं है। यह चौंकाने वाली बात है कि विभाग के सबसे निचले स्तर के कर्मचारी से लेकर उच्चतम अधिकारी तक इस मुद्दे की गंभीरता और महत्व को समझने में असमर्थ हैं। जबकि अन्य राज्यो में इन खिलाड़ियों को मान्यता दी जा रही है।
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