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मंडी , 23 मई ! सिखों के पाचंवे गुरू अर्जुन देव का 417वां शहीदी दिवस सिख समुदाय द्वारा चना प्रसाद और शर्बत वितरण कर माया गया। मंडी शहर में भी गुरू गोबिंद सिंह प्रबंधन कमेटी मंडी द्वारा छबील का आयोजन किया गया। शर्बत पीकर लोगों ने भी चिलचिलाती गर्मी से राहत पाई। गुरु अर्जन देव के शहीदी दिवस पर गुरू गोबिंद सिंह प्रबंधन कमेटी मंडी द्वारा राहगीरों को शर्बत पिलाकर उनकी प्यास बुझाई गई। गुरु अर्जन देव जी ग्यारह सिख गुरुओं के पांचवें गुरु थे। गुरु अर्जन देव के द्वारा किए गए सबसे महत्वपूर्ण काम में से एक था “आदि ग्रंथ” का संकलन। उनके 417वां शहीदी दिवस पर मंडी शहर में लोगों को शर्बत पिलाया गया, चना और हलवा भी खिलाया गया। गुरू गोबिंद सिंह प्रबंधन कमेटी मंडी के उपप्रधान गुर चरण सिंह ने बताया कि .गुरु अर्जन देव के शहीदी दिवस पर ठंडे मिठे पानी और कढ़ा चना प्रसाद लोगों को खिलाया गया। उन्होंने बताया कि जहांगीर गुरु की बढ़ती लोकप्रियता को पसंद नहीं करता था। गुरु के शीश पर गर्म-गर्म रेत डाली गई। जब उनका शरीर अग्नि के कारण बुरी तरह झुलस गया तब उन्हें ठंडे पानी वाले रावी दरिया में नहाने के लिए भेजा गया, जहां गुरु का पावन शरीर रावी में मिल गया। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
मंडी , 23 मई ! सिखों के पाचंवे गुरू अर्जुन देव का 417वां शहीदी दिवस सिख समुदाय द्वारा चना प्रसाद और शर्बत वितरण कर माया गया। मंडी शहर में भी गुरू गोबिंद सिंह प्रबंधन कमेटी मंडी द्वारा छबील का आयोजन किया गया। शर्बत पीकर लोगों ने भी चिलचिलाती गर्मी से राहत पाई।
गुरु अर्जन देव के शहीदी दिवस पर गुरू गोबिंद सिंह प्रबंधन कमेटी मंडी द्वारा राहगीरों को शर्बत पिलाकर उनकी प्यास बुझाई गई। गुरु अर्जन देव जी ग्यारह सिख गुरुओं के पांचवें गुरु थे। गुरु अर्जन देव के द्वारा किए गए सबसे महत्वपूर्ण काम में से एक था “आदि ग्रंथ” का संकलन। उनके 417वां शहीदी दिवस पर मंडी शहर में लोगों को शर्बत पिलाया गया, चना और हलवा भी खिलाया गया।
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गुरू गोबिंद सिंह प्रबंधन कमेटी मंडी के उपप्रधान गुर चरण सिंह ने बताया कि .गुरु अर्जन देव के शहीदी दिवस पर ठंडे मिठे पानी और कढ़ा चना प्रसाद लोगों को खिलाया गया। उन्होंने बताया कि जहांगीर गुरु की बढ़ती लोकप्रियता को पसंद नहीं करता था। गुरु के शीश पर गर्म-गर्म रेत डाली गई। जब उनका शरीर अग्नि के कारण बुरी तरह झुलस गया तब उन्हें ठंडे पानी वाले रावी दरिया में नहाने के लिए भेजा गया, जहां गुरु का पावन शरीर रावी में मिल गया।
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