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लाहौल, 09 मार्च [ रंजीत लाहौली ] ! लाहौल घाटी में मणिमहेश के मुख्य द्वार जोवरंग गाँव में समापन पर यौर उत्सव को धूमधाम से मनाया गया है। जोवरंग गाँव के यौर उत्सव की एक अपनी अलग पहचान है। इसे हर साल मनाया जाता है। यहाँ के बुर्जुग चेहरे पर मुखौटा पहन कर सुसज्जित होकर पारंपरिक वेशभूषा के साथ देवी देवता के इस यौर उत्सव को मनाते है। काफी साल पहले जोवरंग गाँव में इस यौर उत्सव को नहीं मनाया गया जिसके फलस्वरूप फसलों पर कीड़े लगना शुरू हो गया है और उन कीड़ों ने फसलों को खत्म कर दिया था। इस यौर उत्सव को देवी देवताओं को मनाने के लिए सर्दियों में प्रकृतिक आपदाओं से बचने के लिए अच्छी फसल और सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है। बर्फ की बनी शिवलिंग के चारों तरफ देव खेल में गुर ने भविष्यवाणी की जिसमे अब साल भर में बिमारी और बारिश दोनों कम होगी। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
लाहौल, 09 मार्च [ रंजीत लाहौली ] ! लाहौल घाटी में मणिमहेश के मुख्य द्वार जोवरंग गाँव में समापन पर यौर उत्सव को धूमधाम से मनाया गया है। जोवरंग गाँव के यौर उत्सव की एक अपनी अलग पहचान है। इसे हर साल मनाया जाता है। यहाँ के बुर्जुग चेहरे पर मुखौटा पहन कर सुसज्जित होकर पारंपरिक वेशभूषा के साथ देवी देवता के इस यौर उत्सव को मनाते है। काफी साल पहले जोवरंग गाँव में इस यौर उत्सव को नहीं मनाया गया जिसके फलस्वरूप फसलों पर कीड़े लगना शुरू हो गया है और उन कीड़ों ने फसलों को खत्म कर दिया था। इस यौर उत्सव को देवी देवताओं को मनाने के लिए सर्दियों में प्रकृतिक आपदाओं से बचने के लिए अच्छी फसल और सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
बर्फ की बनी शिवलिंग के चारों तरफ देव खेल में गुर ने भविष्यवाणी की जिसमे अब साल भर में बिमारी और बारिश दोनों कम होगी।
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