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लाहौल , 18 अगस्त ! हिमाचल प्रदेश का अति दुर्गम क्षेत्र देमुल को जाइका वानिकी परियोजना ने थ्रेशिंग मशीनों की सौगात दी। काजा से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देमुल गांव के लोग दरअसल जौ की फसल को ताड़ने के लिए गदों का इस्तेमाल करते थे। इससे निजात दिलाने के लिए यहां के ग्रामीणों ने जाइका वानिकी परियोजना के समक्ष थ्रेशिंग मशीनों की मांग की थी, जिसे पूरी हो गई। देमुल 70 घरों वाला गांव है और जाइका वानिकी परियोजना ने डीजल से ऑपरेट होने वाली दो थ्रेशिंग मशीनें वितरित की। वण्य प्राणी मंडल स्पीति के एसीएफ चमन लाल ठाकुर की अध्यक्षता में यहां के लोगों को थ्रेशिंग मशीनें बांटी। देमुल के ग्रामवासियों ने उनकी जटिल समस्या का समाधान करवाने के लिए जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक समीर रस्तोगी और जैव विविधता विशेषज्ञ डा. एसके काप्टा का आभार व्यक्त किया। बता दें कि समीर रस्तोगी बीते 1 मई को अपनी टीम के साथ देमुल गांव पहुंचे तो वहां के बाशिंदों ने थ्रेशिंग मशीनों की मांग की थी। मुख्य परियोजना निदेशक ने आश्वासन दिया था कि जल्द से जल्द समस्या का समाधान करेंगे। ऐसे में अब यहां के लोगों की मांग पूरी हुई तो पूरे गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है। गौरतलब है कि जाइका वानिकी परियोजना के जैव विविधता विशेषज्ञ डा. एसके काप्टा अक्तूबर 2023 को देमुल गांव के दौरे पर पहुंचे तो वहां के लोग गदों से जौ की थ्रेशिंग करते दिखे। उसी दिन वहां की जनता ने पहली बार डा. एसके काप्टा से थ्रेशिंग मशीनों की मांग थी। ऐसे में जाहिर है कि जाइका वानिकी परियोजना ने अति दुर्गम क्षेत्र की जनता के दर्द को समझते हुए दो थ्रेशिंग मशीनें भेंट की।
लाहौल , 18 अगस्त ! हिमाचल प्रदेश का अति दुर्गम क्षेत्र देमुल को जाइका वानिकी परियोजना ने थ्रेशिंग मशीनों की सौगात दी। काजा से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देमुल गांव के लोग दरअसल जौ की फसल को ताड़ने के लिए गदों का इस्तेमाल करते थे। इससे निजात दिलाने के लिए यहां के ग्रामीणों ने जाइका वानिकी परियोजना के समक्ष थ्रेशिंग मशीनों की मांग की थी, जिसे पूरी हो गई।
देमुल 70 घरों वाला गांव है और जाइका वानिकी परियोजना ने डीजल से ऑपरेट होने वाली दो थ्रेशिंग मशीनें वितरित की। वण्य प्राणी मंडल स्पीति के एसीएफ चमन लाल ठाकुर की अध्यक्षता में यहां के लोगों को थ्रेशिंग मशीनें बांटी। देमुल के ग्रामवासियों ने उनकी जटिल समस्या का समाधान करवाने के लिए जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक समीर रस्तोगी और जैव विविधता विशेषज्ञ डा. एसके काप्टा का आभार व्यक्त किया।
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बता दें कि समीर रस्तोगी बीते 1 मई को अपनी टीम के साथ देमुल गांव पहुंचे तो वहां के बाशिंदों ने थ्रेशिंग मशीनों की मांग की थी। मुख्य परियोजना निदेशक ने आश्वासन दिया था कि जल्द से जल्द समस्या का समाधान करेंगे। ऐसे में अब यहां के लोगों की मांग पूरी हुई तो पूरे गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है।
गौरतलब है कि जाइका वानिकी परियोजना के जैव विविधता विशेषज्ञ डा. एसके काप्टा अक्तूबर 2023 को देमुल गांव के दौरे पर पहुंचे तो वहां के लोग गदों से जौ की थ्रेशिंग करते दिखे। उसी दिन वहां की जनता ने पहली बार डा. एसके काप्टा से थ्रेशिंग मशीनों की मांग थी। ऐसे में जाहिर है कि जाइका वानिकी परियोजना ने अति दुर्गम क्षेत्र की जनता के दर्द को समझते हुए दो थ्रेशिंग मशीनें भेंट की।
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