!!"देश-विदेश में पहली पसंद छरमा के उत्पाद "!!
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लाहौल, 27 जून, [ रंजीत लाहौली ] ! काजा , जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में तैयार होने वाले किंग ऑफ विटामिन सी यानी छरमा (सीबकथॉर्न) के उत्पाद देश-विदेश में पसंद बन चुके हैं। वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति के तहत विभिन्न स्वयं सहायता समूह छरमा के कई उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जिसे खरीदने के लिए 2012 से 2015 बैच के भारतीय वन सेवा के अफसरों ने भी दिलचस्पी दिखाई। गत बुधवार को देश के भिन्न-भिन्न राज्यों की 31 सदस्यीय आईएफएस अफसरों की टीम एक्सपोजर विजिट पर वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची। काजा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस टीम ने जाइका से जुड़े 9 स्वयं सहायता समूहों से संवाद किया। इस दौरान यहां उपलब्ध छरमा चाय, जूस, बैरी, सूखे सेब समेत अन्य उत्पादों की खूब बिक्री हुई। डीसीएफ स्पीति मंदार उमेश जेवरे ने बताया कि चंद घंटों में ही 12 हजार रुपये की सेल हुई। उन्होंने कहा कि आज देश-विदेश में छरमा के औषधीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है। मंदार उमेश जेवरे ने कहा कि देश के भिन्न-भिन्न राज्यों से आए आईएफएस अधिकारी स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए ऐसे उत्पादों पर शोध करेंगे। गौरतलब है कि स्पीति के सीबकथॉर्न यानी छरमा से बनने वाले उत्पाद देश व दुनिया में पसंद किए जाएंगे। वर्तमान में भी इसके उत्पादों को लोग पसंद करते हैं, परंतु यह हिमाचल में आसानी से नहीं मिल पाते। बताया जाता है कि कैंसर-शुगर मरीजों के लिए रामबाण छरमा से कई तरह की दवाएं भी तैयार की जाती हैं। दवाओं के निर्माण में इसकी डिमांड काफी ज्यादा है। सीबकथॉर्न की पत्तियों में विटामिन सी समेत कई दूसरे पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में होते हैं। जाइका वानिकी परियोजना से जुड़े स्वयं सहायता समूह छरमा के उत्पाद तैयार कर अपनी आर्थिकी को और मजबूत कर रहे हैं।
लाहौल, 27 जून, [ रंजीत लाहौली ] ! काजा , जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में तैयार होने वाले किंग ऑफ विटामिन सी यानी छरमा (सीबकथॉर्न) के उत्पाद देश-विदेश में पसंद बन चुके हैं।
वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति के तहत विभिन्न स्वयं सहायता समूह छरमा के कई उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जिसे खरीदने के लिए 2012 से 2015 बैच के भारतीय वन सेवा के अफसरों ने भी दिलचस्पी दिखाई। गत बुधवार को देश के भिन्न-भिन्न राज्यों की 31 सदस्यीय आईएफएस अफसरों की टीम एक्सपोजर विजिट पर वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची।
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काजा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस टीम ने जाइका से जुड़े 9 स्वयं सहायता समूहों से संवाद किया। इस दौरान यहां उपलब्ध छरमा चाय, जूस, बैरी, सूखे सेब समेत अन्य उत्पादों की खूब बिक्री हुई। डीसीएफ स्पीति मंदार उमेश जेवरे ने बताया कि चंद घंटों में ही 12 हजार रुपये की सेल हुई। उन्होंने कहा कि आज देश-विदेश में छरमा के औषधीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है। मंदार उमेश जेवरे ने कहा कि देश के भिन्न-भिन्न राज्यों से आए आईएफएस अधिकारी स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए ऐसे उत्पादों पर शोध करेंगे।
गौरतलब है कि स्पीति के सीबकथॉर्न यानी छरमा से बनने वाले उत्पाद देश व दुनिया में पसंद किए जाएंगे। वर्तमान में भी इसके उत्पादों को लोग पसंद करते हैं, परंतु यह हिमाचल में आसानी से नहीं मिल पाते। बताया जाता है कि कैंसर-शुगर मरीजों के लिए रामबाण छरमा से कई तरह की दवाएं भी तैयार की जाती हैं।
दवाओं के निर्माण में इसकी डिमांड काफी ज्यादा है। सीबकथॉर्न की पत्तियों में विटामिन सी समेत कई दूसरे पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में होते हैं। जाइका वानिकी परियोजना से जुड़े स्वयं सहायता समूह छरमा के उत्पाद तैयार कर अपनी आर्थिकी को और मजबूत कर रहे हैं।
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