- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा , 27 अप्रैल [ शिवानी ] ! सीटू इंटक एटक के संयुक्त आह्वान पर औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने एक अधिवेशन का आयोजन किया गया। अधिवेशन को इंटक प्रदेशाध्यक्ष हरदीप सिंह बाबा एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा महासचिव प्रेम गौतम इंटक नेता श्याम लाल गजेन्द्र तिवारी एटक नेता सतीश शर्मा सीटू नेता मोहित वर्मा ओमदत्त शर्मा राकेश ठाकुर व हिमाचल ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन नेता नानक चंद शांडिल ने संबोधित किया। अधिवेशन में सैकड़ों मजदूर शामिल रहे। अधिवेशन में निर्णय लिया गया कि केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ 20 मई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में पूर्ण हड़ताल होगी। इस दौरान विभिन्न कारखानों में हड़ताल करके बद्दी में विराट प्रदर्शन किया जाएगा। अधिवेशन को संबोधित करते हुए हरदीप सिंह बाबा जगदीश भारद्वाज विजेंद्र मेहरा व प्रेम गौतम ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिए मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ 20 मई को प्रदेशभर के लाखों मजदूर कर्मचारी हड़ताल करके सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया कि अगर लेबर कोड तुरंत निरस्त न किए तो मोदी सरकार को भारी नुकसान झेलने के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व चौहतर प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं व जुर्मानों का प्रावधान किया गया है। पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने तथा ग्रेच्युटी लागू करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मजदूरों के काम के घंटे आठ से बढ़ाकर बारह करने, केंद्रीय कर्मचारियों के एक सप्ताह में काम के घंटों को चालीस से बढ़ाकर पचास करने, अग्निवीर, आयुद्धवीर, कोयलावीर व अन्य फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, ईपीएफ, ईपीएस, ईडीएलआई सुविधा की अवहेलना करने पर सज़ा शर्तों में कटौती करने, असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा देने, ठेका मजदूरों की रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने, केंद्रीय व प्रदेश सरकार के बोर्ड व निगम कर्मियों की ओपीएस बहाल करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्या बोर्ड से आर्थिक लाभ व पंजीकरण सुविधा बहाल करने, एसटीपी मजदूरों के लिए शेडयूल एम्प्लॉयमेंट घोषित करने, आउटसोर्स व अस्पताल कर्मियों के लिए नीति बनाने, औद्योगिक मजदूरों को 40 प्रतिशत अधिक वेतन देने, तयबजारी को उजाड़ने के खिलाफ, आईटी, आईटीईएस उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट देने के खिलाफ, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने, प्रदेशभर में नौकरी से निकाले गए सैंकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ा मुक्ति आदि मांगों को लेकर ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के बैनर तले देश की दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनें व दर्जनों फेडरेशनें मजदूरों व जनता में जाएंगी तथा उनसे मजदूर व मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 20 मई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान करेंगी। उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों की मांगों को जनता में ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना, महंगाई और डिपुओं में राशन प्रणाली, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के ओपीएस, बीआरओ के निजीकरण व नियमितीकरण, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव आदि मुद्दों पर मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा।
चम्बा , 27 अप्रैल [ शिवानी ] ! सीटू इंटक एटक के संयुक्त आह्वान पर औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने एक अधिवेशन का आयोजन किया गया। अधिवेशन को इंटक प्रदेशाध्यक्ष हरदीप सिंह बाबा एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा महासचिव प्रेम गौतम इंटक नेता श्याम लाल गजेन्द्र तिवारी एटक नेता सतीश शर्मा सीटू नेता मोहित वर्मा ओमदत्त शर्मा राकेश ठाकुर व हिमाचल ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन नेता नानक चंद शांडिल ने संबोधित किया।
अधिवेशन में सैकड़ों मजदूर शामिल रहे। अधिवेशन में निर्णय लिया गया कि केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ 20 मई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में पूर्ण हड़ताल होगी। इस दौरान विभिन्न कारखानों में हड़ताल करके बद्दी में विराट प्रदर्शन किया जाएगा।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
अधिवेशन को संबोधित करते हुए हरदीप सिंह बाबा जगदीश भारद्वाज विजेंद्र मेहरा व प्रेम गौतम ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिए मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ 20 मई को प्रदेशभर के लाखों मजदूर कर्मचारी हड़ताल करके सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया कि अगर लेबर कोड तुरंत निरस्त न किए तो मोदी सरकार को भारी नुकसान झेलने के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व चौहतर प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं व जुर्मानों का प्रावधान किया गया है। पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी।
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने तथा ग्रेच्युटी लागू करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मजदूरों के काम के घंटे आठ से बढ़ाकर बारह करने, केंद्रीय कर्मचारियों के एक सप्ताह में काम के घंटों को चालीस से बढ़ाकर पचास करने, अग्निवीर, आयुद्धवीर, कोयलावीर व अन्य फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, ईपीएफ, ईपीएस, ईडीएलआई सुविधा की अवहेलना करने पर सज़ा शर्तों में कटौती करने, असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा देने, ठेका मजदूरों की रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने, केंद्रीय व प्रदेश सरकार के बोर्ड व निगम कर्मियों की ओपीएस बहाल करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्या बोर्ड से आर्थिक लाभ व पंजीकरण सुविधा बहाल करने, एसटीपी मजदूरों के लिए शेडयूल एम्प्लॉयमेंट घोषित करने, आउटसोर्स व अस्पताल कर्मियों के लिए नीति बनाने, औद्योगिक मजदूरों को 40 प्रतिशत अधिक वेतन देने, तयबजारी को उजाड़ने के खिलाफ, आईटी, आईटीईएस उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट देने के खिलाफ, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने, प्रदेशभर में नौकरी से निकाले गए सैंकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ा मुक्ति आदि मांगों को लेकर ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के बैनर तले देश की दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनें व दर्जनों फेडरेशनें मजदूरों व जनता में जाएंगी तथा उनसे मजदूर व मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 20 मई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान करेंगी।
उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है।
उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों की मांगों को जनता में ले जाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना, महंगाई और डिपुओं में राशन प्रणाली, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के ओपीएस, बीआरओ के निजीकरण व नियमितीकरण, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव आदि मुद्दों पर मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -