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सोलन , 19 जुलाई , [ पंकज गोल्डी ] ! ज़िला सोलन में लगभग 23,500 हेक्टेयर भूमि पर मक्का की खेती की जाती है जिससे लगभग 58,750 मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। इस वर्ष फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े के प्रकोप के कारण ज़िला सोलन में मक्का की खेती करने वाले किसान काफी दिक्कत का सामना कर रहे हैं। यह जानकारी उप निदेशक कृषि विभाग सोलन ने दी। उन्होंने बताया कि नत्रजन के ज्यादा उपयोग करने के कारण पौधों की रोगों और कीटों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ख़त्म हो जाती है जिस कारण विभिन्न किस्म के रोग और कीड़े फसलों को नुक्सान पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक लगभग 4750 हेक्टेयर मक्का की फसल में खेत में स्थानीय पैच के रूप में 10 से 15 प्रतिशत पौधे इस कीड़े से ग्रसित पाए गए है। उन्होंने कहा कि सोलन ज़िला के किसानों को अपनी मक्का की फसल को फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी फसल का नियमित सर्वेक्षण करना चाहिए। यदि खेत में 05 प्रतिशत से अधिक पौधों पर फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े का प्रकोप पाया जाता है तो सबसे पहले खेत की मिटटी, रेत, राख ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें और यदि उसके बाद बारिश न हो तो पानी भर दें। ऐसा करने से सुंडियां मर जाएंगी। उन्होंने बताया कि किसान खेत में प्रकाश प्रपंच तथा फेरोमोन ट्रैप स्थापित करें, जैविक कीटनाशकों जैसे बी टी (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), नीम आधारित कीटनाशकों (2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), फफूंद आधारित कीटनाशकों मेटारहीजीयम (5 ग्राम प्रति लीटर पानी) आदि का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि मक्का की फसल में परजीवियों जैसे ट्राइकोग्रेम्मा, कोटेशिया, टेलीनोमस आदि की संख्या बढ़ाने के लिए इनमें प्रयोगशाला में तैयार परजीवियों के अंडे छोड़ें। उन्होंने बताया कि यदि उक्त उपायों के बावजूद फाल आर्मी वोर्म का प्रकोप कम नहीं होता है तो अंतिम उपाय के रूप में रसायनों जैसे स्पाईनोसैड (0.3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), कलोरनट्रेनिलिप्रोल (0.3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), एमाबेक्टीन बेन्जोएट (0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी), थायोडीकार्ब (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), फ्लूबेंडामाइड (0.3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी) या थाओमिथेक्सोन$लैम्ब्डा साईंहेलोथ्रिन (0.25 मिली लीटर प्रति लीटर पानी) में मिला कर ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें। उन्होंने बताया कि ग्रसित पौधों के अवशेष खेत में न छोड़ें नहीं तो आगामी फसल को नुक्सान पहुंचाएगी। यह कीड़ा 80 से ज्यादा फसलों को नुक्सान पहुंचता है। उन्होंने अगले साल मक्की की फसल के साथ उड़द, लोबिया इत्यादि दाल की फसल अवश्य लगाएं क्योंकि ऐसी मिश्रित फसल में फाल आर्मी वोर्म कीड़े का प्रकोप कम होता है और मक्का की फसल को नत्रजन दलहन फसल से मुफ्त में प्राप्त होती है। मक्का की फसल के चारों और 3-4 लाइनें नेपियर घास की ट्रैप फसल के रूप में मुख्य फसल से 10 दिन पहले लगाएं ताकि वहां पर फाल आर्मी वोर्म कीड़े की उपस्थिति होते ही उन्हें ट्रैप करके वहीं समाप्त कर दिया जाए।
सोलन , 19 जुलाई , [ पंकज गोल्डी ] ! ज़िला सोलन में लगभग 23,500 हेक्टेयर भूमि पर मक्का की खेती की जाती है जिससे लगभग 58,750 मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। इस वर्ष फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े के प्रकोप के कारण ज़िला सोलन में मक्का की खेती करने वाले किसान काफी दिक्कत का सामना कर रहे हैं। यह जानकारी उप निदेशक कृषि विभाग सोलन ने दी।
उन्होंने बताया कि नत्रजन के ज्यादा उपयोग करने के कारण पौधों की रोगों और कीटों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ख़त्म हो जाती है जिस कारण विभिन्न किस्म के रोग और कीड़े फसलों को नुक्सान पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक लगभग 4750 हेक्टेयर मक्का की फसल में खेत में स्थानीय पैच के रूप में 10 से 15 प्रतिशत पौधे इस कीड़े से ग्रसित पाए गए है।
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उन्होंने कहा कि सोलन ज़िला के किसानों को अपनी मक्का की फसल को फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी फसल का नियमित सर्वेक्षण करना चाहिए। यदि खेत में 05 प्रतिशत से अधिक पौधों पर फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े का प्रकोप पाया जाता है तो सबसे पहले खेत की मिटटी, रेत, राख ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें और यदि उसके बाद बारिश न हो तो पानी भर दें। ऐसा करने से सुंडियां मर जाएंगी।
उन्होंने बताया कि किसान खेत में प्रकाश प्रपंच तथा फेरोमोन ट्रैप स्थापित करें, जैविक कीटनाशकों जैसे बी टी (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), नीम आधारित कीटनाशकों (2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), फफूंद आधारित कीटनाशकों मेटारहीजीयम (5 ग्राम प्रति लीटर पानी) आदि का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि मक्का की फसल में परजीवियों जैसे ट्राइकोग्रेम्मा, कोटेशिया, टेलीनोमस आदि की संख्या बढ़ाने के लिए इनमें प्रयोगशाला में तैयार परजीवियों के अंडे छोड़ें।
उन्होंने बताया कि यदि उक्त उपायों के बावजूद फाल आर्मी वोर्म का प्रकोप कम नहीं होता है तो अंतिम उपाय के रूप में रसायनों जैसे स्पाईनोसैड (0.3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), कलोरनट्रेनिलिप्रोल (0.3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), एमाबेक्टीन बेन्जोएट (0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी), थायोडीकार्ब (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), फ्लूबेंडामाइड (0.3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी) या थाओमिथेक्सोन$लैम्ब्डा साईंहेलोथ्रिन (0.25 मिली लीटर प्रति लीटर पानी) में मिला कर ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें। उन्होंने बताया कि ग्रसित पौधों के अवशेष खेत में न छोड़ें नहीं तो आगामी फसल को नुक्सान पहुंचाएगी। यह कीड़ा 80 से ज्यादा फसलों को नुक्सान पहुंचता है। उन्होंने अगले साल मक्की की फसल के साथ उड़द, लोबिया इत्यादि दाल की फसल अवश्य लगाएं क्योंकि ऐसी मिश्रित फसल में फाल आर्मी वोर्म कीड़े का प्रकोप कम होता है और मक्का की फसल को नत्रजन दलहन फसल से मुफ्त में प्राप्त होती है।
मक्का की फसल के चारों और 3-4 लाइनें नेपियर घास की ट्रैप फसल के रूप में मुख्य फसल से 10 दिन पहले लगाएं ताकि वहां पर फाल आर्मी वोर्म कीड़े की उपस्थिति होते ही उन्हें ट्रैप करके वहीं समाप्त कर दिया जाए।
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