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शिमला ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज गेयटी थियेटर में श्यामला एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट, शिमला द्वारा आयोजित ‘नशे की बुराई पर अंकुश के लिए खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की रणनीति’ विषय पर संगोष्ठी की अध्यक्षता की।राज्यपाल ने भावी पीढ़ी की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नशा युवाओं की प्रतिभा को प्रभावित करने के साथ-साथ उन्हें समाज की मुख्यधारा से अलग कर रहा है। नशा व्यक्ति की क्षमताओं को नष्ट करता है, परिवारों को तोड़ता है और समाज को कमजोर करता है। नशे की बुराई के कारण बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नशा न केवल व्यक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि इसके दुष्प्रभाव से परिवार, समाज और भावी पीढ़ियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि नशे से व्यक्ति मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित होता है, इससे समाज में अपराध दर बढ़ जाती है, स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि नशे की बुराई से लड़ने के लिए जन सहभागिता का होना आवश्यक है। अभिभावकों, अध्यापकों, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग तथा प्रत्येक नागरिक को इस अभियान में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। सामूहिक संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बुराई का समूल नाश किया जा सकता है।राज्यपाल ने कहा कि इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए विभिन्न विभागों का आपसी समन्वय आवश्यक है। इस अभियान में युवाओं पर विशेष ध्यान देते हुए स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालय परिसरों तक पहुंच बनाकर नशे के खिलाफ सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल जैसे शिक्षित और विकसित क्षेत्र में, युवा शक्ति सदैव नवाचार, खेल तथा राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर है, ऐसे समाज में नशे जैसी बुराई के लिए कोई स्थान नहीं है। सोलन जिला के अर्की तथा नालागढ़ और हमीरपुर जिला में नशे के खिलाफ तथा युवाओं में खेलों को बढ़ावा देने के लिए सफलतापूर्वक जन जागरूकता अभियान चलाया गया। उन्होंने कहा कि युवाओं को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने से हम युवाओं में नशे की प्रवृति की संभावनाओं को कम कर सकते हैं। युवाओं में स्वस्थ जीवन शैली, सामाजिक कार्यों में सहभागिता तथा सकारात्मक रोल मॉडल और संरक्षक प्रदान करना आवश्यक है।राज्यपाल ने शिमला में ट्रस्ट द्वारा किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की, जो नशीली दवाओं के खतरे और नशे पर अंकुश लगाने की रणनीति के रूप में खेल संस्कृति को जानने का एक प्रयास है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता के लिए विशिष्ट योगदान के लिए राज्यपाल द्वारा नौ व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। उन्होंने नशीले पदार्थों के खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के आयोजन के लिए ट्रस्ट के प्रयासों की सराहना की।राज्यपाल ने जागरूकता बढ़ाने और नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के संकल्प की शपथ भी दिलाई। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रवेश पत्र में एक नया कॉलम जोड़ा गया है, जिसमें विद्यार्थी नशीली दवाओं का उपयोग न करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेंगे। इससे पहले, श्यामला शिक्षा और समाज कल्याण ट्रस्ट के अध्यक्ष ने शिमला में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ ट्रस्ट द्वारा की जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला व हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी बंसल, राज्यपाल के सचिव चंद्र प्रकाश वर्मा, मेजर रितु कालरा, ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सूरज जामल्टा व महासचिव ईशा शर्मा भी उपस्थित थे।
शिमला ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज गेयटी थियेटर में श्यामला एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट, शिमला द्वारा आयोजित ‘नशे की बुराई पर अंकुश के लिए खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की रणनीति’ विषय पर संगोष्ठी की अध्यक्षता की।राज्यपाल ने भावी पीढ़ी की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नशा युवाओं की प्रतिभा को प्रभावित करने के साथ-साथ उन्हें समाज की मुख्यधारा से अलग कर रहा है। नशा व्यक्ति की क्षमताओं को नष्ट करता है, परिवारों को तोड़ता है और समाज को कमजोर करता है। नशे की बुराई के कारण बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नशा न केवल व्यक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि इसके दुष्प्रभाव से परिवार, समाज और भावी पीढ़ियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि नशे से व्यक्ति मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित होता है, इससे समाज में अपराध दर बढ़ जाती है, स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
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उन्होंने कहा कि नशे की बुराई से लड़ने के लिए जन सहभागिता का होना आवश्यक है। अभिभावकों, अध्यापकों, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग तथा प्रत्येक नागरिक को इस अभियान में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। सामूहिक संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बुराई का समूल नाश किया जा सकता है।राज्यपाल ने कहा कि इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए विभिन्न विभागों का आपसी समन्वय आवश्यक है। इस अभियान में युवाओं पर विशेष ध्यान देते हुए स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालय परिसरों तक पहुंच बनाकर नशे के खिलाफ सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल जैसे शिक्षित और विकसित क्षेत्र में, युवा शक्ति सदैव नवाचार, खेल तथा राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर है, ऐसे समाज में नशे जैसी बुराई के लिए कोई स्थान नहीं है। सोलन जिला के अर्की तथा नालागढ़ और हमीरपुर जिला में नशे के खिलाफ तथा युवाओं में खेलों को बढ़ावा देने के लिए सफलतापूर्वक जन जागरूकता अभियान चलाया गया।
उन्होंने कहा कि युवाओं को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने से हम युवाओं में नशे की प्रवृति की संभावनाओं को कम कर सकते हैं। युवाओं में स्वस्थ जीवन शैली, सामाजिक कार्यों में सहभागिता तथा सकारात्मक रोल मॉडल और संरक्षक प्रदान करना आवश्यक है।राज्यपाल ने शिमला में ट्रस्ट द्वारा किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की, जो नशीली दवाओं के खतरे और नशे पर अंकुश लगाने की रणनीति के रूप में खेल संस्कृति को जानने का एक प्रयास है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता के लिए विशिष्ट योगदान के लिए राज्यपाल द्वारा नौ व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। उन्होंने नशीले पदार्थों के खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के आयोजन के लिए ट्रस्ट के प्रयासों की सराहना की।
राज्यपाल ने जागरूकता बढ़ाने और नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के संकल्प की शपथ भी दिलाई। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रवेश पत्र में एक नया कॉलम जोड़ा गया है, जिसमें विद्यार्थी नशीली दवाओं का उपयोग न करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेंगे।
इससे पहले, श्यामला शिक्षा और समाज कल्याण ट्रस्ट के अध्यक्ष ने शिमला में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ ट्रस्ट द्वारा की जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला व हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी बंसल, राज्यपाल के सचिव चंद्र प्रकाश वर्मा, मेजर रितु कालरा, ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सूरज जामल्टा व महासचिव ईशा शर्मा भी उपस्थित थे।
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