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चम्बा 10 अप्रैल [ शिवानी ] ! चम्बा वासियों की प्यास बुझाने के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली चम्बा की रानी सुनयना की याद में मनाए जाने वाले ऐतिहासिक सूही मेला का आज आगाज हो गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले का शुभारम्भ राजमहल में स्थित रानी सुनयना की प्रतिमा के आगे पूजा-अर्चना के साथ हुआ। परम्परा को निभाते हुए चम्बा रियासत की राज कन्या ने जहां सर्वप्रथम पूजा की वहीं प्रशासन की तरफ से नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैयर सहित अन्य अधिकारियों ने पूजा पाठ किया। राजमहल से निकली शोभायात्रा रानी सुनयना के मंदिर में जाकर सम्पन्न हुई जिसमें होमगार्ड बैंड, पुलिस जवान तथा स्थानीय लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। सालों से इस मेले की देखरेख नगर परिषद द्वारा की जा रही है जिसने ही मेले के समस्त प्रबंध किए हैं। शोभायात्रा में सबसे आगे गद्दी समुदाय की महिलाएं चली जिन्होंने घुरेईयां (सूही मेला गीत)गाकर नृत्य भी पेश किया। वहीं चम्बा के लोक कलाकारों ने भी पारम्परिक गीतों की प्रस्तुति देकर खूब समा बांधा। मेले के पहले दिन आज राजमहल से निकली रानी सुनयना की पालकी सूही मंदिर में जाकर रुकी जहां लोग उनके दर्शन करने पहुंचेंगे। अगले दिन यहां से पालकी में सवार होकर रानी सुनैना के चिन्ह रानी के समाधि स्थल मलूण नामक स्थान पर जाएंगे जहां पूजा अर्चना के बाद विशाल भंडारे का भी आयोजन होगा। वहीं मेले के तीसरे दिन वापस शोभायात्रा राजमहल तक पहुंचेगी तथा मेले का विधिवत समापन होगा। गौरतलब है कि रिसायत काल में चम्बा नगर में पानी की काफी किल्लत हो गई थी तथा लोगों में पानी के लिए हाहाकार मच गई। इसी दौरान चम्बा की रानी सुनयना को एक रात स्वप्न हुआ कि राज घराने के किसी परिवार द्वारा अपने प्राणों की आहूति देने के बाद ही चम्बा रियासत में पानी की किल्लत दूर होगी। इसके पश्चात रानी सुनयना से खुद अपने प्राणों की बलि देने की ठानी तथा चम्बा के मलूण नामक स्थान पर समाधि ली थी जिसके बाद वहां से जल धारा फूटी तथा आज भी चम्बा के लोग वहां के पानी को प्रयोग में लाते हैं। चम्बा के स्थानीय लोगों के अनुसार रानी सुनैना के चम्बा वासियों के प्रति दिए गए बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता तथा उन्हीं की याद में हर वर्ष इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस साल भी यह मेला 10 से 12 अप्रैल तक चलेगा । उनके अनुसार इस मेले को चम्बा के लोग हषोल्र्लास के साथ मनाते हैं तथा इस मेले में विशेषकर महिलाएं बढ़ चढ़कर भाग लेंती हैं। वहीं इस मेले के दौरान पापड़, खट्टे पकोड़ू इत्यादि विशेष व्यंजन भी बिकी हेतु रखे जाते हैं।
चम्बा 10 अप्रैल [ शिवानी ] ! चम्बा वासियों की प्यास बुझाने के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली चम्बा की रानी सुनयना की याद में मनाए जाने वाले ऐतिहासिक सूही मेला का आज आगाज हो गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले का शुभारम्भ राजमहल में स्थित रानी सुनयना की प्रतिमा के आगे पूजा-अर्चना के साथ हुआ।
परम्परा को निभाते हुए चम्बा रियासत की राज कन्या ने जहां सर्वप्रथम पूजा की वहीं प्रशासन की तरफ से नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैयर सहित अन्य अधिकारियों ने पूजा पाठ किया। राजमहल से निकली शोभायात्रा रानी सुनयना के मंदिर में जाकर सम्पन्न हुई जिसमें होमगार्ड बैंड, पुलिस जवान तथा स्थानीय लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।
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सालों से इस मेले की देखरेख नगर परिषद द्वारा की जा रही है जिसने ही मेले के समस्त प्रबंध किए हैं। शोभायात्रा में सबसे आगे गद्दी समुदाय की महिलाएं चली जिन्होंने घुरेईयां (सूही मेला गीत)गाकर नृत्य भी पेश किया। वहीं चम्बा के लोक कलाकारों ने भी पारम्परिक गीतों की प्रस्तुति देकर खूब समा बांधा। मेले के पहले दिन आज राजमहल से निकली रानी सुनयना की पालकी सूही मंदिर में जाकर रुकी जहां लोग उनके दर्शन करने पहुंचेंगे।
अगले दिन यहां से पालकी में सवार होकर रानी सुनैना के चिन्ह रानी के समाधि स्थल मलूण नामक स्थान पर जाएंगे जहां पूजा अर्चना के बाद विशाल भंडारे का भी आयोजन होगा। वहीं मेले के तीसरे दिन वापस शोभायात्रा राजमहल तक पहुंचेगी तथा मेले का विधिवत समापन होगा।
गौरतलब है कि रिसायत काल में चम्बा नगर में पानी की काफी किल्लत हो गई थी तथा लोगों में पानी के लिए हाहाकार मच गई। इसी दौरान चम्बा की रानी सुनयना को एक रात स्वप्न हुआ कि राज घराने के किसी परिवार द्वारा अपने प्राणों की आहूति देने के बाद ही चम्बा रियासत में पानी की किल्लत दूर होगी। इसके पश्चात रानी सुनयना से खुद अपने प्राणों की बलि देने की ठानी तथा चम्बा के मलूण नामक स्थान पर समाधि ली थी जिसके बाद वहां से जल धारा फूटी तथा आज भी चम्बा के लोग वहां के पानी को प्रयोग में लाते हैं।
चम्बा के स्थानीय लोगों के अनुसार रानी सुनैना के चम्बा वासियों के प्रति दिए गए बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता तथा उन्हीं की याद में हर वर्ष इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस साल भी यह मेला 10 से 12 अप्रैल तक चलेगा । उनके अनुसार इस मेले को चम्बा के लोग हषोल्र्लास के साथ मनाते हैं तथा इस मेले में विशेषकर महिलाएं बढ़ चढ़कर भाग लेंती हैं। वहीं इस मेले के दौरान पापड़, खट्टे पकोड़ू इत्यादि विशेष व्यंजन भी बिकी हेतु रखे जाते हैं।
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