डायरिया की रोकथाम के लिए जांचा जाएगा 29,480 घरों में बच्चों का स्वास्थ्य ढालपुर अस्पताल से डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश ने की शुरुआत
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कुल्लू , 01 जून ! जिला कुल्लू में बरसात के मौसम में डायरिया से बच्चों के बचाव के लिए अब स्वास्थ्य विभाग ने काम करना शुरू कर दिया है और सोमवार से जिला कुल्लू में डायरिया की रोकथाम के लिए कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया है। वहीं सोमवार को डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ भी कार्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर चर्चा की गई। वही, इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने योजना तैयार की है। डायरिया रोकथाम अभियान के तहत जिले के पांचों स्वास्थ्य खंडों के अंतर्गत आने 3,086 गांवों के 29,480 घरों में बच्चों के स्वास्थ्य को जांचा जाएगा। उपायुक्त कुल्लू तोरुल एस रवीश ने डायरिया रोकथाम अभियान के तहत अस्पताल में उपचार के लिए आए बच्चों को जिंक की दवा और ओ आर एस के पैकेट भी वितरित किए। उपायुक्त कुल्लू तोरुल एस रवीश ने कहा कि दस्त से निर्जलीकरण के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए तीव्र तरीके से क्रियान्वित की जाने वाली गतिविधियों में मुख्य रूप से – डायरिया रोकथाम प्रबंधन के लिए जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियों को तेज करना, दस्त के मामलों के प्रबंधन के लिए सेवा प्रावधान को मजबूत करना, ओआरएस-जिंक कोनों की स्थापना, पांच साल से कम उम्र के बच्चों वाले घरों में आशा वर्कर द्वारा ओआरएस की व्यवस्था करना और स्वच्छता और सफाई के लिए जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियां चलाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि डायरिया रोकथाम अभियान का लक्ष्य बाल दस्त के कारण होने वाली बाल मृत्यु को शून्य करना है। इसमें , उन हस्तक्षेपों का प्रयोग किया जाता है जिनका बचपन में दस्त से होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर को नियंत्रित करने में बड़ा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने डायरिया रोकथाम अभियान की रणनीति में समुदाय में ओआरएस और जिंक की बेहतर उपलब्धता और उपयोग, निर्जलीकरण के मामलों के प्रबंधन के लिए सुविधा स्तर को सुदृढ़ बनाना, आईसी अभियान के माध्यम से दस्त की रोकथाम और नियंत्रण पर जानकारी और संचार को बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा इसके अंतर्गत समुदाय/ग्राम स्तर पर ओआरएस का वितरण एवं प्रदर्शन, दस्त के प्रबंधन के साथ-साथ स्वच्छता और सफाई पर एएनएम द्वारा आईपीसी गतिविधियाँ, स्कूलों में हाथ धोने का प्रदर्शन तथा स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर, उपचार के लिए ओआरएस और जिंक कॉर्नर की स्थापना, दस्त के मामलों के मानक प्रबंधन को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य सुविधाओं में पानी की टंकियों की सफाई इत्यादि पर कार्य करने के लिए सभी विभाग अपनी भूमिका को सुनिश्चित बनाएं।
कुल्लू , 01 जून ! जिला कुल्लू में बरसात के मौसम में डायरिया से बच्चों के बचाव के लिए अब स्वास्थ्य विभाग ने काम करना शुरू कर दिया है और सोमवार से जिला कुल्लू में डायरिया की रोकथाम के लिए कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया है। वहीं सोमवार को डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ भी कार्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर चर्चा की गई।
वही, इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने योजना तैयार की है। डायरिया रोकथाम अभियान के तहत जिले के पांचों स्वास्थ्य खंडों के अंतर्गत आने 3,086 गांवों के 29,480 घरों में बच्चों के स्वास्थ्य को जांचा जाएगा। उपायुक्त कुल्लू तोरुल एस रवीश ने डायरिया रोकथाम अभियान के तहत अस्पताल में उपचार के लिए आए बच्चों को जिंक की दवा और ओ आर एस के पैकेट भी वितरित किए।
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उपायुक्त कुल्लू तोरुल एस रवीश ने कहा कि दस्त से निर्जलीकरण के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए तीव्र तरीके से क्रियान्वित की जाने वाली गतिविधियों में मुख्य रूप से – डायरिया रोकथाम प्रबंधन के लिए जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियों को तेज करना, दस्त के मामलों के प्रबंधन के लिए सेवा प्रावधान को मजबूत करना, ओआरएस-जिंक कोनों की स्थापना, पांच साल से कम उम्र के बच्चों वाले घरों में आशा वर्कर द्वारा ओआरएस की व्यवस्था करना और स्वच्छता और सफाई के लिए जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियां चलाई जाएंगी।
उन्होंने कहा कि डायरिया रोकथाम अभियान का लक्ष्य बाल दस्त के कारण होने वाली बाल मृत्यु को शून्य करना है। इसमें , उन हस्तक्षेपों का प्रयोग किया जाता है जिनका बचपन में दस्त से होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर को नियंत्रित करने में बड़ा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने डायरिया रोकथाम अभियान की रणनीति में समुदाय में ओआरएस और जिंक की बेहतर उपलब्धता और उपयोग, निर्जलीकरण के मामलों के प्रबंधन के लिए सुविधा स्तर को सुदृढ़ बनाना, आईसी अभियान के माध्यम से दस्त की रोकथाम और नियंत्रण पर जानकारी और संचार को बढ़ाने पर बल दिया।
उन्होंने कहा इसके अंतर्गत समुदाय/ग्राम स्तर पर ओआरएस का वितरण एवं प्रदर्शन, दस्त के प्रबंधन के साथ-साथ स्वच्छता और सफाई पर एएनएम द्वारा आईपीसी गतिविधियाँ, स्कूलों में हाथ धोने का प्रदर्शन तथा स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर, उपचार के लिए ओआरएस और जिंक कॉर्नर की स्थापना, दस्त के मामलों के मानक प्रबंधन को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य सुविधाओं में पानी की टंकियों की सफाई इत्यादि पर कार्य करने के लिए सभी विभाग अपनी भूमिका को सुनिश्चित बनाएं।
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