- विज्ञापन (Article Top Ad) -
हमीरपुर , 1 सितम्बर, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि सुक्खू सरकार ने एक तरफ एडवोकेट जनरल कार्यालय में वकीलों की भारी फौज खड़ी कर रखी है और दूसरी तरफ मुख्य संसदीय सचिवो और वॉटर सेस का केस कोर्ट में लड़ने के लिए बाहरी वकीलों को भारी भरकम फीस देकर राज्य का खजाना लूटा रही है। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि हाई कोर्ट भी वाटर सेस कमिशन को असंवैधानिक करार दे चुका है लेकिन उसके बावजूद मुख्यमंत्री ने अपने तमाम मित्र यहां विभिन्न पदों पर एडजस्ट करके सरकार का खजाना बेरहमी से लूटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों, सीपीएस, निगम बोर्ड के अध्यक्षों व कांग्रेस विधायकों का दो माह का वेतन स्थगित करने की नौटंकी कर रहे हैं और दूसरी तरफ प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड में अपने मित्र अध्यक्ष की सैलरी में सीधा एक लाख रुपए का इजाफा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हाथी के दांत दिखाने के और हैं तथा खाने के और हैं। सुक्खू सरकार जनता के लिए तो बेरुखी दर्शा रही है लेकिन मित्रों पर मेहरबानी लूटा रही है। राजेंद्र राणा ने कहा कि भाजपा शासन में एडवोकेट जनरल कार्यालय में सीनियर एडिशनल एडवोकेट जनरल, एडिशनल एडवोकेट जनरल, डिप्टी एडवोकेट जनरल सहित कुल 42 नियुक्तियां हुई थी। लेकिन सुक्खू सरकार ने 75 से अधिक नियुक्तियां करके एक नया इतिहास बना दिया है और अपने तमाम मित्रों को इसमें एडजस्ट कर दिया है। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री होने का कीर्तिमान भी बना डाला है जिसने 20 से ज्यादा ओएसडी और दर्जनों सलाहकार तैनात करके सरकारी खजाने पर बोझ डालने में कोई कमी नहीं रखी है। राजेंद्र राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री के आर्थिक कुप्रबंधन का खामियाजा प्रदेश की जनता भी भुक्त रही है और प्रदेश का कर्मचारी वर्ग भी भुगत रहा है। सरकार अपने वायदे भी पूरे नहीं कर पा रही है । अपनी गारंटीयां भी पूरी नहीं कर पा रही है। मुख्यमंत्री ने अपने मित्रों पर दोनों हाथों से खजाने का पैसा लूटा कर प्रदेश को कर्ज की दलदल में इस तरह धकेल दिया है कि आने वाले कई वर्षों तक प्रदेश आर्थिक रूप से खड़ा नहीं हो पाएगा। राजेंद्र राणा ने कहा कि यह बड़े खेद की बात है कि प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को उनके जायज हकों से भी वंचित रखा जा रहा है और जब कर्मचारी अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं तो उन्हें तानाशाही तरीके से नोटिस दिए जा रहे हैं। राजेंद्र राणा ने कहा कि सुक्खू सरकार ने लोकतंत्र का गला घोटने में भी कोई कसर नहीं रखी है।
हमीरपुर , 1 सितम्बर, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि सुक्खू सरकार ने एक तरफ एडवोकेट जनरल कार्यालय में वकीलों की भारी फौज खड़ी कर रखी है और दूसरी तरफ मुख्य संसदीय सचिवो और वॉटर सेस का केस कोर्ट में लड़ने के लिए बाहरी वकीलों को भारी भरकम फीस देकर राज्य का खजाना लूटा रही है। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि हाई कोर्ट भी वाटर सेस कमिशन को असंवैधानिक करार दे चुका है लेकिन उसके बावजूद मुख्यमंत्री ने अपने तमाम मित्र यहां विभिन्न पदों पर एडजस्ट करके सरकार का खजाना बेरहमी से लूटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों, सीपीएस, निगम बोर्ड के अध्यक्षों व कांग्रेस विधायकों का दो माह का वेतन स्थगित करने की नौटंकी कर रहे हैं और दूसरी तरफ प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड में अपने मित्र अध्यक्ष की सैलरी में सीधा एक लाख रुपए का इजाफा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हाथी के दांत दिखाने के और हैं तथा खाने के और हैं। सुक्खू सरकार जनता के लिए तो बेरुखी दर्शा रही है लेकिन मित्रों पर मेहरबानी लूटा रही है।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
राजेंद्र राणा ने कहा कि भाजपा शासन में एडवोकेट जनरल कार्यालय में सीनियर एडिशनल एडवोकेट जनरल, एडिशनल एडवोकेट जनरल, डिप्टी एडवोकेट जनरल सहित कुल 42 नियुक्तियां हुई थी। लेकिन सुक्खू सरकार ने 75 से अधिक नियुक्तियां करके एक नया इतिहास बना दिया है और अपने तमाम मित्रों को इसमें एडजस्ट कर दिया है। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री होने का कीर्तिमान भी बना डाला है जिसने 20 से ज्यादा ओएसडी और दर्जनों सलाहकार तैनात करके सरकारी खजाने पर बोझ डालने में कोई कमी नहीं रखी है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री के आर्थिक कुप्रबंधन का खामियाजा प्रदेश की जनता भी भुक्त रही है और प्रदेश का कर्मचारी वर्ग भी भुगत रहा है। सरकार अपने वायदे भी पूरे नहीं कर पा रही है । अपनी गारंटीयां भी पूरी नहीं कर पा रही है। मुख्यमंत्री ने अपने मित्रों पर दोनों हाथों से खजाने का पैसा लूटा कर प्रदेश को कर्ज की दलदल में इस तरह धकेल दिया है कि आने वाले कई वर्षों तक प्रदेश आर्थिक रूप से खड़ा नहीं हो पाएगा।
राजेंद्र राणा ने कहा कि यह बड़े खेद की बात है कि प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को उनके जायज हकों से भी वंचित रखा जा रहा है और जब कर्मचारी अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं तो उन्हें तानाशाही तरीके से नोटिस दिए जा रहे हैं। राजेंद्र राणा ने कहा कि सुक्खू सरकार ने लोकतंत्र का गला घोटने में भी कोई कसर नहीं रखी है।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -