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शिमला , 17अप्रैल [ विशाल सूद ] ! भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक बिक्रम ठाकुर ने शिमला स्थित सरकारी गेस्ट हाउस "हॉलिडे होम" में आयोजित मुख्य सचिव प्रभोध सक्सेना की होली पार्टी को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सरकारी खर्च पर आयोजित इस पार्टी में वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों की उपस्थिति और उसमें किए गए व्यय को देखते हुए यह साफ है कि यह लोकतांत्रिक भावना, नैतिक आचरण और प्रशासनिक मर्यादा का घोर उल्लंघन है। जब प्रदेश एक लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है, तब इस तरह के आयोजन यह दर्शाते हैं कि सरकार और नौकरशाही को आम जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं। यह कार्यभार और वित्तीय अनुशासन की उपेक्षा है, जो केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 के तहत भी उल्लंघन की श्रेणी में आता है, जिसमें अधिकारियों से निष्ठा, ईमानदारी और निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है। इसके अतिरिक्त, संविधान के अनुसार राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह सामाजिक कल्याण और सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता सुनिश्चित करे। दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन अधिकारियों को जनता की सेवा के लिए नियुक्त किया गया है, वे ही जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं।इस पूरे प्रकरण को उजागर करने वाले पत्रकार ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए साहस दिखाया है। ऐसे समय में जब हिमाचल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार दबाव बढ़ रहा है, यह ज़रूरी है कि उस पत्रकार को सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि वह बिना किसी भय के अपने पेशेवर दायित्व को निभा सके। राज्य सरकार से स्पष्ट मांग है कि पत्रकार को पूर्ण सुरक्षा और समर्थन प्रदान किया जाए, उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की अप्रत्यक्ष कार्यवाही अथवा मानसिक दबाव की स्थिति न उत्पन्न होने दी जाए और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो, जिससे दोषियों के विरुद्ध उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सके।
शिमला , 17अप्रैल [ विशाल सूद ] ! भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक बिक्रम ठाकुर ने शिमला स्थित सरकारी गेस्ट हाउस "हॉलिडे होम" में आयोजित मुख्य सचिव प्रभोध सक्सेना की होली पार्टी को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सरकारी खर्च पर आयोजित इस पार्टी में वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों की उपस्थिति और उसमें किए गए व्यय को देखते हुए यह साफ है कि यह लोकतांत्रिक भावना, नैतिक आचरण और प्रशासनिक मर्यादा का घोर उल्लंघन है।
जब प्रदेश एक लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है, तब इस तरह के आयोजन यह दर्शाते हैं कि सरकार और नौकरशाही को आम जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं। यह कार्यभार और वित्तीय अनुशासन की उपेक्षा है, जो केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 के तहत भी उल्लंघन की श्रेणी में आता है, जिसमें अधिकारियों से निष्ठा, ईमानदारी और निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है।
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इसके अतिरिक्त, संविधान के अनुसार राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह सामाजिक कल्याण और सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता सुनिश्चित करे। दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन अधिकारियों को जनता की सेवा के लिए नियुक्त किया गया है, वे ही जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं।इस पूरे प्रकरण को उजागर करने वाले पत्रकार ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए साहस दिखाया है। ऐसे समय में जब हिमाचल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार दबाव बढ़ रहा है, यह ज़रूरी है कि उस पत्रकार को सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि वह बिना किसी भय के अपने पेशेवर दायित्व को निभा सके।
राज्य सरकार से स्पष्ट मांग है कि पत्रकार को पूर्ण सुरक्षा और समर्थन प्रदान किया जाए, उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की अप्रत्यक्ष कार्यवाही अथवा मानसिक दबाव की स्थिति न उत्पन्न होने दी जाए और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो, जिससे दोषियों के विरुद्ध उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सके।
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