!!"मांडव्य कला मंच ने मनाया गुरु पूर्णिमा दिवस"!!
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मंडी, 21 जुलाई, [ शिवानी ] ! मांडव्य कला मंच के कलाकारों ,सदस्यों पदाधिकारीयों ने मंचिय कार्यालय लूनापानी में गुरु पूर्णिमा दिवस मनाया। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित मंच के संस्थापक व संस्कृतिकर्मी कुलदीप गुलेरिया ने मां सरस्वती, नटराज और ऋषि वेदव्यास की पूजा अर्चना कर गुरुओं को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में गुरु पूर्णिमा पर्व बहुत ही श्रद्धा और भाव से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन महाभारत, श्रीमद् भागवत सहित 18 पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म शुक्ल आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ है। इसलिए पौराणिक काल से ही उनके जन्मोत्सव को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों काल के ज्ञाता माने जाते हैं वह हमारे आदि गुरु भी माने जाते हैं इसलिए इस दिन शिष्यों द्वारा गुरुओं की उपासना और पूजा अर्चना की जाती है और शिष्यों द्वारा अपने गुरुओं को यथा योग्य इच्छा शक्तिनुसार गुरु दक्षिणा दी जाती है। तथा इस दिन गुरु के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लिया जाता है तथा गुरुओं से अर्जित ज्ञान को संसार की भलाई के लिए अर्पित करने का संकल्प भी धोराया जाता है क्योंकि गुरु की कृपा व्यक्ति के हृदय का अज्ञान व अंधकार दूर करता है इस अवसर पर मांडव्य कला मंच के कलाकारों ने भी निर्णय लिया की लोक संस्कृति के विभिन्न आयाम संजोने से संबंधित जो भी ज्ञान उन्हें गुरुओं से मिला है उस सांस्कृतिक विरासत को आगे ले जाने के लिए वह भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते रहेंगे। इस मौके पर मंच के कलाकारों ने गुरु वंदना, कृष्ण और शिव भजन तथा भेंट प्रस्तुत कर गुरु महिमा का गुणगान किया। मंच के पदाधिकारी विपन, पंकज ,श्रेया ,अमित और पुष्पलता सहित 40 से ज्यादा कलाकार उपस्थित रहे।
मंडी, 21 जुलाई, [ शिवानी ] ! मांडव्य कला मंच के कलाकारों ,सदस्यों पदाधिकारीयों ने मंचिय कार्यालय लूनापानी में गुरु पूर्णिमा दिवस मनाया। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित मंच के संस्थापक व संस्कृतिकर्मी कुलदीप गुलेरिया ने मां सरस्वती, नटराज और ऋषि वेदव्यास की पूजा अर्चना कर गुरुओं को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में गुरु पूर्णिमा पर्व बहुत ही श्रद्धा और भाव से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन महाभारत, श्रीमद् भागवत सहित 18 पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म शुक्ल आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ है।
इसलिए पौराणिक काल से ही उनके जन्मोत्सव को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों काल के ज्ञाता माने जाते हैं वह हमारे आदि गुरु भी माने जाते हैं इसलिए इस दिन शिष्यों द्वारा गुरुओं की उपासना और पूजा अर्चना की जाती है और शिष्यों द्वारा अपने गुरुओं को यथा योग्य इच्छा शक्तिनुसार गुरु दक्षिणा दी जाती है।
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तथा इस दिन गुरु के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लिया जाता है तथा गुरुओं से अर्जित ज्ञान को संसार की भलाई के लिए अर्पित करने का संकल्प भी धोराया जाता है क्योंकि गुरु की कृपा व्यक्ति के हृदय का अज्ञान व अंधकार दूर करता है इस अवसर पर मांडव्य कला मंच के कलाकारों ने भी निर्णय लिया की लोक संस्कृति के विभिन्न आयाम संजोने से संबंधित जो भी ज्ञान उन्हें गुरुओं से मिला है उस सांस्कृतिक विरासत को आगे ले जाने के लिए वह भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते रहेंगे।
इस मौके पर मंच के कलाकारों ने गुरु वंदना, कृष्ण और शिव भजन तथा भेंट प्रस्तुत कर गुरु महिमा का गुणगान किया। मंच के पदाधिकारी विपन, पंकज ,श्रेया ,अमित और पुष्पलता सहित 40 से ज्यादा कलाकार उपस्थित रहे।
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