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शिमला , 13 नवंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के सीपीएस एक्ट को निरस्त करने के फैसले का पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने स्वागत किया है। कहा कि सीपीएस के पद असंवैधानिक थे और यह संविधान के विरुद्ध निर्णय था। गर्ग ने इसे सुक्खू सरकार के गलत फैसलों का नतीजा करार दिया है। उन्होंने इस फैसले पर खुशी जताई और इसे प्रदेश की जनता के हित में बताया। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान गलत फैसले लिए हैं और सत्ता का दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सीपीएस पद अपने चेहतों को खुश करने के लिए रेवड़ियों की तरह बांटे थे। इन पदों के कारण जो लोगों के हित में पैसा खर्च किया जाना था, वो पैसा इन पदों पर आसीन कांग्रेस विधायकों के ऐशो आराम के लिए खर्च किया गया। इन पदों पर खर्च किये गये रुपयों का दुरुपयोग हुआ है। गर्ग ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पहले दिन से ही सीपीएस बनाने के फैसले के खिलाफ थी, क्योंकि यह असंवैधानिक था और यह संविधान के विरुद्ध निर्णय था। बुधवार को हाईकोर्ट द्वारा फिर से सरकार के तानाशाही पूर्ण और असंवैधानिक फैसले को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि जिस पैसे का इन पदों पर दुरुपयोग हुआ है, माननीय कोर्ट उस पैसे की वसूली करे तथा इनकी सदस्यता को भी रद्द करे।
शिमला , 13 नवंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के सीपीएस एक्ट को निरस्त करने के फैसले का पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने स्वागत किया है। कहा कि सीपीएस के पद असंवैधानिक थे और यह संविधान के विरुद्ध निर्णय था। गर्ग ने इसे सुक्खू सरकार के गलत फैसलों का नतीजा करार दिया है। उन्होंने इस फैसले पर खुशी जताई और इसे प्रदेश की जनता के हित में बताया। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान गलत फैसले लिए हैं और सत्ता का दुरुपयोग किया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सीपीएस पद अपने चेहतों को खुश करने के लिए रेवड़ियों की तरह बांटे थे। इन पदों के कारण जो लोगों के हित में पैसा खर्च किया जाना था, वो पैसा इन पदों पर आसीन कांग्रेस विधायकों के ऐशो आराम के लिए खर्च किया गया। इन पदों पर खर्च किये गये रुपयों का दुरुपयोग हुआ है।
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गर्ग ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पहले दिन से ही सीपीएस बनाने के फैसले के खिलाफ थी, क्योंकि यह असंवैधानिक था और यह संविधान के विरुद्ध निर्णय था। बुधवार को हाईकोर्ट द्वारा फिर से सरकार के तानाशाही पूर्ण और असंवैधानिक फैसले को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि जिस पैसे का इन पदों पर दुरुपयोग हुआ है, माननीय कोर्ट उस पैसे की वसूली करे तथा इनकी सदस्यता को भी रद्द करे।
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